रविवार, 1 मार्च 2015

बजट - रोनी सूरत मत बनाओ बे...


बजट - रोनी सूरत मत बनाओ बे...
कल, यानी गुजरे कल, यूनियन बजट पेश किया गया। अरुण जेटली ने पेश किया, बनाया किसने था ये कोई ढंकी-छुपी बात नहीं है। असल में बजट उन्हे ही बनाना चाहिए जो दिन-रात पैसा-पैसा करते रहते हैं। मुझे ये बजट असल में बहुत अच्छा लगा, मेरा हमेशा से यही कहना है कि जिसका काम उसी को साजे, यानी बजट वो बनाए जो ये जानता हो कि घाटे को कैसे पूरना है। जनता का क्या है जी, यूंही भुुरभुराती है। ये देश जो सुसरा पिछले सत्तर साल से घाटे में जा रहा है, इसे कोई घाटे से उबारेगा भी या नहीं, बिचारा मनमोहन सिंह तो कोशिश किया, तुमने करने ही नहीं दिया। वो चाहता था कि पूरा बजट अमरीका से बन कर आए और यहां लागू हो जाए, तुमने हल्ला मचा दिया। मोदी से मुझे यही उम्मीद थी, उम्मीद क्या जनाब मैं तो जानता ही था कि जैसे ही मोदी आया सब ठीक हो जाएगा। जिसका काम उसी को साजे.....दलित कोई बजट बनाएगा क्या? अरे व्यापारी व्यापार करेगा, और पंडित खाएगा, छत्री लड़ेगा और बाकी जो भी फालतू आबादी है उसके लिए भी इंतजाम किया जाएगा....नौकर बना देंगे सुसरी जनता को, फैक्टरी में लोडर, स्वीपर का बहुत जॉब खाली रहता है जी, कोई नौकरी दे दिया जाएगा। 
बजट से पहले वाले दिन एक न्यूज़ चैनल पर देखा एक महिला नजूमी, यानी भविष्यवक्ता बता रही थीं कि ये बजट कैसा होगा.....मैं आंखे फाड़-फाड़ कर देख रहा था, न्यूज़ चैनल पर अर्थशास्त्रियों की जगह नजूमी बता रही हैं कि बजट कैसा होगा, हालांकि ये एक अच्छी बात है कि भविष्यवक्ता अब महिलाएं भी होने लगी हैं, बुरी डेवलपमेंट ये है कि अब भविष्यवक्ता बता रहे हैं कि बजट कैसा होगा, और किसके लिए कैसा होगा। लेकिन उनकी भविष्यवाणी सटीक थी, उन्होने कहा था, मुझे अच्छी तरह याद है, कि बजट कुछ लोगों के लिए अच्छा होगा, कुछ लोगों के लिए खराब होगा, कुछ लोगों के लिए सामान्य होगा, कुछ चीजों के दाम बढेंगे, कुछ के घटेंगे, कुछ वैसे ही रहेंगे, कुछ नये टैक्स लगेंगे, कुछ पुराने हटाए जाएंगे, कुछ टैक्स बढ़ेंगे और कुछ घटेंगे। मैं अब तक आश्चर्यचकित हूं, आखिर उस भविष्यवक्ता ने कितनी सटीक भविष्यवाणी की थी, सोचता हूं मैं भी अब इन सबमें यकीन करना शुरु कर ही दूं.......। 
मोदी ने ठीक ही किया, ये बजट अंबानी ने बनाया, अडानी की सहायता से बनाया, या हो सकता है उल्टा हो, अभी इतना पूंजीपति है देश में, पता नहीं चलता कि कौन बनाया, पर बनाया ये सब पूंजीपति लोग ही है। मोदी ने पहले ही कहा था कि मैं व्यापारी हूं, अब व्यापारी तो भैया व्यापारी की ही सोचेगा, ये देश चलाना व्यापार है, और व्यापार में घाटा.....ना ना ना, ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। व्यापारी लोग बहुत चालाक होता है, कब बेचना है कब खरीदना है, सब अच्छी तरह जानता है। जब घाटा होता है तो बिना चिंता किए कंपनी बेच देता है, या कंपनी का एसेट बेच देता है, अब इस देश को ही लो, क्या....रखा क्या है इस देश में, बदहाली, भुखमरी, बेचारगी, बेबसी.....अब तक अगर मोदी जैसा चालाक व्यापारी आ गया होता इस देश में तो कब का इस देश को पूरा बेच चुका होता और बजट का घाटा पूरा कर चुका होता। 
कुछ भी हो किसी भी बजट में घाटा अच्छा नहीं लगता, मुनाफा अच्छा लगता है, और व्यापारी हर काम मुनाफे के लिए करता है। इसी देश में अंबानी पैदा हुआ, जिसने पहले इस देश को मुठ्ठी में किया और फिर दुनिया को मुठ्ठी में करने चला, अडानी पैदा हुआ जो अचानक इस देश का सबसे अमीर आदमी बन गया, इतने करोड़पति पैदा करने के बाद भी ये देश सुसरा गरीब ही रहा। आखिर कब तक देश गुरबत झेलेगा। मोदी का नसीबा देखो, पहले सी एम था, अभी पी एम हो गया, हैं......क्या नसीब पाया है यार....अडानी का नसीब देखो, इधर मोदी पी एम और उधर उसके सारे प्रोजेक्ट एक के बाद एक पास, सारे लोन सैंक्शन, इसे कहते हैं नसीब.....और दूसरी तरफ वो बदनसीब लोग हैं जो आत्महत्या कर रहे हैं, तो भैया इतने बदनसीब लोगों के लिए बजट बनाया ही क्यों जाएगा, ये बताओ। 
मैं कहूं मोदी ने बिल्कुल ठीक किया, उसने अपने गुजरात के दिनों में ही ये जान लिया था कि ये कौम 5000 साल की भूखी कौम है, अब किसी कौम की 5000 साल की भूख को कोई पांच साल में तो मिटा नहीं सकता। तो बेकार कोशिश ही क्यों की जाए, मरने दो इसे भूख से, आओ हम नाश्ता करते हैं, क्या है नाश्ते में...गोश्त, अरे वाह....मजा आ गया। 
फिर जनता के लिए जो-जो जरूरी था, वो सब सस्ता कर दिया गया है। जूता सस्ता है, घिसते रहो, रोजगार की तलाश में, अगरबत्ती सस्ती कर दी है, रोजगार के लिए, अपने नसीब चमकाने के लिए भगवान से प्रार्थना करते रहो.....कभी ना कभी तो जरूर चमकेगी.....बस तब तुम्हे भी ये बजट अच्छा लगने लगेगा। ये जो बजट बुरा है, बजट खराब है, का शोर मचा रहे हैं, ये वो लोग हैं जिन्हे इन बारीक कामों की कोई समझ नहीं है। कह रहे हैं पैट्रोल सस्ता कर दो.....क्या करोगे सस्ते पैट्रोल का, सस्ती गैस का....किसान से जमीन सरकार ले लेगी, मनरेगा को सरकार वैसे ही बेकार की चीज़ मानती है, तब पकाने के लिए अनाज और सब्जी लाओगे कहां से, उपर से वो भी इतना महंगी है कि खाने को क्या कुछ दिनो में देखने को भी तरस जाओगे.....अबे जब खाना महंगा हो जाएगा तो सस्ती गैस का क्या होगा। दूरदर्शी मोदी सरकार ने पहले ही देख लिया, अब जिस जनता के पास पकाने के लिए अनाज ना हो, उसे सस्ती गैस देने का क्या फायदा, लीजिए जनाब ना गैस होगी ना आपको खाना पकाने का ख्याल आएगा। 
बाकी इतना रोना किस बात का है, बजट वैसा ही है, जैसा अब तक होता आया है। सेवा कर यानी सर्विस टैक्स बढ़ा दिया गया है, बाकी जो चीजें पहले महंगी थी उन्हे और महंगा कर दिया गया है, कुछ बेकार की चीजों पर छुट-पुट सस्ताई की गई है, दोस्तों को फायदा पहुंचाया गया है, दुश्मनों को सताया गया है। सब यही करते हैं। बाकी मामला है आधे खाली गिलास को आधा भरा देखने वाला। पैसेवाला और पैसेवाला होगा तो उसे ज्यादा नौकरों की जरूरत होगी, ये तो जाहिर है, तो गरीबों को रोजगार देने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अमीर को और अमीर बना दिया जाए और गरीब को और गरीब बनाया जाए। तो यही है घुंडी इस बजट की.....समझे क्या मिस्टर तुर्रम खां.....

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