कपिल की मुकरियां
१
जो मन आये वो कह जाये
छवि में मंद मंद मुस्काए
डांट सुने बन बिल्ली भीगी
क्या सखी साजन न सखी दिग्गी
२
मौन रहे या बोले हल्का
दिल का घुन्ना, भोला शकल का
संत भाव से करता शोषण
क्या सखी साजन ना मनमोहन
३
तन का उजला मन का काला
मुस्काते मन को हर डाला
माँ रोये हो जाता व्याकुल
क्या सखी साजन न सखी राहुल
४
हाथ हथेली के गुण गावे
उलटी सीधी बात सुनावे
तन से भारी, ज़ेहन से खुक्कल
क्या सखी साजन न सखी सिब्बल
५
नयन खुमारी, अंटा दाबे
ऊंघते सोते काज चलावे
मन है व्यसनी देह कुंवारी
क्या सखी साजन, न अटल बिहारी
६
नाम देव का, काम पशु का
लहू से राज की फसल सींचता
मासूमो की कब्रें खोदी
क्या सखी साजन, ना सखी मोदी
७
पल में सज्जन, पल में गुंडा
हाथ चलाकी लुंडम लुंडा
जहर डुबोकर बोले बानी
क्या सखी साजन, ना अडवाणी
८
लूटमार करता सहकारी
खुद को कहता नेता भारी
मोटा जैसे भैंस चरी
क्या सखी साजन, ना गडकरी
१०
करे कुशासन कहे सुशासन
झूठ भरे सब देवे भासन
लगे तीन कहता है तीस
क्या सखी साजन, नहीं नितीश
११
जुल्फ उड़ा रह रह मुस्काता
बिन बोले भी रह नहीं पाता
सब कहें चुप वो बोले ज़रूर
क्या सखी साजन न सखी थरूर
१२
वोट का मुस्लिम, वोट का हिन्दू
बाकी उल्टे चाँद का बिंदु
रक्खे गुंडागर्दी कायम
क्या सखी साजन नहीं मुलायम
१३
पहले खुद और बाद समाज
ऐसे लाता समाजबाद
जोड़ तोड़ सत्ता पर कायम
क्या सखी साजन नहीं मुलायम
१४
चारा चोर और बेहद घाघ
अपनी ढफली अपना राग
दिखे जोकर पर बहुत है चालू
क्या सखी साजन ना सखी लालू
१५
धुर उजले वो पहने वसन
धन क्रीडा में रत तन मन
पैसे वालों का मन भावन
क्या सखी साजन न पलनिअप्पम (चिदंबरम)
१६
जिसको चाहे उसको मारे
सी एम् पी एम् डर से कांपें
नकली मंत्री असली गुंडा
क्या सखी साजन नहीं राजा कुंडा
१७
अमरीकी वो बीन बजाय
लाखों का पैखाना जाए
खर्च के अरबों गिनता एक
क्या सखी साजन नहीं मोंटेक
१८
झूठ कहे बेशर्मी साधे
दब के भकोसे, दब दे पादे
अपनी धुन में रहे मगन
क्या सखी साजन न सखी रमन
१९
उजले कपडे, दिल है खोटा
चम्पू जुल्फ़ें, चश्मा मोटा
ठगी के खेल का महारथी
क्या सखी साजन नहीं सखी पी.
२०
अँधा हो रेवड़ियाँ बांटे
बेटा बेटी मस्ती काटें
चाल चले उलटी सीधी
क्या सखी साजन नहीं करूणानिधि
२१
कुछ न देखे कुछ न दिखावे
खुद न चले पर राज चलावे
करे राज जाने किस विधि
क्या सखी साजन नहीं करूणानिधि
२२
बिना हाड़ की जीभ हिलाए
सब कर्मन को शुद्ध बताए
आका खुश जनता बेचारी
क्या सखी साजन ना मनीष तिवारी
२३
बिना ज़रुरत बड़ की हांके
काम होय तो बगलें झांके
वो ना आवे किसी के काम
क्या सखी साजन नहीं जयराम
२४
आँखों में से धूर्तता झांके
हरदम इधर उधर की हांके
कोई ना लागे उसके साथ
क्या सखी साजन नहीं राजनाथ
२५
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंनीतीश और राजनाथ बस इस शिल्प में कमज़ोर लगे
hamara comment kidhar ko gaya ? shayad spam mein ho... dekhiye... nikaliye usko wahan se...
जवाब देंहटाएंgo to blogger dashboard> click on arrow > comments> click on spam > select comment> choose not spam.
done!
ek baar phiro se padhe.... sochte hain hamhun aajmaayen mukri ko.... waise mukri streeling lagti hai....
जवाब देंहटाएंabhi tak khusro aur kapil ki mukri thi, aage saagar "ki hogi" :)
उत्तम, अतिउत्तम
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