जब पुल टूटा तो उन्होने कहा कि ये भगवान की मर्जी है। चुनाव के दौर में वैसे भी जिससे मिल जाए मदद ले लेनी चाहिए......उनका कहना था कि भगवान भी यही चाहते हैं कि ममता बंगाल में हार जाए। ठीक भी है, हो सकता है कि भगवान यही चाहते हों, आखिर वो भगवान से सीधे बातें करते हैं। क्या बातें करते हैं वो ही जाने, उनके भक्त हमें लगातार यही विश्वास दिलाते रहे हैं कि 1. वो भगवान का प्रसाद हैं, 2. वो भगवान का अवतार हैं 3. वो खुद भगवान हैं। इस तर्क से देखा जाए तो ये सारा किया-धरा उन्हीं का है। ये मैने नहीं कहा, मैने तो सिफ दो जमा दो करके जवाब चार निकाला है। अभी कोलकाता में पुल गिरा, भगवान की मर्जी से ही सही, लेकिन केरल में खुद भगवान के घर में आग लग गई, इसमें भी सरासर भगवान की मर्जी रही होगी। अपना घर फूंक के तमाशा देखना और किसी और के बस में हो तो बताइए। आज भले ही प्रॉपर्टी के रेट डाउन हैं, लेकिन तो भी घर मिलना कितना मुश्किल है, ये आम आदमी ही बता सकता है। तो ऐसे में बस दो ही तरक के लोग हो सकते हैं जो अपना घर फूंक के तमाशा देखें, एक भगवान और दूसरे जो खुद को भगवान से भी दो-चार हाथ उपर समझते हैं।
आप क्या समझे मुझे मालूम नहीं है। खैर, मेरा सवाल कुछ और था, आज के एक्सप्रेस में जहां केरल के मंदिर की आग पर विस्तार से रिपोर्ट थी वहीं कहीं एक छोटी सी खबर ये भी थी कि संसद भवन की एनेक्सी में आग लगी। अब जब हम पुल गिरने जैसी घटना के पीछे चुनाव में किसी एक पार्टी की हार जैसा तर्क दे रहे हैं तो भई संसद भवन की आग के पीछे भी तो कोई तर्क होगा। मेरी साधारण बुद्धि तो यही कहती है कि लगे हाथ उनसे पूछ लिया जाए कि, इस पर भी कोई ब्रहम् वाक्य बोल ही दीजिए। क्या है ना कि भक्तों को सुभीता हो जाता है। वो वैसे ही अपना दिमाग चलाने से बाज़ आए लोग हैं, आप कुछ ज्ञान ढीला करेंगे तो वे उसे ही लपेट लेंगे, सुभीता रहेगा। वैसे भी संसद भवन की आग में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन जैसे कोई एक हादसा भगवान की मर्जी से हुआ है वैसे ही दूसरा हादसा भी तो भगवान की मर्जी से हुआ होगा। तो अब बताइए, संसद भवन की आग से भगवान आखिर क्या संदेस देना चाहता होगा। आप काफी अक्लमंद हैं समझ जाएंगे।
इधर मध्य प्रदेश में भी सुना है हादसा हुआ और काफी लोगों के मरने की खबर है। भगवान भी अजीब मजाक कर रहा है, बंगाल, केरल, आदि राज्यों में हादसों के पीछे भगवान की मंशा समझ में आती है कि भगवान वहां सरकार बदलना चाहता होगा, लेकिन इधर संसद भवन में भी भगवान आग लगा दे रहा है, उधर मध्य प्रदेश में भी हादसा करवा दे रहा है। मुझे लगता है कि अब तब भक्त लोग भगवान की फिरकी ले रहे थे, अब भगवान खुद भक्तों के प्रिय भगवान की फिरकी ले रहा है। बड़े तो बड़े छोटे भगवान ने भी संसद भवन की आग और मध्य प्रदेश के हादसे पर अपनी जुबान नहीं खोली।
कहीं भी किसी भी हालत में हो, हादसे में कोई मरता है तो हमें दुख होता ही है, दुख की घड़ी में हम निक्कर पहनते हैं। और हादसे में फोटो खिंचवाने या बयान देने चले जाते हैं। वो अपने साथ डॉक्टरों की भीड़ लेकर गए थे, केरल में ताकि भगवान के घर की आग से जिस-जिस को नुक्सान हुआ हो, उसे इलाज मिल सके। लेकिन ठीक इसके पहले उन्हीं की पार्टी के लोग, भगवान के घर में आतिशबाजी की इजाज़त ना देने वाले मुस्लिम पदाधिकारियों के खिलाफ साम्प्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे। अब वो क्या करेंगे, बल्कि बड़ी बात है कि अब भक्त लोग क्या ट्वीट करेंगे। अब ये लोग किसकी मां-बहन को गालियों से नवाजेंगे, अब किसके शरीर के अंग विशेष को निशाना बनाया जाएगा। इनकी तो मुसीबत हो गई, खैर हो कि स्वामी जल्दी से कोई ट्वीट करें, जिसमें सीरिया की किसी मस्जिद की आग को या वहां के किसी समारोह को भारत के किसी मस्जिद का फोटो बताया जाए और उसके ज़रिए अफवाह फैलाई जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो देख लीजिएगा जरूर होगा।
और सबसे बड़ी बात, अनुपम खेर कहां रह गए। या वो सिर्फ कैंपस मामलों के विशेषज्ञ हो गए हैं। जे एन यू चले गए, फिर श्रीनगर चले गए, खुद को राष्ट्रीय मामलों का विशेषज्ञ बनाने का उनका ये जो हालिया जुनून है, जरूर किसी बड़े षड्यंत्र का पुर्वाभास है। क्योंकि और किसी हादसे पर ना उनका ट्वीट चलता है और ना जुबान। खैर खेर की बात चली है तो दूर तलक जाएगी, मंदिर हो या मध्य प्रदेश उनसे किसी बयान की या कम से कम संवेदना वाले संदेश की भी उम्मीद मत कीजिएगा, उनकी संवेदना राष्ट्रीय और राष्ट्रविरोधियों तक ही सीमित है।
चुनावी बेला चल रही है, जिन-जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, हो रहे हैं, और हो रहे हैं वे सब अपनी खैर मनाएं, अभी धरती वाले भगवान और उपर वाले भगवान जाने क्या-क्या कहर बरपा करने वाले हैं, भगवान ही जाने, या......आप खुद समझदार हैं।

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