चित्र गूगल साभार
सुन-सुन कर कान पक गए, उफ! धूर्त, पाखंडी, मूर्ख, धंधेबाज़.....ना जाने पिछले कुछ दिनों में बाबा आसाराम के लिए मैने क्या-क्या नहीं सुन लिया। बोलने वाले बोलते हैं, रुकते थोड़े ही हैं। तुम जो ये सब बोल रहे हो, जो भी बोल रहे हो, क्यों बोल रहे हो, अधम हो तुम सब, धर्म के रास्ते पर इस तरह के विचार, रे बाबा’ उफ... सुन कर कान पक गए। बाबा आसाराम ने ऐसा क्या कर दिया कि तुम सबने उन्हे ना जाने क्या-क्या कहना शुरु कर दिया। तुम लोग तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे बाबा ने धर्म से विमुख कोई काम कर दिया हो। तुम नासमझ लोग, विधर्मियों जैसी बातें शायद इसलिए कर रहे हो, क्योंकि तुम्हे सच्चा ज्ञान नहीं है, असल में वे लोग जिन्हे धर्म का, धर्म की मर्यादा का, धर्म की असीमित महानता का, धर्म की धार्मिकता का, धर्म के इतिहास का ज्ञान है, वे सभी बाबा आसाराम के कृत्यों का गुणगान ही कर रहे हैं। लेकिन जो धर्म की महानता से अज्ञान हैं, वे अज्ञानवश ही बाबा के विरोध में इस तरह की बातें कर रहे हैं जैसे बाबा ने कोई अपराध किया हो।
सच कहूं तो ये सब पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के दुष्प्रभाव का फल है जो बाबा आसाराम को जेल जाना पड़ा है, उनके पद-पूजकर, उन्हे पुष्प मालाएं पहना कर, उनकी मूर्तियां बनानी चाहिएं, अगर मूर्ति ज्यादा लगे तो कम से कम ग्रंथों में पूज्यनीय तरीके से उनका जिक्र किया जाना चाहिए। उन्होने वही काम किया है जो धर्म के अनुसार सभी ऋषि-मुनि, बाबा, साधु-संत आज तक करते आए हैं। तुम पूछते हो कि ऐसा क्या...तुम्हे ज्ञान नहीं है। बताओ ज़रा मत्स्यगंधा के साथ आखिर क्या हुआ था। ऋषि पराशर ने उसे बीच नदी में नाव पर ही दबोच लिया था, और उसका तुमने क्या किया, वो तुम्हारे महान पुरुषों में है, और ये तो अभी एक ही उदाहरण है, तुम्हारे वेद, पुराण, कथा कहानियों के हर पन्ने पर इस आशय के उदाहरण भरे पड़े हैं। बाबा आसाराम ने वही किया, जो परंपरा है, जिसके अनुसार साधु-संतो को इस तरक के करम करने की छूट हासिल है। वो बाबा ही क्या जो महिलाओं की इच्छा जानने-समझने का प्रयास करे, वो साधु ही क्या जो बलात्कार जैसे काम ना करे, वो संत ही क्या जो महिलाओं को, बच्चियों को दबोच कर उनसे अपनी ”हवस” पूरी ना करे।
माफ कीजिएगा मैने ”हवस” शब्द का प्रयोग किया, असल में बाबाओं की ”हवस” में भी पवित्रता होती है, इस ”हवस” को आम आदमी की ”हवस” नहीं माना जा सकता। ये ”हवस” असल में उन बच्चियों की आत्मा की शुद्धता के लिए होती है, जिनका दैहिक और मानसिक शोषण किया जाता है। तुम भौतिक चीजों पर मरने वाले लोग क्या समझोगे इन बातों को। असल में ये जगत माया है, माया पर मरने वाले इन आध्यात्मिक बातों को नही समझ सकते। बाबा आसाराम उस बच्ची का दैहिक शोषण करके उसकी आत्मा को शुद्ध कर रहे थे, साध्वी उमा भारती समझती हैं, बेशक उनकी बिरादरी के महान, ज्ञानी, संत भी इस बात को समझते हैं, तुम नहीं समझते, और तुमसे ये सब समझने की उम्मीद भी हमें नहीं है। हिंदु धर्म को कंटकों में खींचने वाले, अधम-नीच-संसारी इंसान बाबा आसाराम के इस कृत्य के पीछे छुपे आध्यात्मिक रहस्य को कभी नहीं समझेंगे। वो नहीं समझेंगे कि जब ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया, तभी ये परिपाटी पड़ गई कि सारे संत, ऋषि मुनि बच्चियों से बलात्कार करेंगे, अन्यथा इन बच्चियों का कोई आत्मिक शुद्धिकरण संभव नहीं है।
एक बात जो खटकनी चाहिए थी, लेकिन बात हिंदु धर्म पर कीचड़ उछालने की है, इसलिए तुम्हे नहीं खटकी। बात ये कि उस रात उस लड़की ने क्या पहना था, ये सब तुमने नहीं पूछा, तुमने नहीं पूछा कि क्या उसने आसाराम को ये कहा था, ”तुम मेरे भाई समान हो, मुझे छोड़ दो” संभव था आसाराम, ओ माफ कीजिएगा, बाबा आसाराम उसे छोड़ देते। आसाराम ने पहले ही कह दिया था कि अगर किसी लड़की का बलात्कार हो रहा हो, तो उसे ये कहना चाहिए, बलात्कारी उसे छोड़ देंगे। तब उस लड़की ने ऐसा क्यों नहीं कहा, तुम हिंदु धर्म का अपमान करने वालों से मैं ये पूछना चाहता हूं कि जब एक बाबा पहले ही ये कह चुका है कि बलात्कारी के सामने लड़की को ये वाक्य कहते हुए हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाना चाहिए तो वो लड़की क्यों नहीं गिड़गिड़ाई। लेकिन तुम ये सब आसाराम से क्यों पूछोगे, तुम्हे तो किसी तरह हिंदु धर्म की बुराई करनी है, तुम तो किसी भी तरह बस हिंदु धर्म की बुराई करोगे। अब देखना आसाराम का क्रोध तुम्हे भुगतना पड़ेगा, भारत के सारे चुनावों में सारी पार्टियां हार जाएंगी, सिर्फ वही पार्टी जीतेगी जो बाबा आसाराम के समर्थन में उतरी हुई है।
जितने लोग कल तक आसाराम के पैर छूते थे, चरणामृत पीते थे, आज कोई आसाराम के साथ नहीं है। लेकिन आसाराम को डर नहीं है, उन्होने हिंदु धर्म की लाज रख ली है, और एक बार फिर दिखा दिया है कि लड़कियों पर महिलाओं पर विश्वास नहीं किया जा सकता। जो लड़की अपने गुरु की ज़रा सी छेड़छाड़, या हाथचलाकी की पुलिस में शिकायत करके उसे जेल भिजवा दे, उसका आध्यात्मिक उद्धार नहीं हो सकता। इसीलिए अब बाकी बाबा महिलाओं से दूर ही रहेंगे, और योग से ऐसे चमत्कार दिखाएंगे कि लड़के ही बच्चे पैदा करने लगेंगे और सिर्फ लड़के ही पैदा होंगे, ताकि लड़कियों का झंझट ही ना रहे, ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी।
हालांकि बाबा आसाराम की बहुत फजीहत हो चुकी है, लेकिन भारत देश अब भी हिंदु धर्म की ध्वजा को नीचा नहीं होने देगा, हमे आशा है कि भारतीय सरकार और भारतीय जेल आसाराम को बाबा बने रहने देंगे, उन्हे बाइज्जत बरी कर देंगे। अब भी आसाराम से आशा बंधी हुई है। वे फिर से भारतीय आघ्यात्म के शिखर पर जाएंगे, और अपने पौरुषमय योग, से और भी कई लड़कियों की आत्मा को शुद्ध करेंगे।

Yes, that'll happen. Baba will walk free. The 5 rapists with so much evidence have yet to get capital punishment. How can we expect a Baba like Asaram to even stay in a normal jail? India seems like a 'rone wali chidiya' where 'insaaf' is a long lost word.
जवाब देंहटाएंThank you rain, I hope you like newer posts too.
हटाएंshandar....
जवाब देंहटाएंthanx
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