शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

नेपाल भारत नहीं हो सकता।


 


 जनाबेमन, जब से नेपाल में नौजवानों ने उपद्रव मचाया, कुछ लोग इसे क्रांति भी कह रहे हैं, जेन ज़ी की क्रांति, खैर तो मेरा ख्याल है आठ तारीख को नेपाल में नौजवानो ने प्रदर्शन करना शुरु कर दिया था, और जल्द ही नेपाल की पार्लियामंेंटजिसे हिंदी में संसद कहते हैं, ना सिर्फ उस पर कब्ज़ा कर लिया बल्कि उसे आग लगा दी। प्रधानमंत्री को भागना पड़ा, इस्तीफा भी भाई ने भागते-भागते ही दिया सुना है। वित्त मंत्री को नंगा करके पीटा और सड़कों पर दौड़ा दिया। 



नेपाल भारत के पड़ोस में एक छोटा सा देश है, जहां ये सबकुछ हुआ, इससे पहले श्री लंका और बांग्लादेश में भी ऐसा ही कुछ हो चुका है। दोनो ही देशों में जनता ने प्रधान मंत्रियों को और अन्य मंत्रियों को दौड़ाया, मारा-पीटा है, तो अब भारत की अगल-बगल के तीन देशों में तो ये हो चुका है। तो भारत के कुछ विद्वान प्रगतिशीलों को लगने लगा कि क्या भारत में भी ऐसा कुछ हो सकता है। मेरा मानना है नहीं, बिल्कुल नहीं, कतई नहीं, ना ना ना। भारत में ये सब, या ऐसा कुछ हो ही नहीं सकता। मैं आपको बताता हूं क्यों।


सबसे पहले तो साल 2014 में भारत पर पहली बार एक हिंदू राजा का राज्यारोहण, जिसे अंग्रेजी में कोरोनेशन कहते हैं हुआ था। 


अभी इस वीडियो में जो आपने सुना वही मैं हिंदी में कह रहा हूं, महामानव का कोरोनेशन यानी राज्याभिषेक हुआ था। तो विश्वगुरु, ब्रहमांडगुरु, नॉनबायोलोजिकल, महामानव भारत की राजगद्दी पर विराजमान हुए थे। याद रखिए नेपाल में इसका उल्टा हुआ था। नेपाल में राजा से उसकी ताकत छीन कर पार्लियामेंट बनाया गया था, जबकि भारत में संसद में ही महामानव का राज्याभिषेक हुआ था। ऐसे में आपको कैसे लगता है कि भारत में वो हो सकता है जो नेपाल में हुआ था। खैर आगे बढ़ते हैं। 


नेपाल के नौजवान, सुनते हैं, वहां के मंत्रियों के भ्रष्टाचार से बहुत परेशान थे। भारत में जबसे महामानव ने सत्ता संभाली है, एक भी भाजपा नेता के उपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है, बल्कि अगर किसी विदेशी व्यक्ति पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगा भी हो, तो उसने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और उस पर से भ्रष्टाचार के हर आरोप हट गए हैं। यानी भारत में भ्रष्टाचार नहीं है, कतई साफ, स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार महामानव चला रहे हैं। बाकी जो थोड़ा बहुत भ्रष्टाचार है, वो सब विपक्ष के नेता कर रहे हैं, उन सबको एक - एक करके, किसी ना किसी बहाने से महामानव और डिप्टी महामानव जेल भेज रहे हैं, उनके इस काम में ईडी, सी बी आई, और न्यायालय उनकी मदद कर रहे हैं। ऐसे में जब भारत में कोई भ्रष्टाचार है ही नहीं तो फिर बताइए, नेपाल जैसी कोई चीज़ हो ही कैसे सकती है। यानी नहीं हो सकती, ऐसा मुझे विश्वास है। 


दूसरे, नेपाल में नौजवानों का आरोप है कि सारे नेता, जिनमें प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली हैं, बताइए, आपको भारत में कोई ऐसा लगता है, जो किसी पूंजीपति के इशारे पर काम करता हो। जबसे महमानव ने राजगद्दी संभाली है, भारत में तो तरह से रामराज्य आ गया है। यहां बाघ और बकरी एक ही घाट पर पानी पीते हैं, बाघों को भारत में खास इसी काम के लिए अफ्रीका से मंगाया गया था, या शायद चीतों को मंगाया गया था, और बकरियों की कुर्बानी पर रोक लगा दी थी, ताकि वो एक ही घाट पर चीतों के साथ पानी पी सकें। मामले का लब्बो-लुबाब ये है कि भारत में भ्रष्टाचार नहीं है, पूरी दुनिया में है, अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन, सब देशों में भ्रष्टाचार है, भारत की विपक्षी पार्टियों मे ंतो भ्रष्टाचारी भरे हुए हैं, लेकिन महामानव की पार्टी में आप टॉर्च लेकर भी ढूंढोगे तो आपको कोई भ्रष्टाचारी नहीं मिलेगा, यही इस पार्टी की खासियत है, और इसलिए भारत में नेपाल जैसा कोई सिनेरियो बन ही नहीं सकता, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।


तीसरे कोर्ट यानी न्यायालय, यानी संविधान के रक्षा के लिए हमने ऐसी - ऐसी संस्थाएं खड़ी की हैं, जो कमाल की हैं। हमारे कोर्ट, हमारे जज, कभी सत्ता के साथ कोई जुगाड़ नहीं करते, हमारे न्यायाधीशों पर कभी करप्शन के आरोप नहीं लगे। यहां तो ऐसी समरसता है कि एक धर्मविशेष के भगवान को ही मुकद्मे में पार्टी बना दिया गया था, एक जज साहब ने तो बकायदा कहा था कि वे अपने ईश्वर का स्मरण करके सोए और जागकर उन्होने एक ऐतिहासिक फैसला लिख दिया था। ऐसे में आप समझ ही सकते हैं कि कैसे हमारी न्यायपालिका ने अपनी धर्मनिरपेक्षता बचा कर रखी हुई है। ऐसी बेदाग न्यायपालिका से भला किसी को शिकायत ही क्या हो सकती है। नेपाल में, श्री लंका में, और बांग्लादेश में भी न्यायपालिका का सत्ता से गठजोड़ था, जज अपने घरों पर नेताओं को, सत्ताधारी पार्टी को बुलाते थे, हमारे देश में ऐसा नहीं होता। जज अपनी दूरी बना कर रखते हैं, और किसी भी सत्ताधारी पार्टी के नेता से उनका कोई सामाजिक संबंध नहीं होता, इससे उनकी निष्पक्षता बनी रहती है। ऐसे में न्यायपालिका में जनता का विश्वास भी बना रहता है। जैसे हमारे यहां न्यायाधीश सत्ता द्वारा निर्दोष मामलों में सालों जेल में पड़े रहने वाले लोगों के पक्ष में अक्सर ही फैसला सुनाते रहते हैं, और इस तरह किसी भी तरह का राजनीतिक दुरुपयोग नहीं करने दिया जाता है। ना ही उन्हें अपने रिटायर होने के बाद किसी तरह का लोभ-लालच होता है, इसलिए वे पूरी तरह निष्पक्ष फैसला सुनाते हैं। हमारे देश में कभी ऐसा नहीं हुआ कि बिना मुकद्में के किसी को सालों जेल में रखा गया हो। 


इतनी सारी खूबियां होने के चलते हमारा देश नेपाल जैसी हालत होने से बचा हुआ है, और बचा रहेगा, ऐसा मुझे विश्वास है।

अब आते हैं, राजनीतिक भ्रष्टाचार पर। सुना बांग्लादेश में चुनाव आयोग ने सत्तापक्ष को सत्ता में बने रहने के लिए चुनावों में ही गड़बड़ कर दी थी। यानी आप वोट किसी को भी दो, जीतना उसी को था, जिसे चुनाव आयोग चाहता था। हो सकता है कि नेपाल में भी ऐसा हुआ हो। लेकिन हमारे देश यानी भारत में ऐसा होना संभव ही नहीं है, यहां का चुनाव आयुक्त जो महिलाओं की निजता का इतना ख्याल रखता है कि वोटिंग की वीडियो को रिलीज़ नहीं करता, यहां तक कि वोटिंग का डाटा तक रिलीज़ नहीं करता, बल्कि उसके दुरुपयोग की आशंका के चलते उसे अपनी साइट तक पर नहीं डालता और इस तरह चुनाव की, लोकतंत्र की मर्यादा को बचाकर रखता है। हां कुछ लोग हैं, जो चुनाव आयोग पर धंाधली का आरोप लगात हैं, लेकिन ये लोग ठीक लोग नहीं हैं, इसलिए इनकी तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि चुनाव आयोग ने तो चेतावनी भी दी थी इन्हें। तो ऐसे में मेरे दोस्तों, भारत में नेपाल जैसे हालात नहीं हो सकते, क्योंकि चुनाव आयोग, स्वतंत्र, निष्पक्ष और जवाबदेह है। ऐसा मुझे विश्वास है। 


अब आते हैं, नौजवानों के असंतोष की। तो इसमें एक बात तो ये है कि ये नौजवान आजकल बहुत असंतोष में जी रहे हैं। मुझे तो इनकी मांगे ही समझ नहीं आती। पहले तो ये कहते हैं कि हमें पढ़ाई करनी है। अब इतने सारे लोगों की पढ़ाई की व्यवस्था तो हो नहीं सकती, इसलिए सरकार कांवड़ यात्रा को व अन्य धार्मिक कार्यों का प्रचार करती है, धार्मिक बाबाओं की ऐसी लंबी कतार है कि क्या कहने, इन्हें संसद में बुलाकर इनका सम्मान किया जाता है। इसमें एक थंबरूल ये है जो बाबा जितना मूर्ख होगा, उसे उतना ही बड़ा सम्मान दिया जाता है। खैर इससे एक तो बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ती है, दूसरे पढ़ाई की जिम्मेदारी से सरकार मुक्त हो जाती है। दूसरा असंतोष है सरकारी नौकरियों में कमी की, तो भई हमारे महामानव ने आते ही कहा था कि यारों पकोड़े बेचना भी रोजगार है, साइकिल का पंचर लगाना, रेल में चना-चबैना बेचना भी रोजगार है, तो इस तरह सरकार देश में करोड़ों बल्कि अरबों रोजगार दे चुकी है, दूसरे आपके पेपर लीक का मनोविज्ञान समझना होगा। देखिए जब कोई पेपर लीक होता है, तो वो बुरा नहीं होता, उसका फायदा ये होता है कि बच्चों में ये आशा बनी रहती है कि चलो इस बार लीक हुआ है, यानी एक अटेम्पट अभी और दिया जा सकता है।



ऐसे में हमारे देश में नौजवान असंतुष्ट हो ही नहीं सकते। ये जो आप नौजवानों को पुलिस से पिटता हुआ देखते हो, ये सब विपक्ष की चाल है, और हमारे नौजवान भी ये जानते हैं, इसलिए ये कभी नेपाल जैसे हालात यहां नहीं आने देंगे। ऐसा मुझे विश्वास है। 

हमारे देश में महिलाओं का बड़ा सम्मान होता है। इस मामले मे ंतो हमारे विश्वगुरु महामानव ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसका मुकाबला पूरी दुनिया में कोई नही ंकर सकता। हमारे देश में एक ढोंगी संत बना हुआ था, जिस पर बलात्कार का आरोप सिद्ध हुआ है, वो जेल में पड़ा हुआ है, इसमें कोई ढील नहीं है, दूसरा एक मंत्री था, उसे भी जेल में डाला गया है, तीसरा हालांकि बाहर आया है, पर इसके लिए कोई दबाव किसी पर नहीं था, वो तो खुद पीड़िता ने शिकायत वापस ले ली, वरना.....खैर हमारे देश में बढ़िया सिस्टम है, जिसमें रेप होने पर शिकायत होती है, फिर शिकायतकर्ता खुद शिकायत वापस ले लेती है, जिस पर रेप का आरोप हो, अगर वो सत्ताधारी पार्टी में हो तो उसका समर्थन किया जाता है, ताकि किसी के दिल में कोई शक-शुबह हो तो वो संभल जाए, और आइंदा ऐसी कोई शिकायत सामने ना आ सके। और इसलिए हमारे देश में नेपाल जैसा कुछ होने के चांसेज़ माइनस में हैं, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। 

ऐसे में मेरे दोस्तों, जब हमारे देश में सबकुछ इतना बढ़िया-बढ़िया चल रहा है तो मुझे नहीं लगता कि आने वाले किसी भी समय में भारत में नेपाल जैसे हालत बन सकते हैं। महामानव जिन्हें पूरी दुनिया के नेता अपना नेता मानते हैं, जो पूरी दुनिया की कई-कई यात्राएं कर चुके हैं, जिनके एक इशारे पर युद्ध रुक जाते हैं, वे इस देश के महान, नॉनबायोलॉजिकल पी एम बने रहेंगे, और इसमें चुनाव आयोग उनकी पूरी मदद करेगा। ऐसे में इस देश में नेपाल नहीं हो सकता। बाकी सब चंगा सी। अपनी खैर मनाओ जी

चचा हमारे, यानी चचा ग़ालिब इस बारे में कह गए हैं, एक शेर, सुनिए और सिर धुनिए
कि

तू किसी और से पूछ नेपाल का हाल
मेरे मुल्क के हालात बहुत अच्छे हैं
यहां सब चंगा है, सब चंगा है
बस एक राजा है जो कि नंगा है


थोड़ा बहर इधर-उधर हो जाती है, ग़ालिब के शेरों की यही खूबसूरती है कि पहले मिसरे की बहर दूसरे से नहीं मिलती, खैर चचा की बातेें, चचा ही जानें, हमारा काम आप तक पहुंचाना था, पहुंचा दिया। पर ये तो आप भी मानोगे कि चचा को भी विश्वास था कि यहां नेपाल जैसा काम नहीं हो सकता। समझे कुछ।
बाकी चाहे जो हो, आप देखते रहिए मुझसे मिलते रहिए।

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