सोमवार, 6 अक्टूबर 2014

झाडू और मोदी

झाडू और मोदी
झाड़ू से मोदी 

इस बार इस देश में झाडू लगी.....मोदी ने लगाई, दो अक्तूबर को लगाई, और बहुत सारे लोगों ने इसकी खूब आलोचना की, ग़लत बात है, बहुत ग़लत बात है। आप कह रहे हैं कि यूं सफाई नहीं होती, मोदी को सफाई के लिए गटर में कूद जाना चाहिए था। आप लोग इस झाडू का मतलब नहीं समझे शायद, मोदी के हाथ में प्रतीकात्मक झाडू थी और सफाई का मतलब था इस पूरे देश की प्रतीकात्मक सफाई......जो हुई और हो रही है, और होती रहेगी, अपना कलेजा भून कर खाओ तुम लोग। यूं इस देश में कई बार झाडृएं फिर चुकी हैं, कहावत के तौर पर देखा जाए तो, देश की प्राकृतिक संपदा पर अंग्रेजों ने जी भर के झाडू फेरी, खनिज संपदा पर जो उन्होने झाडू फेरना शुरु किया तो आज तक झाडू ही फेरी जा रही है, पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक नागरिक अधिकारों पर जर्बदस्त झाडृ फिरी, महिला अधिकार तो खैर कभी थे नहीं, जो थे उन पर झाडृ फिरी, और फिर लोगों के दिमाग पर जो झाडृ फिरी तो मोदी ने ”माफ कीजिएगा” पी एम मोदी ने इसे नया रूप दे दिया। अब ये प्रतीकात्मक झाडू फेरी जाएगी, रोज़ फेरी जाएगी, और तो और पीएम खुद इसका जायज़ा लेंगे कि मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने कितने जनतांत्रिक अधिकारों पर कितनी झाडू फेरी, अगर नहीं फेरी होगी तो वो खुद उसपर झाडू फेर देंगे। 
ये झाडू इस देश में सदियों से फेरी जा रही है, और सबसे बड़ा कमाल है कि आमतौर पर झाडू फिरने के बाद आपको पता चलता है कि झाडू फिर गई, या कोई झाडू फेर गया, यहां बाकायदा घोषणा करके, झाडू फेरी जा रही है, सारे देश में झाडू फेरी जा रही है, और आप चुप्पे-चाप इस फिरती हुई झाडू को देख रहे हैं। पैट्रोल महंगा हुआ, रेल किराया बढ़ गया, नागरिक अधिकारों का ये हाल है कि राज्यपालों की ऐसी-तैसी फिरी हुई है, तुम्हारी-हमारी बात ही क्या है। जजों को राज्यपाल बनाया जा रहा है, राज्यपालों को पालतू बनाया जा रहा है, हालांकि फालतुओं के पालतु बनने में कोई एतराज़ भी नहीं है, इधर संविधान पर भी बढ़िया झाडू फिरने की शुरुआत हो गई है। छत्तीसगढ़ में कई ग्राम पंचायतों ने इस आशय के कानून पास किए हैं कि उनके गांव में हिन्दु धर्म को छोड़ कर किसी और धर्म का प्रचार नहीं किया जा सकता, बल्कि अन्य धर्मों को किसी भी किस्म के नागरिक अधिकारों से बाकायदा विशेष ग्राम सभा की बैठकों में कानून पास करके वंचित कर दिया गया है। धर्म के आधार पर सामाजिक निषेध, आर्थिक निषेध लागू हो गया है, गया संविधान भाड़ में, मघ्य प्रदेश में पुलिस, शादियों को धर्म के आधार पर अवैध घोषित कर रही है, और कोई भी बिना सरकार से इजाज़त लिए धर्म नहीं बदल सकता। गया संविधान तेल लेने। दंगाईयों का सामाजिक सम्मान किया जा रहा है, दंगा करवाने वालों का दूरदर्शन पर सीधे भाषण आ रहा है और दंगा पीड़ितों को, और उनके हिमायतियों के खिलाफ लगातार केस पर केस लगाए जा रहे हैं। फिर गई झाडू, हो गया सब साफ। अभी तो आगे-आगे देखिए क्या होता है, बत्रा अपने पोथी-पतरा के साथ आपके बच्चों के दिमाग पर झाडू फरे रहा है, कुछ दिनों में आपके दिमाग पर झाडू फेरी जाएगी, शुरुआत हो चुकी है। 
अब आप मुझे चाहे जितना मर्ज़ी गरिया लें लेकिन इस बात से आप इन्कार नहीं कर पाएंगे कि झाडू से राजनीति का आरंभ शायद गांधी ने किया था, गांधी ने इस झाडू का बहुत बढ़िया इस्तेमाल किया, तो अब मोदी क्यों ना करे। पुराना चॉकलेट, नया रैपर। फिर झाडू की अपनी रोमानियत है, और जब जर्बदस्ती लगाई और लगवाई जाए तो ये रोमांस बढ़ जाता है। फिर झाडू दिखा कर लगाई जाए, या बिना दिखाए लगाई जाए, उसका नतीजा सबकुछ बयान कर देता है। जितनी भी कोयला खदानें थीं, वो सब उस झाडू का नतीज़ा थीं जो बिना दिखाए लगाई गई, और अब जो आनन-फानन अडानी और अंबानी के साथ डीलें हो रही हैं, वो सब  दिखती हुई झाडू की सफाई है, कुल मिलाकर झाडू लगातार चल रही है, और सफाई भी लगातार हो रही है। ज़रा एक मिनट के लिए आंखे बंद कीजिए और कल्पना कीजिए कि एक बड़ा सा झाडू है जिसे पूरे देश पर लगाया जा रहा है, और एक-एक करके इस देश की संपदा साफ ”गायब” होती जा रही है, अब ज़रा उपर देखिए, अब बताइए कि इस झाडू का डंडा किसने पकड़ा हुआ है, बस अब आंखे खोल लीजिए.....अब पहले तो अपने माथे का पसीना पोंछिए और फिर जिन लोगों को आपने झाडू लगाते देखा उन्हे पहचानिए। 
अब सवाल ये है कि हम अपने गली, मुहल्ले, गांव देश में झाडू फिरने देंगे या उसे रोकेंगे....। देखना ये है दोस्तों की इस झाडू लगाउ राजनीति में कौन-कौन शामिल है और वो कहां-कहां झाडू लगा रहा है, कुछ लोग हैं जिनके हाथों में झाडू है, कुछ लोग झाडू हाथों में आने का इंतजार कर रहे हैं, और कुछ लोग झाडू हाथ में लेने को आतुर तमाम तरह की हरकतें कर रहे हैं।  हमें इन झाडू वालों की शिनाख्त करनी है और इनसे इस झाडू को छीन लेना है, अगर अब हम चूक गए तो ये इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। जो लोग झाडू लगा रहे हैं, याद रहे इतिहास जब भी इन लोगों से सवाल करेगा कि उस वक्त जब ये सब हो रहा था तो तुम कहां थे, क्या कर रहे थे, तो ये लोग कहेंगे कि ”झाडू लगा रहे थे.....”

विशेष टिप्पणी ”इसका लेख से कोई संबंध नहीं है”ः मोदी बिल्कुल हिमेश रेशमियां की आवाज़ में भाषण देते हैं, जब भी भाषण देते हैं तो लगता है कि बस अब ”तेरां तेरां तेरां सरूरं.......” की आवाज़ आएगी। फिर नहीं आती तो बहुत निराशा होती है।

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