सोमवार, 30 सितंबर 2013

लालू और बारगेनिंग




लालू और बारगेनिंग

चलिए साहब, आपकी मन की मुराद पूरी हुई, लालू को चारा घोटाले में सज़ा सुनाई गई और सुनते हैं कि उन्हे जेल भी भेज दिया गया। यूं घोटाले और नेता का चोली-दामन का साथ होता है। वो नेता ही क्या जिसने कोई घोटाला ना किया हो, वो घोटाला ही कैसा किसमें किसी नेता का हाथ नो हो। अजी साहब ये लोकतंत्र चल ही इसलिए रहा है क्योंकि इसमे घोटाले होते हैं, अगर घोटाले ना हों तो लोकतंत्र ना चले एक दिन भी। भारतीय जनता के लिए किसी भी घोटाले की खबर कोई बड़ी या आश्चर्यजनक खबर नहीं होती, हमारे लिए तो आश्चर्यजनक खबर वो बनती है जिसमें कोई नेता, या राजनीतिक शख्सियत ईमानदार निकल आए, कोई ऐसा हो जिस पर किसी घोटाले का आरोप ना लगा हो। लेकिन मानने वाली बात ये है कि 17 साल तक आप उसका बाल भी बांका नहीं कर पाए। तो अब लालू का सज़ा क्यों हुई, क्या किसी गाय-भैंस ने जाकर अर्जी लगाई थी कि उनके खिलाफ हुए अन्याय की सज़ा किसी को दी जाए और यूं उनके साथ न्याय किया जाए। 

मैं बताउं आपको, लालू को सज़ा इसलिए नहीं हुई कि उन्होने घोटाला किया, उन्हे सज़ा इसलिए हुई कि उनके पास बारगेन करने के लिए कुछ बचा नहीं रहा होगा। बारगेन किया होता, या कुछ बचा रहा होता तो इत्ती सब फजीहत नहीं हुई होती, आखिर मुलायम भी तो क्लीन-चिट के साथ ठसक से बैठे हैं, जयललिता, माया, कनीमोझी, राजा, रानी, सिपहसालारों तक को क्लीन चिट देने को उत्सुक बैठे सी बी आई के आला अफसरों ने लालू को ठीक फैसले से पहले दिन क्लीन चिट नहीं दी तो इसका सीधा सा मतलब ये, कि लालू के पास बारगेन करने को कुछ नहीं है। बारगेन में बड़ी पॉवर होती है साहब, लालू को रेल मिली तो बारगेन से, और अब जेल मिली तो यूं कि बारगेन नहीं हुआ। कुछ था ही नहीं। 

लालू बहुत चतुर राजनेता हैं, क्यों, लालू बहुत घाघ रहे, अपने जमाने में, अब शायद बुढ़ौती आ गई, हारने-हूरने के बावजूद, कुछ माल अलग से बांधकर रखना था, ताकि ऐसे आड़े वक्त काम आ सके। अगर टेबल के नीचे से कांग्रेस को कुछ सरका पाते, तो शायद ये फजीहत नहीं झेलनी पड़ती। कोर्ट के फैसले का क्या है, यार लोगों, अगर फैसला आ भी जाए, तो अपने लोगों को बचाने के लिए उसके खिलाफ, अध्यादेश, कानून-फानून बनाया जा सकता है, कोर्ट है किस खेत की मूली हमारे आगे। हम तो संविधान की ऐसी-तैसी फेरने को तैयार बैठे हैं। 

एक साल में 7 करोड़ की धनराशी 700 करोड़ में बदल जाए, देश के हर शहर में और विदेश के हर देश में अपने नाम की संपत्ति हो जाए, कौन देखता है, और देखता है तो पड़ा देखता रहे सुसरा। जब तक बारगेनिंग पावर है, कोई कुछ नहीं कर सकता। जयललिता ने अपने बेटे की शादी की, और ऐसी की कि इस शहाना शादी को गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉडर्स में जगह मिल गई, जब पूछा कि भाई इतना पैसा कहां से आया, तो मासूमियत से कह दिया, कि जनता ने दिया, अबे जनता ने दिया, या खुदा ने छप्पर फाड़ कर दिया, हिसाब तो रखा होगा। लेकिन बात सिर्फ यही है, हिसाब रखो, ना रखो, बारगेनिंग के लिए कुछ ना कुछ जरूर रखो।

अब लालू के लिए, हमारा तो यही मानना है कि अब भी, यानी कि अब भी अगर बारगेनिंग के लिए कुछ ना कुछ पेश करें, तो हो सकता है, कि सी बी आई क्लीन चिट दे दे, या केस क्लोज़ करने की अर्जी लगा दे, या फिर हो सकता है कि चारा घोटाले की फाइलें ही गायब हो जाएं, फिर लगे सारी ढूंढने, कागज़ का पुर्जा तक नहीं मिलेगा। यहां तो भैया लोगों गवाह गायब हो जाते हैं, कागज़ की फाइलें क्या चीज़ हैं। 

चुनाव आने ही वाले हैं, अगर लालू अब भी कोई कमाल दिखा दें, बढ़िया वाला माल बारगेनिंग के लिए पेश कर दें तो अब भी उनके ग्रहों की दशा-दिशा सुधर सकती है। बाकी आसाराम, निर्मल बाबा, और बाकी बाबाओं की चरण रज भी ले लें, शायद कोई काम बन जाए।




2 टिप्‍पणियां:

  1. लालू यादव प्रकरण पर एक बेहतरीन समीक्षा !

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  2. bhaiya yahan to jab marzi aag lag jati h....light bhale na ati ho iss desh me lekin short circuit yun hi ho jata h....or usi floor k usi department me aag lagti h jahan pr kisi na kisi ghotale ki files rakhi hoti hain jo ki jal bhi jati h or proper saboot na hone ki wajah se log baizzat bari kar diye jate hain....or janta ko to dekhiye itni samjhdar h ki sab kuch bhulkr unhi logo ko chief guest banakr bulati h....wah ji wah

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