गुरुवार, 29 मई 2025


शहीदसाज़



 एक कहानी पढ़ी थी कभी....भला सा नाम था....शहीदसाज़। मंटो की कहानी थी। सआदत हसन मंटो। तो कहानी का जो मुख्य किरदार है वो गुजरात के काठियावाड़ का रहने वाला था, उसकी रगों में कारोबार दौड़ता था। तमाम तरह के उल्टे-सीधे काम करके वो जिंदगी के एक दौर में सफल हो जाता है, मतलब खूब रूपया- पैसा, कीमती कपड़े, चलने के लिए मोटरकार, बैठने के लिए सोफा, यानी तमाम ऐशो-इशरत का सामान उसके पास होता है। तब एक दिन उसे लगता है कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जो उसकी आत्मा को सुकून दे। और बहुत सोचने के बाद उसे समझ में आता है कि ये ग़रीब जनता जो अपने जीवन में सदा दुख उठाती है, तो इसको अगर जन्नत में भेज दिया जाए तो बहुत ही सवाब का काम होगा। यानी अगर वो लोगों को शहीद करना शुरु कर दे, तो इससे बेहतर और कुछ न हो सकेगा। तो वो लोगों को शहीद बनाने का काम शुरु कर देता है और आखिर में कहता है कि इससे मेरी आत्मा हल्की होती है। और आइंदा भी मैं लोगेां को शहीद बनाने का काम यानी शहीदसाज़ी करता रहूंगा। किसी को याद है ये कहानी? मंटो की कहानियां पढ़िए मिल जाएगी। 


ये तो खैर एक कहानी पढ़ी थी, यूं ही याद आ गई तो सोचा सुना दिया जाए। पर खबर या खबरें बहुत सारी हैं, पहली तो यही कि ये जो बार-बार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई दे रहे हैं, बहुत ग़लत कर रहे हैं। ज़रा सोचिए आपको व्यक्ति की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में से चुनाव करने को कहा जाएगा तो आप क्या कीजिएगा। हां....सुना नेहा राठौड़ पर एक साथ चार सौ एफ आई आर कर दी गई हैं......बस फिर क्या था.....आ गई लाइन पे.....क्या आपने नेहा राठौड़ का नया गाना सुना? बार-बार कह रही हैं, साहेब, साहेब.... बहू-बेटी को धमकाना छोड़ दीजिए पुकार कर रही हैं, कह रही है कि बात-बात पर एफ आई आर मत करवाइए, कह रही है कि छोटी-छोटी बातों पर नाराज़ ना हों.....लेकिन अब नहीं....बिल्कुल नहीं....बहुत हुआ, अब तो कार्यवाही होगी। हो सकता है कि कल-परसों में ही यू पी पुलिस के मुस्तैद कर्मी कानून की मूंछ मरोड़ते हुए सुबह-सवेरे 5 बजे ही गिरफ्तार कर लें..... ऐसे ही थोड़ी नरेन्दर मोदी की छाती 56 इंच की है। और फिर धीरे-धीरे सब लाइन पर आ जाएंगे। 


पर सच कहूं....कुछ बात तो है ये नरेन्दर में.....नया वाला पोस्टर देखे हैं....बिल्कुल ऐसा लग रहा है कि जैसे कि अभी-अभी फाइटर जेट से नीचे उतर कर आ रहे हैं, रगो में जो सिंदूर बह रहा है.....मेरा मतलब दौड़ रहा है वो कुलबुला रहा है बाहर आने के लिए। एक तरफ बगल में हेल्मेट भी पकड़े हुए हैं, सिर पर फौजी वाली टोपी भी पहने हैं, पता नहीं टोपी पहन के जहाज चलाए थे, या हेल्मेट यूं ही थाम लिया है। पर फोटू गजब का है साहब। इत्ती रफ्तार से चलाए होंगे जहाज को, इत्ता तेज....लेकिन दाढ़ी का एक बाल इधर से उधर नहीं हुआ साहब का....एक हम हैं, कित्ता कोशिश किया कि ज़रा थोड़ा चमकते हुए नज़र आएं, कभी सिर का बाल फैल जाता है, कभी मूछ खराब हो जाती है, कभी दाढ़ी मचल-मचल जाती है। दोस्त लोग कहते हैं यार वीडियो बना रहे हो, थोड़ा चुस्त-दुरुस्त दिखो, हम कहते हैं यार मन तो हमारा भी बहुत करता है कि सुंदर, स्मार्ट दिखें, लेकिन होता ही नहीं है। एक मोदी को देखो, क्या लगता है भाय, हर प्रोग्राम में नया सूट, हर फोटोशूट में नया गेटअप....जितना हमारा पूरा सेटअप में पैसा लगा है, उसका दस गुणा सिर्फ इस फोटोशूट में लगा होगा...खैर इस बार जाने दीजिए, अगली बार से सिर के बालों मे ंतो कम से कम तेल लगा कर आएंगे।

भैया बी जे पी जिसे हिंदी में भा ज पा कहते हैं, ऐसे ही तो ऐसी नहीं है। सुना इनके शूरवीर नेता इनके शौर्य की गाथाएं सरेआम आठ लेन के हाइवे पर लिख रहे हैं। भई जिसने भी वो वीडियो बनाया, और उसे जाहिर किया, ये बहुत ग़लत बात है। पर जो हो गया सो हो गया, एम पी की पुलिस जल्द ही इस मामले में उन लोगों की गिरफ्तारी को अंजाम देगी जिसने ये किया है। बताइए अब भाजपा का कोई नेता सरेआम आठ लेन के हाइवे पर संभोग भी नहीं कर सकता। आखिर संस्कार और संस्कृति भी कोई चीज़ होती है, जिसकी भाजपा में नदी बह रही है। एक कहावत है, पता नहीं कहां सुनी थी, बड़े ने खैंची कार, उतर गई सह-कुटुम्ब परिवार.....अब इस कहावत से आप कितना समझें ये आप पर निर्भर करता है। साहेब से अनुरोध है कि एम पी के ये जो अराजब तत्व हैं, जिन्होने नेता जी का ये वीडियो वायरल किया है उन पर जल्द से जल्द और सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए। और नेता जी के समर्थन में कम से कम चार-पांच रैलियां निकाली जाएं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा लगाते हुए जब पावन धरा पर जब बलात्कारियों के समर्थन में ऐसी रैलियां निकलती हैं तो सच कहें मन गद्गद् हो जाता है। भाजपा नेता हमेशा समाज को सही रास्ता दिखाते हैं, इस बार आठ लेन का हाइवे दिखाया है, देखें आगे क्या होता है। 

ये जो टीमें भेजने की बात थी विदेशों में, आॅपरेशन सिंदूर पर भारतीय पक्ष को मजबूत करने के लिए, वो चली गई हैं क्या....चली ही गई होंगी। इनका भी विरोध ही किया था आॅपोजीशन ने साहब....लोगों को ये तक कहते सुना कि इससे पहले जो पूरी दुनिया के दर्जन में 13 के भाव से चक्कर लगा रहे थे पिछे एक दशक से उसका क्या यही नतीजा है....पूरी दुनिया के शीर्षस्थ नेता जिनके डीयर फ्रंेड हों, उन्हें ऐसी टीमें भेजने की जरूरत ही क्या रह जाती है। दूसरी तरफ मन की बात चलती है, जो भारतीय ही नहीं, विश्व की अन्य भाषाओं में भी अनूदित होता है, से काम क्यों नहीं लिया जाता। पर फिर सोचता हूं, कि यार क्यों बेकार नेताओं की मुफ्त विदेश यात्राओं पर क्यों पैर मारना, आखिर 30 साल भिक्षा से काम चलाने वाले मोदी जी भी तो उसी दौरान अमरीका की कई यात्राएं कर चुके थे, वो क्या अपने पैसों से गए होंगे। संभव ही नहीं है, तो अब मौका है ऐसे मौके निकालने का कि जिसको चाहें उसे विदेश यात्रा करवा दें, मोदी जी का दिल बहुत बड़ा है, खुद यात्राएं करते हैं, दूसरों को भी पूरा मौका देते हैं। अब कुछ लोग कहेंगे कि यार आॅपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया को बताने जा रही टीमों के बारे में ऐसा कह रहे हो, लेकिन आपदा में अवसर का फार्मूला भी तो मोदी जी ने ही दिया है। ये टीमें पूरी दुनिया को आॅपरेशन सिंदूर से रू-ब-रू करवाएंगी, और भारत की जनता के बीच आॅपरेशन सिंदूर के असली हीरो, जेट चालक, वीरों के वीर, रगों में खून की जगह सिंदूर दौड़ाने वाले मोदी जी और उनके समर्थक यही प्रचार करेंगे। करेंगे क्या, बल्कि कर रहे हैं। एक साहब पूरी सेना को मोदी के चरणों में नतमस्तक करवा दे रहे हैं, एक और वीडियो देखा जिसमें मोदी जी के लाइफ साइज पोस्टर की आरती उतारी जा रही थी और गाना भारत माता वाला बज रहा था। खैर हो भी क्यों ना, जो काम मोदी जी विदेशों में करवा रहे हैं, वही काम उन्हें भारत में करना तो बनता है। प्राॅब्लम ये है कि ये देशद्रोही किस्म की जनता, खासतौर पर राहुल गांधी, इस बात को समझ नहीं रहे हैं कि असली वीरता तो मोदी जी ने दिखाई है, इसलिए उनके द्वारा और उनके लिए किया गया प्रचार युद्ध का राजनीतिकरण, या शहीदों की शहादत का राजनीतिकरण नहीं माना जाएगा। 


चलिए वो सब छोड़िए, आप इस पर ध्यान दीजिए कि जिस तरह दिल्ली सरकार ने लिकर पाॅलिसी में ऐसा घोटाला किया जिसका कोई ओर-छोर ई डी को पता नहीं चल पाया, उसी तरह का एक मामला और सामने आ रहा है। तामिलनाडू में जहां शायद अगले साल चुनाव होने वाले हैं, वहां टस्मैक के दफ्तरों पर छापे मारने का काम शुरु किया जा चुका था, वो सुप्रीम कोर्ट कुछ-कुछ कह रहा है, लेकिन उससे निपट लिया जाएगा। अभी तो मोदी के तरकश में बहुत सारे तीर हैं। गर्वनर किस दिन काम आएंगे, गर्वनर न हों तो और भी कई रास्ते हैं, लेकिन सबके बारे में यहां बात करना ठीक नहीं है। अब चाहे जो हो, तामिलनाडू में होनी तो भई चार इंजनों वाली सरकार होनी ही चाहिए। जब तक एकछत्र राज ना हो तब तक मजा नहीं आता राज करने का, तो इस साल बिहार, आॅपरेशन सिंदूर से पक्का किया जाएगा और फिर नंबर आएगा तामिलनाडू का.....

तो कुल बात का लब्बो-लुबाब ये है कि कर लो जितना चाहे, सबको लाइन में ले आया जाएगा.....और लाइन में तुमको आना ही पड़ेगा....

बाकी बातें बाद में, और सुनो भाई, लाइक - सब्सक्राइब और शेयर......ठीक है। फिर मिलता हूं.....
अरे हां....ग़ालिब के कुछ गुमनाम शेर हाथ लगे हैं, एक सुन लीजिए और इस पर अपनी राय दीजिए, हालांकि मेरी राय में गालिब ऐसे कोई बहुत अच्छे शायर नहीं हैं, शायर और वो भी उर्दू के अच्छे हो भी नहीं सकते.....पर ये सुनिए आप

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब माथे पर ही ना लगा तो फिर सिंदूर क्या है

आदाब आदाब.....शुक्रिया.....मने नमस्कार

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