शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

तेरी शिकायत मेरे ठेंगे से




नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। देखिए ये लोग मान नहीं रहे हैं, बिल्कुल नहीं मान रहे हैं। अरे ऐसी भी क्या दादागिरी है भई। सरकार के प्रवक्ता लगातार टी वी चैनलों पर बता रहे हैं, चीख-चीख कर बता रहे हैं कि चुनाव आयोग पर ग़लत आरोप लगाए जा रहे हैं, वोटों में कोई गड़बड़ी नहीं है, और ये जो राहुल गांधी कर रहे हैं, वो सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो हार गए हैं। 



आप भी जानते है जो हार जाता है वही वोटिंग की गड़बड़ी का राग अलापता है, आपने कभी किसी भाजपा नेता को देखा है लोकतंत्र की गुहार लगाते हुए। क्योंकि भाजपा जीती है, इसलिए वो नहीं चिल्ला रही है, बाकी जो हार गए हैं, वो चिल्ला रहे हैं। 



योगेन्द्र यादव ने एस आई आर वाले मामले में दो लोगों को ले जाकर कोर्ट में ही खड़ा कर दिया, कि देखो माई-बाप ये लोग जो असल में जिंदा हैं, उन्हें एस आई आर में मृत घोषित कर दिया गया है। दोस्त मेरे, ये भारत है, यहां इंसान नहीं माना जाता, कागज़ माना जाता है, अरे भई जब एस आई आर में उन्हें मृत माना गया है, तो फिर हम उनकी बात का यकीन क्यों करेंगे। माई लॉर्ड ये लोग जो कह रहे हैं कि ये जिंदा हैं, क्या सबूत है इसका कि ये जिंदा हैं, क्योंकि चुनाव आयोग की एस आई आर तो कह रही है कि ये मर चुके हैं। ऐसे तो कल को कोई भी कोर्ट में आके कहने लगेगा कि वो जिंदा है जबकि सरकारी कागज़ों में वो मरा हुआ होगा। 



इस बीच आप गौर कीजिएगा कि राहुल गांधी ने कसम अभी तक नहीं खाई है। खाओ मां कसम, फिर कहो कि तुम जो कह रहे हो, या आरोप लगा रहे हो, वो सही हैं। मैं बताउं ये जो राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट दिखाई है वो इलैक्शन कमीशन की है ही नहीं, ये इन्होने खुद ही बना ली है और फिर उसे लोगों का दिखा दिया है। और इसीलिए मजबूरन के चु आ को अपनी साइट से वोटर लिस्ट ही हटानी पड़ी है। ना रहेगी साइट पर लिस्ट ना होगी उसकी जांच और ना लगेगा आरोप। अब कल्लो जो कन्ना ए। 



वाराणसी में जब मादी ने चुनाव लड़ा था तो जितने लोगों ने वोट डाले उससे ज्यादा वोट निकले। इसमें ऐसी क्या दिक्कत है भाई, वोट कम होते तो कोई मामला बनता भी, वोट ज्यादा होने से क्या प्रॉब्लम है जी। राहुल कह रहे हैं कि वोट कटे हैं, ये सज्जन बोल रहे हैं कि वोट बढ़ गए हैं। बताइए, किस की बात मानें? 


और भैये सवाल ये है ही नहीं कि केचुआ ने अपनी वेबसाइट पर वोटर लिस्ट लगाई या नहीं, आप मुझे यूं बताइए कि कौन सा कानून कहता है कि केचुआ को वोटर लिस्ट किस फॉर्मेट में साइट पर लगानी है? बताइए, केचुआ कानून के हिसाब से काम करे या फिर तुम्हारी जानकारी के लिए काम करे। केचुआ का काम चुनाव करवाना है, किसे वोट देने का अधिकार है, किसे नहीं, ये केचुआ तय करेगा। तुम कौन होते हो ये कहने वाले कि हमारा नाम कट गया, नहीं हो तुम अलिजिबल, नहीं देने देंगे तुम्हे वोट। कल्लो क्या कल्लोगे। अबे जाओ, लेकर आ गए आधार, ये आधार पासपोर्ट बनाने के काम आएगा, वोट डालने के काम नहीं आएगा। अब से वोट के दिन जब जाओगे तो जमीन के कागज़ या फिर दादा का जन्म प्रमाण पत्र लेकर जाना होगा, वरना वोट नहीं दे पाओगे तुम। कल्लो क्या कल्लोगे। 


मेरे हिसाब से तो सुधीजन, ग़रीब आदमी को वोट का अधिकार देना ही नहीं चाहिए। बढ़िया ये रहे कि जिन लोगों की वजह से ये देश दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकॉनामी बना है, उन्हें ही सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए। 


देखिए मेरा सीधा सादा हिसाब है, ग़रीबों को अक्सर पता नहीं होता कि उनकी भलाई किसमें है। अक्सर सरकार को पुलिस लगानी पड़ती है ये समझाने के लिए कि जनता की भलाई किसमें है। कृषि कानूनों के वक्त क्या हुआ था, सरकार ने किसानों की भलाई के लिए तीन कानून बनाए, उन्हें बकायदा बिना बहस के ध्वनि मत से संसद में पास करवा दिया था। लेकिन इन किसानों को समझ ही नहीं आया कि ये बिल उनके फायदे के लिए हैं। उतर गए धरना प्रदर्शन करने। अब बताइए, इत्ती पुलिस लगानी पड़ी, इत्ती गोलियां, लाठियां, मुकद्में इन लोगों पर लगाने पड़े, लगभग 700 किसानों को मार देना पड़ा, लेकिन इन्हें समझ नहीं आया कि सरकार इनकी भलाई करने की सोच रही है। आखिर में सरकार को दया आ गई, कि अब इससे ज्यादा लोगों को नहीं मारना चाहिए, क्योंकि महामानव को तो कुत्ते का पिल्ला भी अगर मर जाए तो दुख होता है, तो 700 किसानों के मरने का दुख तो होना ही था। इसलिए सरकार ने वो बिल जो किसानों की भलाई के लिए बनाए थे वापस ले लिए। 


अब जब केचुआ, इसी जनता की भलाई के लिए बिहार में एस आई आर करवा रहा है, तो भी लोगों को दिक्कत हो रही है। सुना इसके लिए भी लोगों पर एफ आई आर हो रही है, बताइए, इन नालायकों को ये समझ में नहीं आता कि सरकार इनकी भलाई के लिए ही एस आई आर करवा रही है। माफ कीजिएगा, ग़़लती हो गई, मेरा मतलब था केचुआ इनकी भलाई के लिए एस आई आर करवा रहा है। अब एस आई आर से इन लोगों का भला होगा, ये लोगों को समझ नहीं आ रहा है, इन्हें लगता कि वोट देना जनता का अधिकार है, अरे भोले लोगों, यानी भारत की जनता, कभी था वोट देना तुम्हारा अधिकार, अब केचुआ जिसे चाहेगा, सिर्फ वही चुनाव लड़ेगा, सिर्फ वही वोट देगा जिसे चुनाव आयोग वोट देने देगा। और अभी तो बिहार में हो रहा है, अब सारे देश में होगा। तुम लोग जाते रहो, सुप्रीम कोर्ट, उसने तो साफ कह दिया कि भैये निर्देश ले लो, सुझाव ले लो, बाकी चाहे जितने सबूत ले आओ, होगा वही जो केचुआ चाहेगा। 


खैर, मैं अपनी बात पर आता हूं। मेरा कहना ये है कि, एक तो इस देश से आम चुनाव बंद करवा देना चाहिए। बड़ा पैसा खर्च होता है, और इन लोग को सेट करने के चक्कर में बड़ी घपलेबाजी होती है। उपर से ये लोग उनको नहीं चुनते, जिन्हें केचुआ चाहता है, इसलिए केचुआ को तरह-तरह के काम करने पड़ते हैं, जैसे एस आई आर करवानी पड़ती है, एक ही घर में 800 लोगों का रजिस्टेशन करना पड़ता है, कहीं वोट काटने पड़ते हैं, कहीं वोट जोड़ने पड़ते हैं बल्कि आसान ये होगा कि एक कॉकस बनाया जाए, जिसमें देश के सबसे बड़े उद्योगपति हों, ब्यूरोक्रेट हों, जज हों, ये सब लोग हों। ये सब लोग बैठें और फिर सरकार बनाने की इच्छुक पार्टियां अपना आवेदन इन लोगों के सामने रखें, और फिर ये सब उद्योगपति, ब्यूरोक्रेट, जज आदि मिलकर सरकार बना दें। चुनाव आयोग इस बैठक का आयोजन करे, और इस दिन खाने-पीने का, पीने पर विशेष जोर के साथ इंतजाम करे। खूब उत्सव का माहौल हो, और इस तरह मतदान को महोत्सव बनाया जाए। उसके बाद कुछ परेड-वरेड आदि भी हो सकता है। अरे यार ये लोग समझदार लोग हैं, ये जानते हैं कि जनता की भलाई किसमें है। जनता नहीं जानती कि उसकी भलाई किसमें है। देखिए जनता की भलाई के लिए, जिसे आप देश की भलाई भी कह सकते हैं, कुछ बलिदान तो देना ही होता है। इस बार ये बलिदान लोकतंत्र का हो, तो भी क्या हुज्जत है जनाब। लोकतंत्र का क्या है, कल नहीं था, आज है, कल नहीं होगा। असली मामला राजगद्दी का है, सत्ता का है। कुछ लोग राजा बनें, कुछ लोग जज बनें, कुछ लोग आयोगों के अध्यक्ष बनें। जनता को तो वही रहना है जो वो थी, कल भी ग़रीब मजदूर किसान थी, आज भी ग़रीब मजदूर किसान है, और कल भी ग़रीब मजदूर किसान ही रहेगी। 


और सबसे बड़ी बात ये है कि वोट देना एक प्रिविलेज है, तो पहले जनता ये साबित करे कि वो इस प्रिविलेज के लायक है, फिर उसे वोट करने मिलेगा। मैं क्या कहता हूं, खुद ही से केचुआ को लिख कर भेज दो कि भैया आप लोग मेरा वोट काटें इससे पहले मैं ही वोट करने का अपना अधिकार आपको सौंपता हूं, वैसे भी मेरे वोट करने से तो सरकार बनने से रही, सरकार तो उसी की बनेगी जिसकी आप चाहेंगे, तो इसलिए आप ही मेरा वोट भी डाल लीजिए, कम से कम चोरी जैसा पाप करने से तो बचेंगे। 


और आखिरी बार कह रहा हूं, ये वोट चोरी, वोट फ्रॉड वाले नारों से सावधान रहिए, और मंदिर - मस्जिद में अपना ध्यान लगाइए, देश विश्वगुरु बस बनने ही वाला है। बस एक बार देश विश्वगुरु बन जाए, फिर देखना, गर्दा उड़ेगा, पूरी दुनिया में गरदा। 


अरे हां, ग़ालिब का लोकतंत्र की डिमाइस पर यानी फौत पर एक शेर है, गजब शेर है, गौर से सुनिएगा, और समझ ना आए तो केचुआ को लेटर देकर मतलब पूछ लीजिएगा। तो शेर कुछ यूंह ै


ये वोट की जो तूने बात छेड़ी ग़ालिब 

एक तीर सा इस दिल को लगा के हाय

हम करेंगे अपने दिल को लगा जो अच्छा

लोकतंत्र का क्या है सुसरा, मरता है तो मर जाए


बाकी वोट के अधिकार को छोड़िए, अपनी खैर मनाइए। चुनाव आ रहा है, जीतना उसी को है जिसे केचुआ चाहेगा। मेरी मानिए इस बार छुट्टी में ज़रा बाहर घूम आइए। वोट तो पड़ ही जाना है। 

बाकी लोकतंत्र को याद कीजिए, जब तक रहा, अच्छा ही रहा बेचारा। 

नमस्कार। 



मंगलवार, 12 अगस्त 2025

राहुल के आरोपों का पर्दाफाश




नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने हूं। पता नहीं क्या हुआ भाई, पिछले तीन दिनों से पूरे देश में वोट चोरी, वोट फ्रॉड जैसी बातें ही सुन रहा हू, और आप हैं कि राहुल गांधी पर यकीन किए बैठे हैं। इस देश में पहली बार कोई ऐसा ईश्वरीय अवतार, गद्दी पर बैठा है, और इन्हें यकीन ही नहीं हो रहा। राहुल गांधी ने एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रंेस करके वोट की चोरी का इल्जाम लगाया, जो लगाया तो केचुआ, मेरा मतलब केन्द्रीय चुनाव आयोग पर है, लेकिन उनके असल निशाने पर महामानव हैं। वो बार - बार कह रहे हैं कि महामानव वोट चोरी करके प्रधानमंत्री बने हैं। 



इन्हें क्या पता, इस देश में चुनाव हो ही इसलिए रहे हैं कि जनता महामानव को चुन सके। वरना महामानव को कोई वोटों की ज़रूरत है, अरे उनका तो जन्म ही महामानव, ब्रह्मांड गुरु, डोलांड टरम्प से तू-तड़ाक वाली दोस्ती रखने ओर अंततः भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए हुआ है। 



आज अपने इस वीडियो में हम राहुल गांधी द्वारा किए जा रहे दावों की पड़ताल करेंगे और उन्हें एक-एक करके झूठा साबित करेंगे। इस वीडियो को पूरा देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि महामानव और केचुआ यानी केन्द्रीय चुनाव आयोग को बदनाम करने के लिए राहुल गांधी ने कैसे ये जाल बिछाया है। कैसे ये साजिश की है, एक अवतार को बदनाम करने की, और मुझे यकीन है कि इस वीडियो के अंत तक आपको यकीन हो जाएगा कि महामानव और केचुआ, मेरा मतलब केन्द्रीय चुनाव आयोग पूरी तरह पाक साफ है, पवित्र है और उस पर कोई इल्जाम नहीं लगाया जा सकता। 



पहली बात तो ये दोस्तों कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर जो आरोप लगाए हैं वो चुनाव हारने के बाद लगाए हैं। तो इसको समझने से पहले आप मुझे एक बात बताइए, जब 1947 में देश को आजादी मिली थी, तो हमारे देश के दो टुकड़े किसने करवाए थे। नेहरु अगर उस समय ये ग़लती नहीं करते तो आज हमारे सिर पर हमारा दुश्मन पाकिस्तान ना बैठा होता, और भारत सच में अखंड भारत होता। और मैं आपको ये भी बताना चाहता हूं दोस्तों कि ये जो बार-बार, इंदिरा गांधी को ये श्रेय दिया जाता है कि उन्होने पाकिस्तान के दो टुकड़े करवाए, तो मुझे ये बताइए कि अगर नेहरु ने भारत के दो टुकड़े नहीं करवाए होते तो बांग्लादेश बनता ही नहीं, बल्कि वो भी भारत का हिस्सा होता, हिंदुस्तान के दो टुकड़े करने के लिए नेहरु को देश कभी माफ नहीं करेगा। पहले ये कांग्रेस उसका जवाब तो दे, क्योंकि सवाल तो हमारे पास भी बहुत सारे हैं। राहुल गांधी ने आज तक, ध्यान रखना दोस्तों, आप चाहें तो जितना मर्जी इंटरनेट देख लें, आज तक राहुल गांधी ने इस बात का जवाब नहीं दिया है कि नेहरु ने भारत के दो टुकड़े क्यों करवाए। अगर सरदार पटेल पहले प्रधानमंत्री बनते तो ये बंटवारा नहीं होता। पहले राहुल गांधी इसका जवाब दें, फिर वो किसी से सवाल पूछें। समझें।



दोस्तों, राहुल गांधी ने इतने सारे कागज़ों में से कुछ ही नाम छांट कर निकाले हैं, जिनमें से एक आदित्य श्रीवास्तव हैं, जिन्होने कई जगह वोटिंग की है, ऐसे ही बहुत सारे नाम हैं, जिन पर राहुल गांधी ने आरोप लगाया है। मैं आपसे कह रहा हूं कि आपको इसे समझना पड़ेगा, कांग्रेस का जो गोरखधंधा है इसे पूरी तरह समझना पड़ेगा। राहुल गांधी ने ये आरोप लगाने से पहले कोई शपथ नहीं ली, ना ही कोई कसम खाई है, बिना कसम खाए आप चुनाव आयोग पर ऐसा आरोप लगा ही कैसे सकते हैं। चुनाव आयोग एक पवित्र संस्था है, ये संस्था नियमों की पवित्रता बनाए रखते हुए काम करती है। केचुआ, अरे केचुआ मतलब केन्द्रीय चुनाव आयोग बार-बार कह रहा है कि राहुल गांधी शपथ लें यानी कसम खाएं और फिर आरोप लगाएं। दोस्तों आप इस गेम को समझिए। इस देश में सनातन की पवित्रता को लगातार खतरा है, लगातार सनातन पर हमला हो रहा है, और हिंदुओं की सदियों पुरानी विरासत को संस्कृति को लगातार नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। और ये हमला कांग्रेस कर रही है, कांग्रेस तो चाहती है कि इस देश से सनातन खत्म हो जाए। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। 


राहुल गांधी ने अपनी इस प्रेस कांन्फ्रेंस में बड़े जोर-शोर से प्रेजेंटेशन में ये बताया कि कई लोगों के नाम गायब कर दिए गए हैं। दोस्तों आपको याद नहीं होगा, लेकिन इस देश में औरंगजेब ने हिंदुओं पर बहुत अत्याचार किए हैं, अरे वो तो कई मन जनेउ जलाए बिना नाश्ता तक नहीं करता था। उस समय इस भारत-भू पर हिंदुओं ने बहुत अत्याचार सहा है। औरंगजेब को ये कांग्रेस बुरा राजा नहीं मानती दोस्तों, आज तक इन्होेने इतिहास की किताबों में औरंगजेब को एक क्रूर बादशाह नहीं बताया है, औरंगजेब तो छोड़िए इन्होने तो अकबर को महान बताया है, कांग्रेस के समय में हमारे स्कूलों में बच्चों को अकबर द ग्रेट यानी अकबर महान के बारे में पढ़ाया जाता था। इस देश के बच्चों को हिंदु संस्कृति की जगह मुगलों का इतिहास पढ़ाया जाता था। जबसे मोदी जी की सरकार आई है, हमने अब्दुल को टाइट किया है, दोस्तों ये याद रखिएगा। पहले राहुल गांधी इसका जवाब दे ंतब उन्हें अपने सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। 


राहुल गांधी जब भी केचुआ पर उंगली उठाते हैं, यानी आरोप लगाते हैं, तो भारत की महान संस्कृति का, सनातन का अपमान करते हैं, हिंदुओं की भावनाओं का अपमान करते हैं, और मैं आज जिम्मेदारी से ये कहना चाहता हूं कि इसके लिए उनके खिलाफ मानहानि का या कोई और मुकद्मा दायर किया जाएगा। मुझे पूरा यकीन है कि जज हमारा ही पक्ष लेंगे और राहुल गांधी को जेल भेज देंगे, देश निकाला दे देंगे। खैर राहुल गांधी कह रहे हैं कि एक ही घर में, एक कमरे के मकान में कई - कई लोगों का रजिस्टरेशन है। दोस्तों इसका जवाब भी मैं आपको जरूर दूंगा दोस्तों। ये एक ग़रीब देश है। मतलब ये ठीक है कि हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और महामानव, विश्वगुरु, अवतारी, नॉन बॉयोलॉजिकल मोदी जी के नेतृत्व मे ंहम जल्द ही तीसरी, फिर दूसरी और फिर पहली अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं, लेकिन साथ में ये भी सच है कि नेहरु की ग़लतियों के चलते बहुत सारे लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं हैं। इसलिए इस देश में बहुत सारे लोग एक ही घर में रहते हैं। 



ये जो घर महामानव ने बनाए और उनकी चाबियां दी थीं, ये घर यू पी में बने थे, लेकिन राहुल गांधी जो आरोप लगा रहे हैं, वहां अभी महामानव ने नए घर बनवा कर उनकी चाबियां नहीं दी थीं, इसलिए एक ही कमरे के मकान में 800 लोगों को रहना पड़ रहा था। लेकिन इसमें गलती किसकी थी। यही लोग हैं जो महामानव को महान काम करने से रोकते हैं, और फिर जब महामानव ये सब उपलब्धि हासिल कर लेते हैं तो उन पर आरोप लगाते हैं। हमारे महामानव ने अकेले यू पी में एक करोड़ तेरह लाख मकान बना दिए हैं, लेकिन राहुल गांधी को तो अपने आरोपों से मतलब है। 


अगर ये 5 करोड़ घर बन गए होते तो राहुल गांधी को ये आरोप लगाने का मौका नहीं मिलता, लेकिन महामानव की इस योजना में भी राहुल गांधी ने रोड़ा अटका दिया। सरकार से हर कदम पर सवाल करने वाले राहुल ये बताएं कि उनके पास इस बात का क्या जवाब है। 

दोस्तों, बहुत सारे लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि जब राहुल गांधी ने आरोप चुनाव आयोग पर लगाया है तो फिर उनका जवाब भाजपा क्यों दे रही है। दोस्तों मुझे एक बात बताइए, केचुआ यानी केन्द्रीय चुनाव आयोग कहां का है, भारत का, भाजपा कहां की है, भारत की, और देश में सरकार किसकी है, महामानव की, तो इसका सीधा सा मतलब है कि इस देश की हर संस्था महामानव की संस्था है और अगर राहुल गांधी केचुआ पर आरोप लगाते हैं तो वो सीधा महामानव पर आरोप लगा रहे हैं। इस देश की सारी संस्थाएं महामानव की संस्थाएं हैं, और अगर उन पर कोई आरोप लगाएगा तो उसे भाजपा कड़ा जवाब देगी। 


मुझे पूरा यकीन है राहुल गांधी ने केचुआ मेरा मतलब केन्द्रीय चुनावा अयोग पर जो आरोप लगाए हैं, उसके जवाब आपको मिल ही गए होंगे। जो इस देश से प्यार करेगा, सनातन से प्यार करेगा, हिंदु हितों की रक्षा करेगा, वो कभी भी चुनाव आयोग पर ऐसे सबूतों के साथ आरोप नहीं लगाएगा दोस्तों। तो मेरी आपसे गुजारिश है कि इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि राहुल गांधी और उनके दोस्तो को कड़ा जवाब दिया जा सके। 


ग़ालिब नेहरू की ग़लती को जानते थे, वे राहुल गांधी की ग़लती को भी जानते थे, इसलिए उन्होने लिखा था।


जो भी ग़लत हुआ है, नेहरु की ही ग़लती थी

केचुआ पे आरोप, अब मत लगा तू राहुल

राष्टप्रेम के आगे हम, सब कुछ को भूल जाएं

जैसे भी चाहे आएं, मोदी ही मोदी आएं


जय केचुआ, जय महामानव, नमो नमो



सच्चा भारतीय - सच्ची भारतीयता






नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। मामला मुद्दआ ये है कि मैं बहुत खुश हूं। कस के डांट पड़ी राहुल गांधी को कोर्ट से, वो भी सुप्रीम कोर्ट से, अजी डांट क्या पड़ी, एक न्यायाधीश ने तो साफ - साफ कह दिया कि तुम अगर सच्चे भारतीय होते तो ऐसा ना कहते....



अब आप सोचेंगे कैसा ना कहते। यूं तो राहुल गांधी, और ये जो बाकी चट्टे-बट्टे शोर मचा रहे हैं ना, दुनिया भर का वबाल काटा हुआ है इन्होेने, ये सब जो भी कहते हैं, वो इस बात की ताईद करता है कि ये लोग सच्चे भारतीय नहीं हैं। बताइए, कोई सच्चा भारतीय क्यों भारत से यानी सरकार से यानी मोदी उर्फ महामानव से कोई सवाल करेगा। एक सच्चा भारतीय वो होता है, जो मिल जाए तो दो वक्त का खाना खाए, और संभव हो तो चादर तान कर सोए। बताइए, बोलना, सवाल करना, यूं आड़ी -तिरछी बातें करना, ये किसी भी एंगल से सच्चे भारतीय का काम लगता है क्या? आप ही बताइए। 


माफ कीजिएगा, ये वीडियो यूं ही बीच में आ गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें, वीडियो में जिनको आपने अभी देखा वे वर्तमान दिल्ली राज्य सरकार में, कानून मंत्री हैं, और जहंा तक हमारी जानकारी है, वे एक सच्चे भारतीय हैं। आप चाहें तो इनसे सच्चा भारतीय होने के गुण सीख सकते हैं। वैसे भी भारत में सच्चा भारतीय होने की लगातार टेनिंग दी जाती है, अगर आप उस टेनिंग में नहीं जाते हैं, तो आप सच्चे भारतीय होने से बच रहे हैं। जो बहुत ही खराब बात है, ये टेनिंग सुबह के समय, किसी भी पार्क या खाली मैदान में दी जाती है, अगर आप इस टेनिंग में हिस्सा लेते हैं, तो आप सच्चे भारतीय हैं और इसकी तस्दीक लगातार हमारे माननीय न्यायाधीश समय-समय पर करते रहे हैं, करते रहते हैं। 


देश में सच्चा भारतीय बनाने की टेनिंग साल 1925 से लगातार चल रही है, बीच में इस टेनिंग में कुछ व्यवधान आ गया था, जिसमें सच्चा भारतीय बनाने वाली संस्था पर बैन लगा दिया गया था, जो कि वाकई बहुत ही बुरा कदम था, लेकिन अब सच्चे भारतीयों की संस्था ने देश की हर संस्था के शुद्धिकरण का बीड़ा उठा लिया है, और उसे अपने सिर पर रख लिया है, इसी प्रक्रिया में, झूठे भारतीयों की खोज की जा रही है, और उन्हें समझाया जा रहा है कि बेटा जी सच्चे भारतीय बनो। अब इस सबके बावजूद अगर आप सच्चे भारतीय नहीं बनते तो फिर हमारे माननीय न्यायाधीश ये कहेंगे कि अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ये ना कहते। 

तो अगर ये ना कहते तो क्या कहते? जी हां, सही सवाल यही है। एक सच्चा भारतीय होना एक कड़ी प्रक्रिया होती है, बुद्धि और तर्क से दुश्मनी करनी पड़ती है, किताबों को दुश्मन मानना होता है, और सबसे बड़ी बात, यदि मन में कोई सवाल आए तो हाथ जोड़ कर आंख बंद करके, उस सवाल को मन से बाहर निकाल कर महामानव को देश मानना होता है। दोस्तों, ये शंका, ये सवाल, ये बहस, ये तर्क क्यों, आखिर क्यों, क्या आप ऐसे सच्चे भारतीय नहीं बन सकते।


बताइए, क्या ये करना मुश्किल है। एक सच्चा भारतीय ऐसे ही सोचता है। और राहुल गांधी सवाल उठा रहा है। वो एक - आध सवाल उठाए तो ठीक है, क्योंकि खुद महामानव भी मानते हैं कि आलोचना करने से ही लोकचंद्र बचा रह सकता है। 




लेकिन सावधान, आप आलोचना करें तो ध्यान रखें कि कहीं आप सच्चे भारतीय होने की राहे मुस्तकीम से भटक ना जाएं। देखिए, अपने देखने वालों को मैं ये बता दूं कि आलोचना ऐसी होनी चाहिए कि जिससे सरकार को कोई तकलीफ ना हो, उन्हें दिक्कत होगी तो फिर मान लीजिए, ये माननीय न्यायाधीशों को कर्तव्य बन जाता है कि वो ये निर्देश दें कि भई आप सच्चे भारतीय होने के रास्ते से भटक रहे हैं। समस्या ये है कि कुछ लोगों ने सरकार की आलोचना को ही अपना काम मान लिया है। महंगाई बढ़ रही है तो सरकार को दोष दो, रोजगार नहीं मिल रहा, सरकार को दोष दो, कहीं आतंकवादी हमला हो गया, सरकार को दोष दो, कहीं किसी मंत्री ने महिलाओं का बलात्कार किया, और उसका वीडियो बना लिया, सरकार को दोष दो, कहीं चीन देश के अंदर घुस आया, सरकार को दोष दो। अरे भई हर बात में सरकार को दोष देना कहां की अक्लमंदी है। 



सरकार को क्या बस यही काम रह गया कि वो किसानों को सुविधाएं दे, छात्रों के लिए पढ़ाई का इंतजाम करे, महंगाई कम करे, महिलाओं की सुरक्षा करे, मजदूरों को सही मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा दे। सरकार को और भी बहुत काम होते हैं, ये जो पूरी दुनिया में डंका बज रहा है, इसे कोई नहीं देखता, राहुल गांधी जिनके बारे में माननीय न्यायाधीश महोदन ने कह दिया है कि वो सच्चे भारतीय नहीं हैं, क्या ये भारत का ये डंका पूरी दुनिया में उन्होने बजाया है, अगर वो सच्चे भारतीय होते तो दुनिया भर में भारत का ये बजता हुआ डंका उन्हें भी सुनाई देता, लेकिन दोस्तों, ये झूठे भारतीय होने की बीमारी ने उनके कानों पर पर्दा डाल दिया है। सुना कि वो लेह-लद्दाख भी चले गए, वहां लोगों से बात भी कर ली, और वहां के लोगों ने जो कहा, उन्होने आकर यहां उसके आधार पर सरकार से सवाल पूछ लिए। बताइए, एक सच्चा भारतीय ऐसा करता, नहीं, कभी नहीं, बिल्कुल नहीं। 




यही नहीं, वो तो खुलेआम, सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। बताइए, एक ऐसे देश में जहां, प्रातःस्मरणीय, अवतारी पुरुष, छप्पनी इंची छाती वाले महामानव राज करते हों, उस देश में ऐसे सवाल उठाना क्या किसी सच्चे भारतीय को शोभा देता है। 


एक और भारतीय जिनके सच्चे होने पर मुझे संदेह है, कृप्या माननीय न्यायाधीश महोदय इनकी तरफ भी ध्यान दें। 




बताइए, ये आदमी भारत पर चीन के कब्जे की झूठी खबरें फैला रहा है, अगर आपको नहीं पता कि ये कौन है तो प्लीज़ ज़रा गूगल का इस्तेमाल कीजिए। बताइए, ये व्यक्ति वहीं रहता है, जहां के बारे में बात हो रही है कि वहां चीन भारत के अंदर घुस आया है, ये आदमी हमें क्यों ये सब बता रहा है, अरे भई तुम पर्यावरण, जैसा कुछ करते हो, करो, ये सब बातें क्यों कर रहे हो, ये बातें तुम्हारे करने की नहीं हैं, मेरा कहना ये है दोस्तों की ये आदमी भी असल में सच्चा भारतीय नहीं है, वरना ऐसी बातें नहीं करता, वो भी तब जबकि हमारे महामानव हमें बता चुके हैं कि ना कोई आया और ना कोई गया



महामानव, विश्वगुरु के ऐसे बयान के बाद भी कोई अगर वहां रहने वाले लोगों पर भरोसा करे, वहां के सांसद पर भरोसा करे, विपक्ष के नेता पर भरोसा करे, तो बताइए, इस देश का क्या होगा। इस देश में सच्चे भारतीयों की कमी होगी, और देशभक्ति का मीटर नीचे चला जाएगा। इसलिए एक सच्चे भारतीय का ये कर्तव्य है, कि वो महमानव की बातों पर, आंख मूंद कर भरोसा करे। क्योंकि हमारे महामानव सच्चे, भारतीय हैं, सच्चे क्या वे तो पवित्र भारतीय हैं। 


दोस्तों, मैं बस यही कहना चाहता हूं कि आज के दौर में जब पूरी दुनिया में भारत विश्वगुरु होने की कगार पर खड़ा है इस तरह के झूठे भारतीय, भारतीय नागरिकों को सच्चा नागरिक बनने से रोक रहे हैं, और मुझे खुशी है कि हमारे माननीय सुप्रीम कोर्ट के माननीय विद्वान न्यायाधीश ने, राहुल गांधी को झूठा भारतीय होने की चेतावनी दी, जिससे हमारे सामने ये रास्ता साफ हो गया कि क्या करने से व्यक्ति झूठा भारतीय हो सकता है। इसके लिए मैं इन न्यायाधीश महोदय को साधुवाद देना चाहता हूं, और एक बार फिर से ये दोहराना चाहता हूं कि अब भी बहुत सारे लोग इस देश में हैं, जो लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं, और इस तरह उनके सच्चे भारतीय होने पर संदेह होता है, अगर सरकार चाहे तो वो एक पल में इन झूठे भारतीयों को मज़ा चखा सकती है। 

अब भी देर नहीं हुई है मितरों, अब भी आप अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं, और सरकार से सवाल करने की आदत से बच सकते हैं, और यूं सच्चे भारतीय बन सकते हैं। राहुल गंाधी को आईना दिखाने वाले न्यायाधीश महोदय को बहुत धन्यवाद। 


अब ग़ालिब को सुनिए कि उन्होने इस मामले में क्या कहा था


जो सवाल पूछना हो, तो पाकिस्तान चला जा

जो तू सच्चा इंडियन होता, तुझे ऐतबार होता


ग़ालिब को पता था कि ये जो झूठे भारतीय हैं, ये सवाल पूछेंगे, इसलिए उन्होने पहले ही उनके लिए आगाह कर दिया था। मेरी आपसे अपील है कि आंख मूंद कर सरकार पर भरोसा कीजिए, और सवाल पूछना बंद कीजिए, कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ये ना कहते। 


नमस्कार


मंगलवार, 5 अगस्त 2025

अन्धेरे बंद कमरों में




नमस्कार, आगे कहने की कोई ज़रूरत नहीं। साहब की साहबी और बाकी लोगों की मुसाहबी इस देश को कहां लेकर जाएगी, ये समझ नहीं आ रहा, ये तो खैर गहरी बातें हैं, हमें तो आज तक ये समझ नहीं आया कि साहब कहां जा रहे हैं। जनाब महामानव महामानव हैं, वो जहां जाना चाहें जा सकते हैं, हमें चिंता देश की है, ये कहां जा रहा है। क्या आपने सुना हरियाणा में, जी हां, ये वही हरियाणा है जहां से राम-रहीम को बलात्कार के मामले में अदालत ने जेल भेजा, और लगातार सरकारों से उसे बाहर निकाला जाता रहा है, कभी फरलो मिलती है, कभी बेल मिलती है, और ये सब आरोप साबित होने और सजा मिलने के बाद की बात है। जबकि कई ऐसे लोग सालों से बेल का इंतजार कर रहे हैं, जिन पर आरोप साबित होना तो दूर, आरोप फ्रेम तक नहीं हुए ढंग से। खैर बात उसी हरियाणा की हो रही है। पता चला कि देश की अब तक की सबसे महान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुभाष बरला जी के सुपुत्र विकास बरला को एडवोकेट जनरल के ऑफिस में अपाइंट कर दिया गया है। 


कितना मासूम बच्चा है, युवा है, युवा जोश से भरपूर है। लेकिन इस जनता को पता नहीं क्या हो गया है, कि इस मासूम बच्चे के असिस्टेंट एडवोकेट जनरल नियुक्त हो जाने पर बधाई देने की जगह गुस्सा रही है। मामला क्या है कि 2017 में जवानी के जोश में एक पूर्व आई ए एस अफसर वी एस कुंडू की बेटी का पीछा किया, और उसकी कार रोक कर उसे अगवा करने की कोशिश की। उस समय विकास बेटा अपने दोस्त आशीष भी के साथ था। गड़बड़ ये हुई, कि इन दोनो नौजवान मासूम बच्चों को ये पता नहीं था कि ये लड़की जो है किसी पूर्व आइ ए एस अफसर की बेटी है। अगर कोई एैवेंई किसी की बेटी होती, तो जाहिर है पुलिस ही मामला सुलटा देती। बल्कि पुलिस ने तो बेचारी ने कोशिश भी की थी ऐसा करने की। उन्होने जो पहले केस बनाया उसमें सिर्फ स्टॉकिंग की मामूली धाराएं लगाई, ताकि बच्चों के भविष्य को कोई नुक्सान ना हो। पर भैया मामला आई ए एस अफसर की बेटी का था, तो पुलिस वालों को बाद में मजबूरन अगवा की कोशिश की धाराएं भी जोड़नी पड़ीं। क्या करते मजबूरी थी।


फिर मामला कोर्ट पहुंचा, और इसी मामले के दौरान विकास बरला को कुछ पांच महीने जेल में रहना पड़ा। सरकार ने उसे ये सुविधा दी कि वो जेल से ही अपने लॉ के पेपर दे दे, उसमें बच्चा पास हो गया। तो अब सरकार ने कहा है कि देखो भाई, उसने लड़की का पीछा किया, उसे अगवा करने की कोशिश की, ये तो रही एक बात, लेकिन बाकी वो बच्चा बहुत लायक है, और इसलिए उसकी नियुक्ति इसी आधार पर की गई है, रही बात उसे अपराधिक व्यवहार की, तो पूरी कोशिश की जाएगी कि उसे सजा ना मिले।


मेरा कहना है कि ये बहुत अच्छी पहल है हरियाणा सरकार की, भाजपा जो भी काम करती है, क्रंतिकारी करती है। अब अगर ऐसे ही लड़कियों का पीछा करने वालों को जेल भेजा जाएगा, सजा दिलाई जाएगी तो फिर चल गया ये देश। मुझे याद आता है एक और केस जिसमें किसी लड़की का पीछा करवाया गया था, उस पर नज़र रखी गई थी। बाद में ये बात उछल गई, ये जनता किसी भी बात को उछाल देती है भला, साहेब ने और उनके मुसाहिब ने किसी लड़की का पीछा करवाया था शायद। फिर जब मामला कोर्ट तक पहुंच गया तो कहा गया कि भैये लड़की का पीछा इसलिए करवाया गया था कि उसके पिता ने कहा था कि उस पर नज़र रखी जाए। बताइए, कितना समाजसेवी काम किया गया था। अब आप पूछिए कि पीछा करवाने वाले दोनो महापुरुष कहां हैं। तो भाई साहब आपके महामानव थे, जिनके कहने पर उनके डिप्टी जो अब गृहमंत्री हैं, ने पीछा करवाया था, और पता नहीं ये मामला कोर्ट में है या सुलटा दिया गया है। ऐसे मामले जितना जल्दी सुलटें उतना अच्छा होता है। 


विकास बरला ने लड़की का पीछा किया, ये कानून की बात है, लेकिन भैया वो भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का बेटा है। अब इसमें महत्वपूर्ण ये नहीं है कि उसने लड़की का पीछा किया, इस पूरी इक्वेशन में उस मासूम बच्चे का, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का बेटा होना महत्वपूर्ण है। आप बेकार कानून को बीच में ला रहे हैं। वैसे मैने सुना है कि किसी भी सरकारी नौकरी के लिए ये ज़रूरी होता है कि आप किसी अपराध के सजायाफ्ता ना हों, भई संवैधानिक पद के लिए यही होता है। यदि किसी अपराध में आपको लिप्त पाया जाता है तो सरकारी नौकरी चली जाती है। अब मुझे ये नहीं पता कि ये जो सुभाष बरला जी के मासूम बच्चे विकास बरला की  नियुक्ति हुई है इसे सरकारी नौकरी की श्रेणी में गिना जाएगा या नहीं। वैसे तो और भी रास्ते हैं, मेरा तो ये मानना है कि ये सारी ग़लती पुलिस की है, जिसने तभी का तभी मामले को निपटा नहीं दिया। सुभाष बरला जी ध्यान दें। दूसरे पुलिस को क्या जरूरत थी जी केस दर्ज करने की? क्या उसे पता नहीं था कि ये मासूम बच्चा जिसने सिर्फ एक लड़की का पीछा करने, उसे अगवा करने की कोशिश की है, वो भाजपा अध्यक्ष का मासूम बेटा है। इस मामले मे तो यही कहा जा सकता है कि पुलिस को उस मासूम बच्चे को सहूलियत देनी चाहिए थी, इस लड़की को डरा-धमका कर, उससे एक बयान दिलवाना चाहिए था, कि उसने जानबूझ कर, इस मासूम विकास बरला और उसके दोस्त से कहा था कि वो उसका पीछा करें, और उसका अगवा करने की कोशिश करें। ये पुलिस को इतने सालों के बाद तक भी ये समझ नहीं आया कि उसे कैसे काम करना है। आखिर वो एक आई ए एस के दबाव में आ गई, और इस मासूम बच्चे विकास बरला पर केस दर्ज करना पड़ा, अब देखिए पुलिस की इस निकम्मता का नतीजा इस मासूम बच्चे को झेलना पड़ेगा। 



अभी अखबार में पढ़ा था कि किसी अधिकारी ने बताया कि ये जो नियुक्तियां हुई हैं, इनमें सिर्फ इन बच्चों की, नौजवानों की योग्यता देखी गई है, और इन्हें योग्यता के आधार पर नियुक्तियां दी गई हैं। बस यही से मन में विश्वास जागता है, जल्द ही वो दिन भी आने वाला है जब नैतिकता, सद्चरित्रता, इंसानियत, सच्चाई, ईमानदारी आदि का लात मारकर देश से निकाल दिया जाएगा, देश हल्का हो जाएगा, और अंततः सिर्फ योग्यता देख कर नौकरी पर रखा जाएगा। इस योग्यता में सबसे उपर नाम आएगा आपके संबंधों का। फिर दूसरी खबर आई कि इस मासूम बच्चे का नाम, जो हमारे हरियाणा के पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुभाष बरला जी का बेटा है, का नाम नियुक्तियों से हटा दिया गया है, बताइए, ये कितना अन्याय है, पहले उस मासूम बच्चे की आप नियुक्ति करते हैं, फिर उसका नाम हटा देते हैं। अब सवाल है कि अगर उसकी नियुक्ति इसलिए की गई थी कि उसमें इसके लिए योग्यता थी, तो उसका नाम हटाया क्यों गया, और अगर हटाया इसलिए गया कि उसने ये अपराध किया था, तो आखिर आपने उसकी नियुक्ति ही क्यों की थी। 



इस घटना से ये समझ में आता है कि हमारा देश किस तरफ जा रहा है। जाहिर है, जहां महामानव ले जा रहे हैं, वहां जा रहा है, आपको बहुत तकलीफ करने की जरूरत नहीं है। मैं सपना देखता हूं कि हमारे देश में हर लड़की का पीछा किया जाएगा, और उन्हें अगवा किया जाएगा, और जो भी लड़कियों के साथ किया जा सकता है वो किया जाएगा, और फिर ये सब करने वालों को सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। वो ज्यादा टेलेंटिड यानी योग्य होंगे तो उन्हें प्रवक्ता या मिनिस्टर भी बनाया जा सकता है। ताकि आगे आने वाले समय में अगर ऐसा कोई केस हो तो वे अपनी योग्यता दिखाएं और उन लड़कियों को जो ऐसा आरोप लगाती हैं, लगाने की हिम्मत करती हैं, उन्हें चुप करा सकें, गायब कर सकें। और योग्य मासूस, जवानी के जोश में छोटे-मोटे अपराध करने वाले बच्चों को बचा सकें। 

सवाल तो उस लड़की पर भी उठता है। आखिर मासूम विकास बरला और उसके दोस्त ने ऐसा क्या ही कर दिया था। ज़रा पीछा ही तो किया था, कार में घुस कर अगवा करने की कोशिश ही तो की थी, उस पर इतना हल्ला मचाने की क्या जरूरत थी। चुपचाप अगवा हो जाती तो इस बेचारे को आज ये दिन ना देखना पड़ता। पर अब किया क्या जा सकता है। 

मुझे गुस्सा आ रहा है दोस्तों, बताइए, इतनी छोटी सी वजह से मासूम विकास बरला को क्या क्या झेलना पड़ रहा है। 


अब क्या ही कहूं। ऐसे मामलों में ग़ालिब की राय आपसे अलग नहीं थी। उन्होने कहा था


मतलब ही क्या रह जाएगा, तेरी पार्टी में आने का

यूं ज़रा सा मेरा बेटा, गर क्राइम भी ना कर पाए


ग़ालिब भी माफ कीजिएगा यही मानते थे कि कमल पार्टी में आने का सीधा मतलब था कि आप जो भी करें वो राष्टहित में माना जाए। खैर अभी तो आपसे यही उम्मीद है कि आप चैनल को लाइक और सब्सक्राइब करें और शेयर करके जन-जन तक इस अपील को पहुंचाएं कि भाजपा के मासूम अपराधियों को ज़रा बेहतर सुविधाएं मिलें। बाकी सब ठीक रहे इसकी आशा है, अगर आपके साथ कोई अपराध हो तो पुलिस में जाने से पहले देख लें कि अपराधी भाजपा से ना हो, वरना आपकी खैर नहीं। बाकी आपकी मर्जी। नमस्तें 


महामानव के महान जुमले

 


नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने, यानी आपके साथ। खैर, आज मैं आपके सामने अपनी बात नहीं बल्कि अपना सवाल लेकर आया हूं। सवाल वाजिब है, क्योंकि ये सवाल मेरे मन में आया है, और अक्सर मैने देखा है कि मेरे मन में जो सवाल आता है वो वाजिब ही होता है। तो सवाल क्या है? सवाल ये है कि, आपने देखा होगा कि अक्सर जो दुनिया के सबसे बड़े विद्वान माने जाते हैं, उनके कोट्स प्रचलित हो जाते हैं। यानी वो बुद्धिमता वाली बातें, जो वो अक्सर बेध्यानी में हमें कह जाते हैं, और हम उन पर सिर धुनते रहते हैं कि यार इतनी आसान बात है, और इतनी गहरी बात है, और इतनी बुद्धिमता वाली बात है। उदाहरण के लिए हरिशंकर परसाई, जो कि व्यंग्यकार थे, उनकी एक बात मुझे याद रहती है, अक्सर जब कभी टीवी डिबेटस् पर नज़र पड़ जाती है तो हरिशंकर परसाई की ये बात मुझे याद आती है कि मूर्खता का आत्मविश्वास, सबसे बड़ा होता है। भाई साहब सच कहता हूं, इससे ज्यादा बुद्धिमता वाली बात किसी ने कभी किसी को, किसी भी संदर्भ में नहीं कही होगी। 




ये जो आत्मविश्वास आप को अक्सर दिखता है, ये मूर्खता का होता है। मार्क ट्वेन ने मूर्खता के बारे में कहा था, कि कभी किसी मूर्ख से बहस नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वो तुम्हें बहस में अपने स्तर तक खींच लेगा, और उसके स्तर पर तुम उससे जीत नहीं सकते, क्योंकि उसे इसका बड़ा अनुभव होता है। तो भाई साहब मुझे परसाई भी पसंद है और मार्क ट्वेन भी पसंद है, इसलिए मैं कभी मूर्खों से बहस नहीं करता। इसी तरह के महान विचार आपको, गांधी, अंबेडकर, लाओ त्से, कनफ्यूशियस, प्लेटो, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, और भी ना जाने कितने ही महान लोगों के मिल जाएंगे। 

अब मैं वापस अपने सवाल पर आता हूं। जी हां, आप शायद समझ ही गए होंगे, बताइए, हमारे ब्रहमांड गुरु, जो अब तक की दुनिया के सबसे ज्यादा महान व्यक्ति हैं, व्यक्ति क्या हैं, वो तो पराव्यक्ति हैं, यानी महामानव से भी उपर हो गए हैं, स्वयंसिद्ध परामानव हैं। अगर कभी उनकी बात चली तो उनके किस फिकरे या जुमले का उनका कोट माना जाएगा। 

इसीलिए आज मैं आपके सामने महामानव के कुछ बहुत ही भारी, बहुत ही बुद्धिमतापूर्ण और कुछ ऐतिहासिक, महाऐतिहासिक जुमले, रखने वाला हूं, और फिर आप ही तय कीजिएगा कि उनके इन जुमलों में से किसे दुनिया के सबसे ज्यादा बुद्धिमतापूर्ण जुमले का खिताब दिया जाएगा। 




मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि हम ये तय कर ही लें, क्योंकि देखने में आया है कि महामानव अब अंग्रेजी में भी बोलने लगे हैं, और ऐसे में वे हिंदी और इंग्लिश के अलावा किसी और भाषा में अपना हाथ आजमाएं, हमें इससे पहले उनके किसी जुमले को चुन ही लेना चाहिए। 
तो शुरु से शुरु करते हैं। 




हमारे महामानव को महिलाओं से विशेष लगाव है, वे उनका बहुत सम्मान करते हैं, सुनते हैं गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए किसी पिता के कहने पर उन्होने एक लड़की पर नज़र रखने के लिए पूरी गुजरात की विजिलेंस को लगा दिया था। ऐसे में 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड वाला उनका जुमला बहुत ही विशेष माना जा सकता है। इस जुमले में महत्व पैसे का नहीं है, ये तो व्यक्ति पर डिपेंड करता है, गर्लफ्रेंड 5 या 10 करोड़ की भी हो सकती है। मेरा मानना है कि ये महामानव के मूड पर था कि उन्होने किसी संसद सदस्य की महिला मित्र का क्या दाम लगाया है। लेकिन आप जो भी कहिए ये एक महामानव के श्रीमुख से निकला एक महान कोट था, जिसे सदियों तक कोट किया जाता रहेगा। मुझे तो लगता है कि ये उनका विशेष कथन, जिसे अंग्रेजी में कोट कहा जाता है, मन की बात और परीक्षा में चर्चा का प्रमुख विषय भी बन सकता है, और जब कई सदियों बाद कोई किसी को कहेगा कि, ” पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड” किस महान विभूति का कथन था, तो कोई विद्यार्थी, या छात्र कहेगा कि महामानव, विश्वगुरु ने कहा था। 
एनीहाउ, महामानव ने हम अकिंचन इंसानों को अपने विशेष कथनों से अनुग्रहीत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। 




जब सारी दुनिया चिल्ला रही है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ग्लेश्यिर पिघल रहे हैं, वातावरण दूषित हो रहा है, तब हमारे महामानव का ये कथन ना सिर्फ आने वाली पीढ़ियों के लिए बल्कि हम जैसे नालायकों के लिए भी अंधकार में एक दीपक की तरह काम करता है। ये वैज्ञानिक प्रजाति के लोग, उनके साथ बेकार के प्रगतिशील, जो पर्यावरण के लिए इतनी चिंता करता है, उनके लिए महामानव का ये कथन एक सबक है, एक ऐसा सबक जो सदियों तक याद किया जाता रहेगा, इतिहास की, विज्ञान की, किताबों में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा, और एन सी ई आर टी, जो अब तक सिर्फ इतिहास को नये तरीके से लिख रही है, अब विज्ञान को भी महामानव के इस कथन के हिसाब से ठीक करके लिखेगी। भाई साहब ये अकेला कथन महामानव को, हमारे ब्रहमांड गुरु को नोबेल पुरस्कार दिलाने के लिए काफी है। यानी अगर आपको ठंड लगती है तो आप ये मान लीजिए कि आपकी उम्र बढ़ रही है। और इस तरह महामानव ने ये कहके विज्ञान को एक सही दिशा दिखलाई है।
लेकिन दोस्तों महामानव सिर्फ यहां नहीं रुके बल्कि उन्होने इतिहास पर भी अपने हाथ आजमाए हैं, और इतिहासकारों के बीच अपनी ऐसी धाक जमाई है कि आज तक इतिहासकार भौंचक हैं। 




लीजिए, खुद महाराणा प्रताप को नहीं पता होगा, कि उनके घोड़े चेतक की मां कहां की थी। महाराणा प्रताप को छोड़िए मुझे तो लगता है कि चेतक तक को नहीं पता होगा कि उसकी मां कहां की थी, लेकिन महामानव, जो परामानव हैं, अंर्तयामी हैं, स्वयंसिद्ध हैं, नॉनबायोलॉजिकल हैं, उन्होने कैसे झट से एक ही पल में बता दिया, कि चेतक की मां, गुजराती थीं। बताइए, अब आए कोई माई का लाल, इतिहासकार सामने, है कोई जो इस कथन की बराबरी कर सकता हो। चेतक की मां गुजराती थी, जी हां, चेतक घोड़ा जो राणा की पुतली फिरने से पहले मुड़ जाता था, जिस पर एक पूरी कविता श्याम नारायण पांडेय जी ने लिख मारी है, महामानव ने उसी चेतक की बात की है। आप इन्हें साधारण घोड़ा मत समझिए, महामानव जानते हैं, और जो महामानव जानते हैं, वो लोग मानते हैं। तो याद रखिएगा, चेतक मित्रों, चेतक की मां गुजराती थी। अफसोस की राणा के घोड़े चेतक की मां के मायके के बारे में तो महामानव ने ये शानदार जानकारी दी, लेकिन उसके ससुराल के बारे में बताना भूल गए, लेकिन अभी हमने आस नहीं छोड़ी है, आने वाले दिनों में किसी ना किसी सभा में, किसी ना किसी रैली में या फिर संसद में ही, हो सकता है कि महामानव चेतक की मां के ससुराल यानी चेतक के पिता के गृहराज्य के बारे में भी हमारा ज्ञानवर्धन कर ही दें। खैर आप हाथ में मौजूद मुद्दे पर ध्यान रखिए, महामानव का ये भी एक प्रातःस्मरणीय कथन है कि ”चेतक की मां गुजराती थी।” 
लेकिन महामानव की इतिहास में घुसपैठ सिर्फ घोड़ों तक सीमित नहीं थी, उन्होने बार बार अपने ज्ञान को सिद्ध किया है, ताकि किसी इतिहासकार के मन में कोई संशय ना रहे। 



हमारे परामानव, महामानव, ब्रहमांडगुरु ने गुरु गोरख को, गुरु कबीर को, और गुरु नानक को एक साथ बैठकर ज्ञान चर्चा करते हुए देखा था। आप हम जैसे तुच्छ, हकीर, अकिंचन मानव देश-काल की सीमा से बंधे होते हैं, जो महामानव होते हैं, परामानव होते हैं, नॉन बायोलॉजिकल होते हैं, उन पर इन भौतिक बंधनो का कोई असर नहीं होता है। वे कर लेते हैं, बैठक, जिसके साथ चाहें, जब चाहें। भला हो महामानव का कि उन्होने ये नहीं कहा कि जब ये तीनो गुरु आपस में ज्ञान चर्चा कर रहे थे, तो महामानव उन्हें पानी पिला रहे थे। भई जिन परामानव को देश-काल अपने भौतिक बंधनों में नहीं बांध सका, वो तो कर ही सकते हैं ऐसा। खैर आप अपना ध्यान इस कथन से मत हटाइएगा, क्योंकि जब महामानव के कथनों की किताब निकलेगी तो उसमें ये कथन भी सोने से लिखा मिलेगा कि ”गुरु गोरख को, गुरु कबीर को, और गुरु नानक को एक साथ बैठकर ज्ञान चर्चा करते थे” तो जनाब याद रखिएगा और आने वाली पीढियों को बताते रहिएगा ऐसा महामानव ने कहा था। और जो महामानव ने कह दिया वो पत्थर की लकीर है। महामानव का एक और कथन जो अब आपके सामने है, उसके सामने अब तक के सारे कथन फीके पड़ने वाले हैं। 



ये कहकर, महामानव ने पूरे भारत के लोकतंत्र को, इसके संविधान को, एक नई दिशा दे दी, एक नया मोड़ दे दिया, एक नया रास्ता दिखा दिया। इस देश में अब तक ये कोशिश होती रही थी कि भाषा, नस्ल, इलाके, लिंग यानी जेंडर, धर्म आदि के आधार पर पहचाना ना जाए, यानी भेदभाव ना किया जाए, लेकिन महामानव के एक ही जुमले ने सारी समझदारी को ही पलट दिया, उन्होने समझा दिया कि असल में पहचान कपड़ों से होगी, कपड़ों से की जाएगी। अब आने वाली नस्लों पर है कि वो कपड़ों से पहचान कर पाती है या नहीं, सरकारों का काम है कि एक बार पहचान करने के बाद वो क्या करेगी। पर वो बाद की बात है, असल बात ये है कि महामानव के महा - कथनों में ये भी एक कथन है। कि ”कपड़ों से पहचानिए।”

दोस्तों, मैं कह रहा हूं कि मैं अकिंचन महामानव के सभी कथनों को यहां नहीं ला पाया हूं, और इसलिए आपसे ये अनुरोध है, सविनय निवेदन है, प्रार्थना है कि आप भी महामानव के जगत्प्रसिद्ध होने वाले कथनों को यहां प्रस्तुत कीजिए ताकि हम उनमें से उनके सबसे महान कथनों को जमा करके, उन्हें अब तक की दुनिया का सबसे महान व्यक्तित्व साबित कर सकें, ताकि अपना देश ब्रहमांडगुरु बन सके। 

चचा ग़ालिब ने महामानव के कथनो पर कुछ नहीं कहा था, लेकिन उनकी दूरदृष्टि ने उन्हें महामानव तो दिखा ही दिये थे। तो उन्होने एक शेर इस पर भी फेंक मारा है। आप भी सुनिए।

एक शख्स जमाने में ऐसा भी हुआ ग़ालिब
ना सिर ही समझ आया, ना पूंछ नज़र आई

ग़ालिब ऐसे ही पहेलियों में शेर लिखते थे, हम जानते हैं, आप नहीं जानते। खैर, लाइक सब्सक्राइब तो करिए ही, साथ ही शेयर कीजिए, और आपने जो अच्छे कोट महामानव के सुने हैं, उन्हें यहा सबके साथ साझा कीजिए। जल्दी कीजिए, समय पूरा होने ही वाला है। नमस्कार

महामानव-डोलांड और पुतिन का तेल

 तो भाई दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है, लेकिन इन जलकुकड़े, प्रगतिशीलों को महामानव के सिवा और कुछ नहीं दिखाई देता। मुझे तो लगता है कि इसी प्रे...