सच के कई चेहरे होते हैं, मेरे दोस्त.....
तुम्हारा सच,
झूठ कहने, सुनने और समझने की आज़ादी देता है
सच कहने, करने से रोकता है
खूबसूरती को हर उस जगह तलाशता है
जहां
अशक्त देहों की परछाइयां झलकती हैं
जहां
बेदम, बेकस, लाचार इच्छाओं की लाश
सुलगती रहती है ताउम्र
जहां
हर इंसान को
किसी दूसरे इंसान का हक मारने का
”हक” दिया जाता है
जहां भूख
महज़ एक एडवेंचर होता है
मेरा सच
हर दरार से
हर सेंध से
हर जबान से
तडप कर निकलता है
निकलने के लिए तड़पता है
तुम्हारा सच
कई आयामों वाला
कई रास्तों वाला
कई सूरतों वाला होता है
जिसकी खूबसूरती
अखबारों के मुखपृष्ठ से झांकती है
टीवी की स्क्रीन पर दिखाई देती है
रेडियो के एफ एम चैनलों में हंसती है
जिसका हर रेशा
दूसरे से अलग होता है
मेरे सच की
जुबान काट दी जाती है
आवाज़ दबा दी जाती है
सुरों को गोलियों के शोर में दबा दिया जाता है
और फिर मेरे सच की लाश को
”मास ग्रेव” बना दिया जाता है
ताकि कोई पहचान भी न सके।
तुम्हारा सच
बहुत साधन सम्पन्न है
बहुत धनवान है
बहुत शिक्षित और शालीन है
मेरे सच के पास
सिवाय हाथों के
और कुछ नहीं है
सिवाय हिम्मत के
और कुछ नहीं है
सिवाय अपने अहसास के
और कोई ज्ञान नहीं है
तुम्हारे कई सच हैं मेरे दोस्त
तुम्हारे पास कई रास्ते हैं
मेरा एक ही सच है
एक ही रास्ता है
सच का रास्ता.....

sundar likha hai.. :) reflecting clear divide.. well portrayed with neat knitting of words..
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