शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

मैट्रो - दिल्ली - अश्लीलता




वैसे दिल्ली मैट्रों में जो हुआ, वो गलत था, अगर अब भी हो रहा है तो गलत ही हो रहा है। प्रेम का प्रदर्शन भारतीय सभ्यता में इतना अश्लील तो कभी ना था। मुझे पता है, अभी भारतीय सभ्यता में मीन-मेख निकालने वाले, कृष्ण द्वारा गोपियों के कपड़े चुराने वाले प्रसंग का उल्लेख करने लगेंगे, लेकिन मेरे भाई, कृष्ण ने गोपियों के सिर्फ कपड़े चुराए थे, उनके साथ वो सब नहीं किया था जो मैट्रो में आप लोगों ने देखा। फिर कृष्ण को गोपियों के साथ एक अलग किस्म का, खास वाला रिश्ता था, मुख मैथुन की बात तो वो सोच ही नहीं सकते थे, और सौ बातों की एक बात, उस समय मैट्रो होती ही नहीं थी, और ये सब जो दिखाया गया, वो जमुना में नहीं हुआ था, मैट्रो मे हुआ है।

याद रखिए, मैट्रो में, वैसे मैट्रो में हो या पार्क में, गली में हो या घर में, सवाल इसके होने का है, ये जो हुआ वो बहुत गलत हुआ है। क्योंकि प्रेम का प्रदर्शन भारतीय सभ्यता में इतना अश्लील तो कभी ना था, लड़की को देखते ही गश खाकर गिर जाना, दोनो का एक दूसरे की विरह में गर्म सांसे छोड़ना, सूख कर कांटा हो जाना, भूख-प्यास खत्म हो जाना, आदि-आदि, जैसे सुसंस्कृत तरीकों से प्रेम प्रदर्शित कीजिए, ये क्या कि आप लोग मिलने लगो, हाथ-वाथ पकड़ने लगो, या और भी अंतरंग दिखने की कोशिश करो, ऐसे काम कहीं भी अच्छे नहीं लगते, ऐसे कामों पर बैन लग जाना चाहिए। बल्कि मैं तो ये तक कहूंगा कि दुनिया के कोने-कोने पर, हर घर में, बिना किसी जगह को छोड़े, खुफिया कैमरा लगा होना चाहिए, अगर कोई इस तरह की कोई अश्लील हरकत करता हुआ देखा जाए, तो फौरन उसे गोली मार दी जाए। इस तरह की कोई भी हरकत, चाहे वो आप अपने बेडरूम में ही क्यों ना करें, तब तक अलाउ ना की जाएं, जब तक कैमरा के सामने आप अपना आयु प्रमाण पत्र, मय मैरिज सर्टिफिकेट के पेश ना करें। 

मैं जानता हूं कि आप कहेंगे कि ये छोटे अपराध की बड़ी सजा होगी, लेकिन याद रखिए कि जनता को ऐसे ही डरा-धमका कर, गोलियों के साए में हम शांति, सभ्यता और संस्कृति की बात कर सकते हैं। अब यही देखिए, कश्मीर एक रोमांटिक जगह थी, स्वर्ग कहते थे लोग उसे, कुछ बेवकूफ अब भी कहते हैं, हमने वहां फौज लगवा दी, अब स्वर्ग में फौज बैठी गोलियां भांज रही है, बलात्कार कर रही है, रोमांस गया भाड़ में, भागा दुम दबाकर, रंज यही है कि स्स्साल्ला यही रोमांस शायद दिल्ली मैट्रों में घुस गया। 

दुख ये भी है कि दिल्ली मैट्रो जैसी, विश्व विख्यात सर्विस को बदनाम कर दिया गया है। दिल्ली मैट्रो में खाना खाना, गाना गाना, नियत जगह के अलावा कहीं बैठना, हंसना, मुस्कुराना, तेज़ चलना, आदि, सब मना है। ऐसे में दिल्ली मैट्रो में ऐसी हरकतें, सच कहें दिल पर कटारी चल गई। अब आप ही बताइए, फौज ने हजारों बलात्कार किए, पुलिस ने हजारों बलात्कार किए, नेता लोग रोज ही ना जाने कैसे-कैसे कुकर्म करते हैं। पर कभी किसी ने ऐसा सब किसी सार्वजनिक जगह पर नहीं किया, और ना ही ये सब कैमरा में टेप हुआ। ये होता है सभ्य सभ्यता का सभ्यतापूर्ण आचरण। ऐसे ही थोड़े कि गए मैट्रो में और अंट-संट सब करने लगे। वैसे आप ये सब कहीं भी करें, ये सब टेप हो सकता है, टेप लीक हो सकता है, आप चाहें ना चाहें सारी दुनिया के सामने आ सकता है, इसलिए एक तो ये कहना कि आप ये सब एकांत समझ कर ही कर रहे थे, गलत है, क्योंकि आखिर तो हमको दिख ही गया ना कि आप क्या कर रहे थे, और आपको ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। समझे आप?

मेरे हिसाब से, ये जो यंग जेनरेशन, खराब हो चुकी है, मेरा मतलब जिसकी संस्कृति भ्रष्ट हो चुकी है, उसे देश निकाला दे देना चाहिए और बाकि अपने देश में सिर्फ उन युवाओं को रखना चाहिए, जो इस तरह की सभ्यता के विरोध में, लाठिया, तलवारें, चाकू, त्रिशूल या इस तरह के जो हथियार हथियाए जा सकते हैं, उनका प्रयोग करते हैं। ये खास वाली यंग जेनरेशन अपना नाम, काम, और चरित्र बंदरों, भालुओं जैसा रखती है, दुनिया की हर महिला को अपनी मां-बहन मानती है, दूसरे धर्मों को छोड़ कर, क्यूंकि उनके साथ तो आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं, कुछ अपने ही धर्म में जो नीची जात के हैं, उन महिलाओं को भी छोड़कर, क्योंकि उनके साथ तो कुछ भी किया जा सकता है, बाकी जो महिलाएं बचीं, उनमें जिनसे विवाह करना है, उन्हे छोड़कर सबको मां-बहन मानते हैं। ये जो भी करते हैं, वो अंधेरे में, सीढ़ी के नीचे वाले कमरे में, खेत में, या मंदिर के पीछे करते हैं, वहां खुफिया कैमरा क्या, बिजली तक नहीं होती। अगर कभी कैमरा आता भी है तो तभी जब ये खुद ऐसा चाहते हैं, यानी जब सार्वजनिक रूप से लड़कियों की बेइज्जती करनी हो, उन्हे परेशान करना हो, जैसी चीजें.....वरना कोई मजाल की इनकी हरकतों को कोई कैमरा में पकड़ भी ले। 

खैर बात का लब्बो-लुबाब ये है साहब कि दिल्ली मैट्रो में जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था, और इस ”कांड” का दोष फुटेज लीक पर नहीं डाला जा सकता, क्योंकि मैट्रो के बोरिंग सफर को, थोड़े ही कोई लीक करता, कोई मसालेदार-चटकारेदार फुटेज को तभी तो उसे लीक किया जा सकता है। इसलिए मैट्रो गार्डस्, पुलिस, सी बी आई, सी आई डी आदि को इस बात की जांच करनी चाहिए कि इस तरह की हरकतें करने वाले, मैट्रों में ना बैठें, पार्कों, गलियों, नदि किनारों, समुद्र के बीचों, या ऐसी कोई भी जगह जो हों, उनमें ना जा सकें। इसके अलावा ये कोशिश भी की जानी चाहिए कि इस तरह के समय में जब डिब्बे खाली होने की संभावना हो तो वहां कोई ना कोई छुप कर बैठा रहे, ताकि अगर कोई ऐसी हरकत करने की कोशिश करे, तो उसे रंगे हाथों, दबोचा जा सके। बाकी लीक करने वालों को धन्यवाद कि उन्होने ऐसी राष्ट्रीय शर्म वाली चीज की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करवाया, हमे उम्मीद है कि वे आइंदा भी इसी तरह अन्य सार्वजनिक जगहों पर लोगों के निजी आचरण को खुफिया तरीके से टेप करके, सार्वजनिक करते रहेंगे। 

5 टिप्‍पणियां:

  1. भाई मेरे सर-कसम समझने के लिए सब शायद तैयार न होन। या फिर यूँ कहें की कई बार जानबूझ कर ना समझने में फायदा हो। कई लोग शायद इस आलेख के शब्दों को उपरी तौर पर समझें और तुम्हें राईट-विङ्ग फुन्दमेंतालिस्ट सम्जः बैठें।

    पसंद आया। समझ में आएगा इसका वादा नहीं कर सकता।

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  2. comment ke liye shukriya, mere right wing fundamentalist hone ka koi khatra nahi hai, kyunki mujhey communist ke naam se itni gaaliyan mil chuki hain ki ab to mujhey right wing kahne waale ko khud hi sharm aa jaayegi

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