गुरुवार, 23 जनवरी 2014

”आप” मंत्रियों की सीधी कार्यवाही...... आम आदमी का इंतजार

”आप” मंत्रियों की सीधी कार्यवाही...... आम आदमी का इंतजार

पहली बात पहले, ”आप” की कार्यवाही से, चाहे वो सोमनाथ भारती का अश्वेत महिलाओं पर हमला हो, या राखी बिरला का पुलिस को किसी के घर का ताला तोड़ने को विवश करना हो, और फिर मुख्यमंत्री का पुलिस अधिकारियों के निलंबन की जिद करने के लिए सड़क पर उतरना हो, और कोई सहमत हो ना हो, मैं सहमत हूं......सहमति के कारण हैं। हम तो भाई लोगों सालों से ऐसी सीधी-कार्यवाही के पक्ष में इंतजार करते आए हैं। हम लोग, जो खुद को जनता मानते हैं, बहुत सारी चीजों से बहुत थके हुए हैं, पुलिस काम नहीं करती, करती है तो पहले रिश्वत मांगती है, रिश्वत मांग कर भी हमारी मर्जी का काम नहीं करती, सरकार हमारी इच्छा का काम नहीं करती, सरकार या नेता-मंत्रियों की जेब लायक रिश्वत तो हमारे खीसे में होती भी नहीं है। इसलिए अगर कानून मंत्री किसी के घर में घुसकर जबरन उसे वेश्या या नशाखोर बताते हुए मेडिकल जांच की मांग करे, तो जनता को उसका साथ देना ही चाहिए। मेरे कुछ मित्रों ने इस बात पर भी काफी होहल्ला मचाया है, मुझे नहीं लगता कि इस पर सोमनाथ भारती की आलोचना की जानी चाहिए, जनता चाहेगी तो हम महिलाओं को नंगा करके सड़क पर दौड़ा लेंगे, और इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। अब घटनाएं कैसे घटीं, यानी पहले शिकायत आई, फिर मंत्री गए, या फिर पहले जनता वहां जमा हो गई, और फिर मंत्री पहुंचे, या घटनाक्रम जो भी रहा हो, उन अश्वेत महिलाओं को कोई अधिकार नहीं था कि जब कानून मंत्री वहां मौजूद हैं, तो वो अपनी इज्जत बचाने के लिए कुछ करती, आखिर वो ”आम आदमी पार्टी” के मंत्री हैं, और आम आदमी पार्टी का मंत्री कुछ भी गलत नहीं कर सकता। 
दूसरी घटना राखी बिरला की है, राखी बिरला ने जब पुलिस से कहा कि उन्हे विश्वस्त सूत्रों ने कहा है कि दहेज-हत्या से संबंधित नातेदार घर में ही छुपे हुए हैं, तो पुलिस को क्या अधिकार था ये सोचने का कि किसी के घर का ताला तोड़ने के लिए किसी वारंट नाम की चीज़ की जरूरत है। जहां ”आम आदमी पार्टी” का मंत्री स्वयं मौजूद हो, वहां कानून की किसी धारा, वारंट, या किसी और चीज़ की जरूरत नहीं होती। सबसे बड़ी बात ये है कि पुलिस बुरी है, भ्रष्टाचारी है, बुरे लोगों का साथ देती है, गरीब आदमी को, आम आदमी को परेशान करती है, और अगर पुलिस ये सब करती है, तो ये सब काम उसे आम आदमी पार्टी के नेताओं और समर्थकों के इशारे पर करना चाहिए, क्योंकि अब ”आम आदमी पार्टी” का राज है, ना कि अपनी मर्जी से।
अब ”आम आदमी पार्टी” का राज आया है, इसलिए अब किसी जांच आदि की जरूरत नहीं है, ”आप” के मंत्री का शिकायत कीजिए और समस्या का तुरंत निदान पाइए, आम आदमी वैसे भी पुलिस, जांच, गवाह, सबूत, न्याय, न्यायालय के चक्करों में बहुत बुरी तरह फंसा हुआ है, होना यही चाहिए जैसा कि आम आदमी के मुख्यमंत्री कह रहे हैं, तुरंत न्याय मिलना चाहिए, अब मान लीजिए कि आपको लगता है कि किसी महिला का चरित्र खराब है, तो आपको बस इतना करना है कि पुलिस थाने में किसी मंदिर या धार्मिक-सांस्कृतिक संस्था के लेटरहेड पर एक शिकायत लिख कर दे दें, कानून मंत्री खुद पहुंच जाएंगे और उस महिला को चुटिया पकड़ कर घसीट लेंगे, उनके समर्थक उनकी इस बहादुराना कार्यवाही पर हल्ला मचाएंगे, और महिला को घेर-घार कर हिसाब पक्का कर देंगे। 
सावधान दुष्टों, राखी बिरला आ गई हैं, अब किसी को कोई छूट नहीं मिलेगी, घरों के ताले तोड़ दिए जाएंगे, किसी तरह की जांच-फांच की, कानून-फानून की जरूरत नहीं है, जो होगा हमारे जोर से होगा, हम वो करेंगे जो चाहेंगे, तुमसे जो बन पड़े वो कर लो। कुछ लोगों का कहना है कि अगर कानूनों में कोई कमी नज़र आती है, तो उनके संशोधन की बात होनी चाहिए, लेकिन ऐसे आरजक काम नहीं होने चाहिएं, मैं इन मित्रों पर लानत भेजता हूं, कुछ मित्रों ने ये भी कहा कि पुलिस बल कानून में संशोधन होना चाहिए, मैं इन मित्रों पर भी लानत भेजता हूं, कानून में संशोधन वो लोग चाहते हैं, जो ”आम आदमी पार्टी” को बदनाम करना चाहते हैं, वरना हमें कानून से मतलब ही क्या है, हम व्यवस्था परिवर्तन नहीं चाहते, हम तो बस ये चाहते हैं कि जो भी हो हमारी मर्जी से हो, और हमारी मर्जी के बिना कुछ ना हो। 
अब मुझे इंतजार इस बात का है कि कब सोमनाथ भारती, राखी बिरला और अरविंद केजरीवाल, बमय विश्वास कुमार, अंबानी आवास पर धावा बोलते हैं, क्योंकि 1. दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाली निजी कम्पनियों में तीन-चौथाई रिलायंस की हैं, और 2. उनके खिलाफ जनता की शिकायत अरविंद केजरीवाल तक चुनाव से पहले पहुंच चुकी थी। भई अब आपने एक उदाहरण सामने रखा है, खिड़की एक्सटेंशन से हमें समझ आया है कि ”आम आदमी पार्टी” की सरकार है, इसलिए जनता की शिकायत पर भीड़ जमा करके मंत्री लोग वहीं और तुरंत फैसला करेंगे तो अब अंबानी की खैर नहीं, बहुत घपला किया उसने दिल्ली की बिजली सप्लाई में, जैसा सोमनाथ भारती ने अश्वेत जनता के साथ किया वैसा ही अंबानी बंधुओं के साथ किया जाएगा। और अगर वो घर में ना मिले तो राखी बिरला की तरह उनके घरों और दफ्तरों के ताले तोड़ दिए जाएंगे। 
अब ये ना कहिएगा कि जांच चल रही है, देखिए किसी शिकायत पर जांच होगी, और किसी शिकायत पर तुरंत कार्यवाही होगी, तो ये तो असमानता वाली बात होगी। भई खिड़की एक्सटेंशन वाली घटना पर सीधी कार्यवाही होगी, क्यों? और अंबानी वाली शिकायत पर पहले ऑडिट होगा, फिर जांच होगी, फिर कार्यवाही होगी? ऐसा क्यों? क्या इसलिए कि अंबानी आम आदमी नहीं है, और आम आदमी की सीधी कार्यवाही भी सिर्फ आम आदमी पर होती है। खास आदमियों के लिए ”आम आदमी पार्टी” खास तरीके से काम करती है। 
अगर शिकायत की कमी है, तो इसे मेरी तरफ से शिकायत ही समझ लिया जाए, मैं दिल्ली के मुख्य मंत्री से शिकायत करता हूं कि 
खैर मुझे पूरी उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा, अंबानी और टाटा थर-थर कांप रहे होंगे और भारती-बिरला अंबानी आवास, जो मुझे यकीन है खुद किसी बस्ती से कम नहीं होगा, पर हमले की तैयारी के लिए कमर कस रहे होंगे, आम मुख्यमंत्री केजरीवाल, अंबानी आवास पर इस हमले के बाद गृहमंत्री या हो सकता है सीधे राष्ट्रपति कार्यालय पर धरने की तैयारी करें, लेकिन जो भी हो, अगर ”आप” के इन आम मंत्रियों का ये सीधी कार्यवाही से प्रेरित हमला ऐसे घपलों घोटालों पर होगा तो हमारा समर्थन ”आप” को होगा ही होगा। क्यांेकि आम आदमी अब अंबानी आवास पर इन मंत्रियों के हमले का इंतजार कर रहा है।

शनिवार, 11 जनवरी 2014

सूरज के घोड़े - पहला घोड़ा

सूरज के घोड़े 

पहला घोड़ा


शाम हुई नहीं कि इनका रिरियाना चालू, काहे कि दवा-दारू का टैम हो गया है। बिस्तर से उठा नहीं जाता, हगना-मूतना तक खटिया पर ही होता है, लेकिन दवा दारू के लिए हाय-हाय किए जाएंगे। उर्मिला भी दिए जाती है, किए जाती है। लोगों के यहां काम करने जाती है, तो खाने को मिलता है, वही बांध-बूंध के ले आती है, रोटी चबाना तो इनके बस का है नहीं, इसलिए पानी में घोल के सत्तू जैसा बना के पिला देती है, कभी कोई मोटा निवाला अटक जाए गले में तो आफत हो जाती है, उंगली हलक में डाल कर निकालना पड़ता है। 
पता नहीं भगवान किन करमों की सजा दे रहा है, सजा क्या अभी दे रहा है, जबसे पैदा हुई है सजा ही तो भुगत रही है। किस्मत की ऐसी धनी है कि जब पैदा हुई उसके एक ही साल बाद अपने इकलौते बड़े भाई को खा गई, और जब तीन की हुई तो पिताजी को खा गई। ये इसकी समझ में अब तक नहीं आया कि ये ही कैसे खा गई, किसी और के माथे भाई और पिता की हत्या का आरोप क्यों नहीं आया। ......पर सब करमों का परताप है, जो लड़की बनके पैदा हो वो तो वैसे ही अभागा होता है, फिर अभागे पर ही बुरे करमों के आरोप लगते हैं। इंसान जब अच्छे करम करता होगा तो अगले जनम में लड़का बनता होगा, बुरे करम करता होगा तो कुत्ता, सूअर की जगह भगवान उसे लड़की बना देते होंगे, हां, उन जानवरों की जिन्नगी लड़कियों से तो अच्छी ही होती होगी। 
बच्ची रही तो भूखी रही, कि लड़के को मिलेगा, जब लड़का गया तो इसलिए भूखी रखी गई कि पूर्व जन्म के पापों का प्रायश्चित करे, लेकिन पाप ज्यादा थे, इसलिए बाप मर गया तो भूखी रही कि खाने को घर में कुछ था ही नहीं, अब अपना पति है, अपने बच्चे हैं इसलिए खाने को पूर नहीं पड़ती। लोग झूठ ही कहते हैं कि जिसने मुहं दिया है वो दाना भी देगा, कहना ये चाहिए कि अगर पेट भर नहीं दे सकता तो पेट दिया ही क्यों था। नहीं.....भगवान के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए। भगवान से वो बहुत डरती है, वो छोटी सी थी, जब भगवान नाम के पड़ोसी दुकानदार ने दुकान के अंदर ना जाने उसके साथ क्या-क्या किया था, उससे वो इतना डरती थी कि रात को उसे नींद तक नहीं आती थी, कि अगर बंद आंखों में उसका सपना आ गया तो क्या होगा, और मां थी कि उधार लेने के लिए उसे ही भेजती थी, ना जाओ तो मां पीटती थी ओर जाती थी तो.........भगवान......। 
उसका पति बचपन में घर से भाग गया था, साधू बनने, मां बाप का इकलौता था, इसलिए सबने खूब ढंूढ़ा, कई सालों तक गायब रहा, फिर जैसे गया था, वैसे ही एक दिन वापस आ गया, मां-बाप ने अच्छा सोचा, लेकिन डरते तो थे ही कि कहीं फिर ना भाग जाए, और कोई अपनी लड़की भी देने को तैयार नहीं था, कि कहीं शादी करके भाग जाए तो......तो लड़की का क्या होगा, और उसकी मां तो जैसे इसी इंतजार में थी कि कोई इस तरह का लड़का-विड़का मिल जाए तो उसका ब्याह कर दे......मां के अच्छे करम और उसके बुरे करमों के बदौलत वो लड़का उसका पति हो गया.....। जिसने अपनी आधी जिंदगी बेकार घूमने और मांग कर खाने में गुजारी हो, वो किसी हालत में मेहनक करके खाने का हामी नहीं हो सकता, लड़के ने ना तो शादी से पहले कभी काम किया था, ना ही शादी के बाद काम किया, साधुओं की संगत में उसे दो चीजों की घनघोर लत लग गई थी, एक गांजा और दूसरा .......कहा नहीं जाता, यूं कह देना चाहिए, फिर भी उसके साथ दो बच्चे पैदा कर दिए ये क्या कम चमत्कार है। 
चमत्कार तो ये भी है कि ऐसे बुरे करमों के बावजूद उसके दोनो बच्चे लड़के पैदा हुए, और दोनो ही अब तक जीते हैं, लेकिन लोग कहते हैं कि उसके बुरे करमों का नहीं, ये उसके पति के अच्छे करमों का फल है, जिसने अपनी आधी जिंदगी साधू बनके ईश्वर की सेवा में लगा दी। लड़के अच्छे करमों का फल होते हैं और लड़कियां बुरे करमों का फल होती हैं। उसकी मां, उसकी सास, और जमाने भर की सब बड़ी-बूढ़ियां उसे यही समझाती रहीं कि उसे अपनी पति की जी जान से सेवा करनी चाहिए, कि उसके बुरे करम तभी कटेंगे जब वो अपने पति की सेवा करेगी। और वो करती रही......
पहले मां मरी, फिर सास, ससुर.....घर में खाने को कुछ नही हो तो इंसान क्या कुछ नहीं करता। उसके पति को तो कोई ना कोई खाने को दे ही देता था, अपने गांजे का जुगाड़ भी पति कहीं ना कहीं से कर ही लेता था, और अपनी सधुक्कड़ी में इतना मस्त रहता था कि उसे कोई फरक नहीं पड़ता था कि उसे बीवी-बच्चों ने खाया या नहीं, लेकिन उसके अच्छे करमों के सदके जो बच्चे पैदा हुए थे, उनका पेट भरने की जिम्मेदारी, ईश्वर की नहीं उसकी थी, और वो उसे किसी ना किसी हीले से पूरा करती थी। कभी मांग कर, कभी चुरा कर.......वो जानती थी कि इस जनम में उसका मांगना और चुराना उसे अगले जनम के लिए भी अभिशप्त कर रहा है, लेकिन ये जनम किसी तरह कटे.....सोच कर वो जो बन पड़ता था वो करती थी। 
फिर किसी की मेहरबानी से उसे झाडू-बुहारू का काम मिल गया। साफ-सफाई करो, और इतना मिल जाता है कि भूखे नहीं मरना होता, हालांकि खाने को अब भी आधे पेट ही मिलता है, लेकिन कम से कम कुछ दाने तो पेट में पड़ते हैं। अगर एक घर और मिल जाए तो शायद पेट पूरा भर जाए। तब से लेकर अब तक वो एक घर के काम से पांच घरों के काम तक बढ़ गई है लेकिन......उसका पेट अब भी नहीं भरता।
पति को लकवा मार गया, फिर बेटे का पैर कट गया, एक बेटा बीमार पड़ गया। उसके खराब करमों की छाया उसे पूरे परिवार पर पड़ रही थी, और पति के अच्छे करम मांदे पड़ रहे थे। फिर अपनी जान को काट-काट कर उसने जितना हो सकता पति का इलाज करवाया, बेटों का इलाज करवाया और.....और....इसी तरह दिन कट रहे हैं, सूरज रोज निकलता है, रोज छुपता है, रोज दिन कटते हैं, उसके करम भी कटते हैं, शायद किसी दिन उसके पिछले जनमों के करम कट जाएंगे सारे, वो भी लड़का हो जाएगी, या शायद उसके दिन फिर जाएं, जैसे अक्सर ईश्वरीय कथाओं में लोगों के फिरते हैं, कहते हैं, घूरे के दिन भी फिरते हैं, 12 साल में, क्या उमर हो गई उसकी, कई 12 गुजर गए, उसके दिन नहीं फिरेंगे, उसके पुराने जनम के करम बहुत ज्यादा बुरे हैं, उसके दिन नहीं फिरेंगे। 
रात हो गई है, कल जब सबेरा होगा तो वो फिर अपने पुराने जनम के करमों को काटने निकलेगी, और सूरज के ढलते ना ढलते अपनी पूरी ताकत भर इस कटान में लगी रहेगी......शायद उसके करम कट जाएं और वो अगले जनम में लड़का पैदा हो......

महामानव-डोलांड और पुतिन का तेल

 तो भाई दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है, लेकिन इन जलकुकड़े, प्रगतिशीलों को महामानव के सिवा और कुछ नहीं दिखाई देता। मुझे तो लगता है कि इसी प्रे...