मोदी और इतिहास, या ऐतिहासिक मोदी
”अपनी बात यहां से शुरु करते हैं कि मोदी ने कहीं भी झूठ नहीं बोला, ना ही गलत बोला है।” ये लेख इस कथन से शुरु करने की एक खास वजह है, पिछले दिनो एक ”भारी-भरकम” रैली में मोदी ने जो कुछ बोला, उसे लेकर आजकल के लौंडे-लपाड़े बहुत उछल रहे हैं, और उनकी इस उछाल-पछाड़ के चक्कर में बहुत सारे प्रौढ़ और वृद्ध भी उछलने लगे हैं। मैं अपने पहले के लेखों में ये स्पष्ट कर चुका हूं मोदी पर निशाना लगाने वाले ये लोग असल में मोदी को सही तरह से पहचाने नहीं हैं, ये लोग राष्ट्रद्रोही हैं, भारत ”मां” का अपमान करने वालों में से हैं, जो भारत ”माता” का सम्मान करने की सोचने वालों से जलते हैं, कुढ़ते हैं, और इसलिए तीन को तीस बताते हैं।
मोदी और मोदी की राजनीतिक विचारधारा, ब्रहमांड के दृष्टिकोण से चलती है, वो एक गांव, कस्बे, राज्य या देश के हिसाब से नहीं चलती। हुंह, तुमने तो ब्रहमांड देखा ही नहीं होगा, देखना क्या तुम सोच भी नहीं सकते। बच्चे हो तुम लोग राजनीति में, मोदी इस विषय पर पी.एच.डी कर चुके हैं, तुम्हारे जैसों को तो वो तिगनी का नाच नचा देंगे बचा, संभल कर। तुम लोग करते हो देस-जवार की राजनीति, मोदी की राजनीति बड़ी है, मेरा मतलब विशाल है।
जब मोदी ने कहा कि तक्षशिला बिहार में है तो वो असल में उस भौगोलिक परिघटना की बात कर रहे थे, जिसके चलते पृथ्वी नाम के इस शुद्र ग्रह की जमीन इधर से उधर खिसक गई थी, असल में पहले सारी धरती एक साथ जुड़ी थी, जिसे घनघोर आर्यावृत कहते थे, वो सत्युग था, फिर सत्युग से सत्य का प्रभाव जब घटने-मिटने लगा तो धरती जो सत्य के प्रभाव से जुड़ी हुई थी, उसका विघटन होने लगा, और एक स्थान की चीज़ दूसरी जगह पर जाने लगी, इसमें पेड़ पौधे पशु-पक्षी और इमारतें भी शामिल थीं, हमारे पुरातन यानी प्राचीन मतलब प्रागैतिहासिक वैज्ञानिक ऋषियों को तो पहले ही ये बात मालूम थी, लेकिन आज के ये चवन्नी छाप वैज्ञानिक अब जाकर ये बात समझ सके हैं, तो अब वो भी मानने लगे हैं कि धरती के भूखंड बिखर रहे हैं। तो जब वो एक थे, उस समय, जान रहे हैं, उस समय तक्षशिला बिहार में था। जब सत्य का प्रभाव कम हुआ और धरती के खंड खिसकने लगे तो वो पापियों की धरती यानी पाकिस्तान में चला गया। अब मोदी जब ये कहते हैं कि तक्षशिला बिहार में था, तो उनका इतिहास ज्ञान सही है, आपका इतिहास ज्ञान थोड़ा कम है, यानी आप तो इतिहास तभी से जानते हैं जब से तक्षशिला बना होगा, मोदी उससे पहले से उसके इतिहास को जानते हैं। आप अपने सीमित इतिहास ज्ञान को मोदी जैसे महापुरुष के कपाल पर फोड़ने की कोशिश करते हैं, आपको खुद चोट आएगी। तो सवाल ये है कि मोदी ने अब ये क्यूं कहा कि तक्षशिला बिहार में है। इसलिए मेरे भाई कि जब मोदी पी एम बन जाएंगे, जो कि अब तय है, ”आप चाहे वोट दीजिए या ना दीजिए, मोदी के लिए तो पूरे ब्रहमांड की सत्ता तैयार है”, तो आप जान लीजिए कि देश में फिर से ऋषि मुनियों का, संतों का राज होगा, फिर वो मंत्रोच्चार करेंगे, हवन करेंगे, हवन करेंगे, हवन करेंगे, और तक्षशिला फिर से बिहार में पहुंचा दिया जाएगा। वैसे भारत के सभी विश्वविद्यालयों की भी उसी पुराने तक्षशिला के आधार पर पुर्नरसंरचना की जाएगी। मध्यप्रदेश में इसकी शुरुआत हो चुकी है, जहां योग करवाया जाता है, विधान-सभा में संत आसाराम की चरणरज से उसे पवित्र किया जाता है, ”हम उनकी अपवित्रता, और पापी छवि को अस्वीकार करते हैं, ये पापियों का ही षड्यंत्र है” सभी विश्वविद्यालयों से आधुनिक, पाश्चात्य और पापी पाठ्यक्रमों को हटा दिया जाएगा, और फिर से सत्युग लाया जाएगा। तब, आप देखिएगा, कि तक्षशिला आपको बिहार में ही दिखाई देगा।
दूसरी बात सिकंदर और गंगा तट से संबंधित है। असल में आप छोटी सोच वाले लोग इस बात का संदर्भ भी समझ नहीं सके। मोदी असल में ये कह रहे थे कि एक जमाना था जब हर नदी गंगा थी। आपने वो गाना नहीं सुना, ”जहां हर बालक में कृष्ण है और हर लड़की में सीता है” हो सकता है गाने में कैरेक्टर कोई दूसरे हों, जैसे राम या हनुमान, और राधा या शकुंतला, लेकिन मामला खालिस समझदारी का है। मोदी का ये मानना है कि सिकंदर कहीं भी पहुंचा हो, उसे गंगा तट तक पहुंचा मान लिया जाए, अब विकास-पुरुष, लौह-पुरुष, युग-पुरुष, का-पुरुष ऐसा कुछ कहें तो मान लिया जाना चाहिए। तो अब इसमें झगड़ा करने की बात नहीं बची कोई, ठीक।
तीसरी बात जो मोदी ने कही वो थी कि चन्द्रगुप्त मौर्य गुप्त वंश का था, अरे भाई ये तो छोटी सी भूल है। इसकी दो वजहे हैं, एक तो चन्द्रगुप्त के नाम में ही गुप्त लगा है, अब कोई गुप्त और मौर्य एक साथ तो नहीं हो सकता ना, तो मोदी को लगा होगा कि फर्स्ट नेम चन्द्र और लास्ट नेम गुप्त होगा, इसलिए कह गए कि चन्द्र्रगुप्त गुप्त वंश का था। इसमें इतना हल्ला मचाने की क्या जरूरत है। इतनी जिम्मेदारी है उनके सिर पर, ऐसी भूलें हो ही जाती हैं अक्सर। दूसरे जब कोई बड़ा-बूढ़ा आपकी पहचान पूछता है, तो यूं पूछता है ना, ”रे तू किसका छोरा से....” अब ऐसे में उन्हे दिखाई कम देता है, सुनाई कम देता है, छोरे ने नाम लिया राम लाल, उन्हे सुनाई दिया श्याम लाल। तो मोदी के साथ भी यही हुआ हो सकता है, जिम्मेदारी भी तो कितनी है उनके पास, अपने शासित प्रदेश से पापियों का नाश करना, फिर उस कांड को छुपाने के लिए छिटपुट पापियों को ”वध” करवाना, फिर कहीं ये सत्य गलत समय पर बाहर ना आ जाए इसका प्रबंध करना, आदि आदि, उपर से पूरे ब्रहमांड की जिम्मेदारी, और पी एम पद की शपथ याद करना, वो भी संसकरित में....तो इतनी जिम्मेदारियों के बीच में किसी एक अदने से राजा-फाजा का नाम गलत हो भी गया तो उसके लिए हो-हल्ला कैसा।
खैर हमारा काम था, मोदी के व्यक्तित्व और वक्तव्य को आप सबके सामने स्पष्ट करना, बाकी आपकी मर्ज़ी है, आप वोट दे ंना दें, मोदी का पी एम बनना तय है, ऐसा उपर से आदेश हो चुका है। मेरी प्रार्थना यही है कि ऐतिहासिक मोदी के ऐतिहासिक क्षण और ऐतिहासिक भाषण को इतिहास की अपनी सीमित समझ पर ना तौलें, और ये हो-हल्ला बंद करें।


Bahut Jordaar .............. waaaaaaaah :-)
जवाब देंहटाएंPadhkar Aanand aa gaya.