ये भाजपा ने क्या कर दिया। मैं सोच रहा था कि मोदी की प्रचंड रैलियों की वजह से बिहार में होने वाली प्रचंड जीत से, विराधियों, अधम-पापियों के नर-मुंड लुढ़क जाएंगे, और अपनी प्रचंडता की ज्चाला में विजयी मोदी के प्रचंड विजय रथ की गति और तीव्र हो जाएगी जो, प्रचंडतम होती जाएगी और आर्यावर्त को विकास की प्रचंडतम-प्रचंडता से प्रचंडित पथ पर ले जाएगी।
पर....ये क्या हो गया। प्रगतिशील सब खुश हैं, उन्हे पता नहीं है कि ये बिहार के लिए अंधेरे युग का आरंभ है। नितीश कुमार और लालू प्रसाद बिहार को पुनः अंधकार की गर्त में ढ़केल देंगे, मेरा मतलब बीच में कुछ समय जो सुशील मोदी की वजह से बिहार विकास के पथ पर रथ में बैठा हुआ आगे चला था, वही अब फिर से पतित हो जाएगा। बताइए तो पूरा देश विकास के रास्ते पर फर्र-फर्र दौड़ रहा है और बिहार.....बिहार बैठ गया है। मोदी को वोट दे ही देते तो क्या हो जाता बे....बिहारी रहेगा बिहारी.....इतना कहा मोदी ने कि मुझे वोट दो तो इतने हजार करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज दूंगा, बिहारियों ने नकार दिया, नितीश और लालू के सारे काले चिठ्ठे खोल दिए, बिहारियों ने उसे भी नकार दिया, गाय की रक्षा की गुहार की, बिहारियों ने गाय को कोई भाव नहीं दिया, और अंततः ये भी बताया कि पाकिस्तान की आंखें बिहार की हार-जीत पर ही लगी हैं और अगर मोदी नहीं जीते तो पाकिस्तानी कितने खुश होंगे, लेकिन बिहारियों ने इस पर भी कोई ध्यान नही दिया। चुनाव से पहले से ही गैया के नाम पर माहौल बनाया गया था। लोगों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन आपको पता नई है, हमारे यहां तो गाय की पूंछ पकड़ कर लोग वैतरणी तक पार करने की बात करते हैं, मोदी गाय की पूंछ पकड़ कर चुनाव की वैतरणी पार करने की सोच रहे थे, तो आपको क्या दिक्कत है। दिक्कत वही है कि भारतीय परंपराओं, हिन्दु संस्कृति से आपका विश्वास उठ गया है, और अब मोदी जो करता है, जो भी करता है, या नहीं करता है, वो सब आपको बुरा लगता है।
ये लोग मोदी से इतना जलते क्यों है भई। मैने पहले भी लिखा था, अब फिर लिखना पड़ रहा है। आपको पता नहीं है, असल में अभी पिछले से पिछले साल इन सब लेखकों-फेककों की, ये जो अरुनधति राय जैसे जो देशद्रोही, पाकिस्तानी हैं, इनकी एक बैठक हुई थी, जिसमें बाहर का पैसा लगा था, इन सबने वहां, उस बैठक में ये कसम खाई थी कि ये मोदी से जलेंगे, तबसे ये लोग लगे हुए हैं, मोदी से जलने के लिए। अभी इनका पूरा इतिहास खंगाला गजाएगा या बनाया जाएगा, और उसमें इन्हे मुसलमान या पाकिस्तानी करार दिया जाएगा। जैसे ये बात कि अरुंधति राय के अब से छठी पीढ़ी के पुरखे ने मस्जिद का पानी पिया था। ये बात किसी को नहीं पता, लेकिन आप स्वामी से पूछिए, अरे सुब्रमणियम स्वामी से, उसे पता है। जैसे कि गुलज़ार, असल में तो मुसलमान है, इसीलिए वो जो भी गाना लिखता है उसमें मुसलमानी भाषा उर्दू के शब्द डाल देता है। ये सब पता लगा कर देशभक्त नौजवानों को उससे अवगत कराया जाएगा। मोदी ने जितने अच्छे काम किए उन्हे देखते नहीं हैं ये देशद्रोही, बल्कि जो अच्छे काम हैं, उन्हे भी बुरा करके दिखाते हैं। बस इसी का परिणाम है कि बिहार में मोदी हार गया, मेरा मतलब है कि बिहार की हार के लिए मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, हालांकि उन्होने तो अपनी पूरी कोशिश की, नहीं हार के लिए अमित शाह को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, हालांकि उन्होने भी पूरी कोशिश की थी।
अभी हार-जीत छोड़ दीजिए, ये देखिए कि अमित भाई शाह ने कितना सही कहा था। जैसे ही बिहार में भा ज पा की हार की खबर आम हुई, भारत में बैठे पाकिस्तान के चहेतों ने, जैसे राजद, जदयू वालों ने पटाखे फोड़े, उन्हे अपनी जीत का नहीं, मोदी की हार की ज्यादा खुशी थी, वामपंथियों ने, देशद्रोहियों ने तक पटाखो फोड़े, अरे देशभक्त होते तो मोदी की हार के गम में दिवाली तक नहीं मनानी चाहिए थी। गडकरी जी को देखिए, ना पिछले 5 दिनों से एक लड्डू तक मुहं में डाला है, और ना ही पानी की एक बूंद गले से उतारी है। घर के पौधे बेचारे पेशाब की एक-एक बंूद के लिए तरसते हुए सूखे जा रहे हैं। लेकिन हार का गम इतना बड़ा है कि पौधों की फिक्र का समय नहीं है उनके पास।
असल में मोदी जी का ये आकलन की देश की अधिकांश जनता, उनके प्रधानमंत्री बनते ही हिंदु रीति-रिवाज़ों, त्यौहारों और कर्म-कांडों की भाजपाई परिभाषा को स्वीकार कर लेगी, सफल नहीं रहा। जनता आखिर जनता होती है, धोखेबाज़ और हरजाई, उसने ना गाय का लिहाज किया ना गंगा मैया का, अपना फायदा देखती रही। छिः, जनता का पतन हो गया है। पहले जनता अपना नहीं राजा का भाला सोचती थी, और राजा के छोटे से छोटे सुख के लिए जीवन तक त्याग देती थी। जैसे राजा पड़ोस के राज्य की राजकुमारी को अपनी तीसरी रानी बनाना चाहता है, बस जनता उसके लिए अपना तन-मन-धन झोंक देती थी और उस लड़की को ले आया जाता था। अब ऐसा नहीं है, मोदी जी आखिर क्या चाहते थे, बिहार में छोटी सी जीत.....लेकिन इन बिहारियों को ये बर्दाश्त नहीं हुआ, और सिर्फ 53 सीटों में मोदी जी का निपटा दिया।
आपको चाहे हो ना हो, मुझे इस बात का बड़ा दुख है। मोदी जी ने इतनी रैलियां की, इतना पैसा पानी की तरह बहाया, इतना गाय-गोरु का नाम लिया, आपको अपना धर्म याद दिलाया, धर्म की आन-बान-शान की कसमें दिलाईं, लेकिन बिहार की जनता ने मोदी को वोट ना देकर लालू का वोट दिया, नितीश को वोट दिया, और तो और तीन सीटों पर तो लाल रंग के झंडे यानी राष्ट्रवाद के सबसे बड़े दुश्मन वामपंथियों को तक जिता दिया।
लेकिन एक बात की खुशी भी है, कम से कम, एक बार, चाहे वो किसी भी वजह से हो, पाकिस्तान का नाम भारत में पॉजिटिव सेंस में लिया जा रहा है। जो कोई भी लोकतांत्रिक अधिकारों का पैरोकार है, थोड़ा बहुत समझदार है, खुल कर बोलना चाहता है, मतलब जम्हूरियत पसंद अवाम के लिए पाकिस्तान नाम के देश का नाम तज़्वीज किया जा रहा है कि भई आप हिन्दुस्तान में मत रहिए, बल्कि पाकिस्तान चले जाइए। इधर यहां की अवाम भी यही कह रही है कि हिन्दुस्तान में तो असहिष्णुता बहुत ज्यादा है, इतनी ज्यादा कि आपके लिखे से, कहे से असहमत होने पर आपकी जान तक ली जा सकती है। सरकार के नुमाइंदे कह रहे हैं कि अगर ऐसा है तो आप पाकिस्तान जाकर रहिए। इसका कुल जमा-जोड़ मतलब यही हुआ ना जी कि जो भी तरक्कीपसंद है, जिसका कला, साहित्य, फिल्म, लेखन, गायन आदि से कोई भी लेना-देना है वो जाकर पाकिस्तान रहे, भारत में उसके लिए कोई जगह नहीं है, बाकि पाकिस्तान वाले इस बात से हो सकता है कि खुश हो रहे हों, भई भारत के सारे बुद्धिजीवी, लेखक, गायक, फिल्म बनाने वाले, कलाकार, सब पाकिस्तान जाकर रहेंगे तो पाकिस्तान की तो बल्ले-बल्ले हो जाएगी।
तब फिर भारत में कौन रहेगा? ये एक ऐसा सवाल है जो भविष्य की ओर इशारा करता है। कौन रहेगा भारत में, या सही सवाल होगा कि भारत में या हिन्दुस्तान रहने की इजाज़त किसे दी जाएगी। भारत जैसी पवित्र भूमि में वही रहे जो इसकी पवित्रता में यकीन रखता हो, और इसकी पवित्रता की रक्षा करने के लिए दूसरों के तन-मन-धन का न्यौछावर करने में तनिक भी ना हिचके। जो हिन्दु संस्कृति के लिए किसी भी बच्चे को ज़िंदा जलाने में ना हिचके, जो हिन्दु धर्म के लिए औरतों का बलात्कार करने से और फिर उन्हे भी मार देने से ना झिझके, जो रात के खाने में गाय का गोबर और पीने में गाय के पेशाब का इस्तेमाल करने में गर्व महसूस करे। और सही भी है, इस पवित्र भूमि पर रहने, चलने, खाने और हगने का अधिकार उन्ही को मिल सकता है और किसी को नहीं।
इसके अलावा खुशी इस बात की भी है कि मोदी को और उनके सहयोगियों को पाकिस्तान पर इतना भरोसा है। हर बात में पाकिस्तान को आगे कर देने वाला भरोसा तो अमरीका-इस्राइल में भी नहीं है। मतलब जो भी हो, सब पाकिस्तान पर डाल देने वाला भरोसा.....कमाल है। यहां तक कि बिहार में मोदी के चुनाव हारने पर पाकिस्तान में पटाखे फोड़ने वाली स्टेटमेंट कमाल है जी।
लेकिन....लेकिन.....लेकिन.....ये बिहारियों ने मोदी के इस प्लान की राह में रोड़े अटका दिए। गैया के पोस्टर पर पोस्टर निकाले गए, लगातार लोगों को बताया गया कि मोदी और सिर्फ मोदी ही है जो गाय को बचा सकता है, करके दिखाया गया, पहले दादरी में एक आदमी को मारा गया, जिसके लिए कहा गया कि उसने गाय खाई थी, फिर गाय के नाम पर पूरा माहौल बनाया गया, ऐसा महौल बनाने की कोशिश की गई कि लोग चिकन भी खाएं तो गाय के नाम से डरें। पूरी कोशिश की गई कि लोग घास खाएं तो भी दाल से डरें। लेकिन इन बिहारियों के कान पर जूं ना रेंगी। इन्होने गाय की रक्षा के नाम पर बट्टा लगा दिया है।
मेरा सिर्फ ये कहना है कि इतना सब होने के बावजूद भाजपा को मोदी जी पर, अमित शाह पर, गाय पर, पाकिस्तान पर से अपना भरोसा नहीं खोना चाहिए। किसी ने सही ही कहा है, भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं है, वैसे ही गाय के गोबर में देर है, अंधेर नहीं है। गाय के नाम पर लगे रहो, आज ना सही, 20 साल और देर सही, एक दिन ये मूढ़ बिहारी समझेंगे कि मोदी को जिताना ही सही में राष्ट्रवाद है, वही सच्ची देशभक्ति है, वही धर्म है और वही सच्चाई की जीत है। अभी आपको समझ नहीं आ रहा, कोई बात नहीं। आपको पाकिस्तान भेज दिया जा रहा है, जहां आपको सही बातें समझ में आ जाएंगी, फिर आप मोदी को पुकारेंगे, उन्हे वोट देंगे और आपकी आत्मा अमर हो जाएगी, जैसा कि गीता में कहा गया है, कि जो मोदी को, भाजपा को वोट देता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है, वो आवन-जावन के बंधन से छूट जाता है। इस सोच को ना मानने वाले व्यक्तियों को भारत से बाहर निकाल दिया जाएगा और फिर आप पूछेंगे कि भारत में कौन रहेगा। भारत में रहेंगे, रामदेव और पतंजलि बिस्कुट खाने वाले, आसाराम और उनके प्रेम ’छिछोरा-बलात्कार पढ़ें ’ झेल कर उसे भक्ति कहने वाले, श्री-श्री के पाद को खुशबू बताने वाले, इसके अलावा रहेंगे, तोगड़िया, प्रज्ञा ठाकुर, गडकरी, और सिंधिया और इन सबके भक्त....अगर आपको कोई एतराज़ है तो आप भी पाकिस्तान जा सकते हैं।
आगे आने वाले चुनावों के लिए अभी से सबको ये सोच लेना चाहिए कि, वोट भा ज पा, गैया माता के नाम पर देना है, और मोदी को जिता कर पाकिस्तान को सबक सिखाना है, तो बोलो गंगा मैया की......ज्ज्ज्जै।

Very nice.. you r genius writer ever i applaud Sir..
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