ताजपोशी
लीजिए साहब, ताजपोशी हो गई। अब ताजपोशी तो बनती ही थी। मोदी पहली बार संसद पहुंचे तो उनकी आंखे, गला, और शरीर के कई और हिस्से भर आए। लोगों ने कहा ”घड़ियाली आसूं हैं” हमने कहा, ”ये घड़ियाली आंसू नहीं हैं, ये धांसू आंसू हैं, अरे भई, रोना तो किसी को भी आ सकता है, कोई छाती पीट-पीट कर रोता है, कोई जेब से रेशमी रूमाल निकालता है और हल्के से आंख पोंछ लेता है, कोई आंसू बहने देता है ताकि खबर बन सके। खैर खबर की चिंता वो करें, जो लाठी-गोली खाएं, नारे लगाते-लगाते गला खराब कर लें, लेकिन खबर ना बन सकें, यहां तो छींक भी मार दें, तो एन डी टी वी और आज तक खबर यूं बनाएं, ”परसाई के शब्दों में, ”दर्शकों को याद दिला दें कि जब बुद्ध ने गृहत्याग किया था तो उन्होने ऐसे ही छींका था”। वैसे मेरी मानिए तो रोने-रवाने को छोड़िए, कई देखें हैं, दर्जनों लोगों की हत्या में जेल काट रहे हैं लेकिन बेल का ऑर्डर मिला तो आंखों में आंसू आ गए, एक साहब तो कोर्ट में रेप करना स्वीकार कर रहे थे, और रो पड़े, तो आंसू तो किसी को भी आ सकते हैं साहब, इनकी बातें मत करो। लेकिन यहां बात आंसुओं की नहीं होने वाली क्योंकि वो कल की खबर थी, बासी। आज की ताजी खबर यूं है कि भव्य ताजपोशी हुई, भव्यता में और फूहड़ता में कोई खास फर्क आमतौर पर नहीं देखा जाता, और यूं भी भव्यता और फूहड़ता में सामंतवाद का कोई सानी नहीं है। तो ताजपोशी में जो भव्यता थी वो भयावह थी, और फूहड़ता का आलम ये था कि सुना किसी नवे-नवे मंत्री का बेटा प्यास के मारे गिर पड़ा लेकिन पीने को पानी की एक बंूद नहीं थी।
ताजपोश्ी हुई और भव्य हुई, टीवी चैनल्स की माने तो भव्यतम हुई, इसमें तम् शब्द का अनर्थ कृप्या ना करें। ये किसी अंधेरे भविष्य की तरफ इशारा नहीं है। मोदी ने अपनी ताजपोशी बिल्कुल ऐसे की जैसे किसी राजा की ताजपोशी हो रही हो, सात देशों के राजाओं को न्यौता दिया गया, जब वे आए तो उनके चरणों पर फूल बरसाए गए, गुलाबजल भी छिड़का ही गया होगा, फिर सुना कि किन्ही साहब चारण ने विशुद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम भी दिया, और भोज भी हुआ। यानी कि लगभग वो सभी काम हुए जो इस तरह के भव्य सामंती समारोह में हो सकते हैं। भव्यता का आलम ये कि इससे महत्वपूर्ण कोई और खबर थी ही नहीं, गोरखधाम एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ, सिफर, दंगे हुए, सिफर, लोग मरें, सुसरे मरते ही रहते हैं, उसकी क्या खबर बनानी, खबर भव्यता की हो, तो खुद भव्य हो जाती है, इसलिए सारे चैनल इस भव्यता के भव्य में डूबे रहे।
जो नहीं हुआ, जिसका मुझे भव्य दुख है, वो ये कि सभी सामंती संस्कार पूरे नहीं हुए। यानी? यानी कुछ चीजें हैं जो होनी चाहिए थीं, जो राजाओं की ताजपोशी पर अक्सर होती हैं। जैसे रात को रंगारंग कार्यक्रम होने चाहिए थे, अब भी हो सकते हैं, इंडिया गेट के लॉन में रंगीन बत्तियां लगा कर खूब रंगीन नाच होना चाहिए था, गरीबों को कम्बल, खाना, और बाकी चीजें बांटनी चाहिए थीं, और शुभेच्छा के तौर पर कुछ कैदियों को छोड़ देना चाहिए था। अब ये नहीं हुआ इसलिए मुझे ये ठीक नहीं लगा। मोदी को शपथ ग्रहण के बाद ये करना चाहिए था कि कुछ तीन-चार सौ कैदियों की रिहाई की घोषणा कर देनी चाहिए थी, पुराने जमाने में राजा लोग यही करते थे, जो हत्या, लूट आदि अपराधों में बंद हों, उनकी रिहाई हो जाए, मुझे उम्मीद है कि ये होगा, हो सकता है कि इसमें कुछ देर हो रही हो, लेकिन उम्मीदन वो सभी लोग छूट जाएंगे जो काफी अर्से से हत्याओं के सिलसिले में जेल में बंद हैं।
कुछ लोगों ने आस-पड़ोस से ताजपोशी के इस भव्य समारोह में बुलाए गए राजाओं पर आपत्ति की है, लेकिन ये गलत है, अपने देश में हजारों, लाखों तमिलों का जनसंहार करने वाले राजपक्षे, के चरणों में सुंदरियां गुलाब की पंखुड़ियां डालें, और फिर उनके कपड़ों पर गुलाबजल छिड़कें, बताइए, ऐसी तस्वीर कहां मिलेगी आपको। कुछ अराजकों का कहना है कि भई चीन को क्यों नहीं बुलाया, अरे बेवकूफों, एक तो सात का अंक शुभ होता है, जो सार्क देशों के साथ पूरा हो गया, फिर चीन अमेरिका विरोधी है, किसी अमेरिका विरोधी को बुलाकर मरना है क्या, और अभी तो सम्राट ”चक्रवर्ती” नहीं हुए हैं, अभी से अमेरिका से बैर क्यों मोल लें भला।
पुराने जमाने के राजा लोग ये भी करते थे कि ताजपोशी के फौरन बाद इधर-उधर शादी के लिए राजकुमारियों की तलाश में खोजी दौड़ा देते थे, अब ये हो सकता है या नहीं, इस पर बात हो सकती है।
बाकी रही चारण-भाटों की बात, तो अभी के सभी मीडिया चैनल इस कमी को बखूबी पूरा कर रहे हैं। इस भव्य ताजपोशी का सीधा प्रसारण रहा, फिर उसका पुर्नप्रसारण रहा, फिर पुर्नप्रसराण को कई संर्दभों में गर्दभ राग की तरह दिखाया जाता रहा, और उम्मीद है कि आगे भी दिखाया जाता रहेगा। मेरी इन सलाहों की तरफ ध्यान देकर अगर इस तरह के कार्यक्रम हों तो दिल अति प्रसन्न होगा और ताजपोशी के सभी सामंती संस्कार पूरे होंगे ऐसी कामना है।

Good one
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