नमस्कार, आगे कहने की कोई ज़रूरत नहीं। साहब की साहबी और बाकी लोगों की मुसाहबी इस देश को कहां लेकर जाएगी, ये समझ नहीं आ रहा, ये तो खैर गहरी बातें हैं, हमें तो आज तक ये समझ नहीं आया कि साहब कहां जा रहे हैं। जनाब महामानव महामानव हैं, वो जहां जाना चाहें जा सकते हैं, हमें चिंता देश की है, ये कहां जा रहा है। क्या आपने सुना हरियाणा में, जी हां, ये वही हरियाणा है जहां से राम-रहीम को बलात्कार के मामले में अदालत ने जेल भेजा, और लगातार सरकारों से उसे बाहर निकाला जाता रहा है, कभी फरलो मिलती है, कभी बेल मिलती है, और ये सब आरोप साबित होने और सजा मिलने के बाद की बात है। जबकि कई ऐसे लोग सालों से बेल का इंतजार कर रहे हैं, जिन पर आरोप साबित होना तो दूर, आरोप फ्रेम तक नहीं हुए ढंग से। खैर बात उसी हरियाणा की हो रही है। पता चला कि देश की अब तक की सबसे महान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुभाष बरला जी के सुपुत्र विकास बरला को एडवोकेट जनरल के ऑफिस में अपाइंट कर दिया गया है।
कितना मासूम बच्चा है, युवा है, युवा जोश से भरपूर है। लेकिन इस जनता को पता नहीं क्या हो गया है, कि इस मासूम बच्चे के असिस्टेंट एडवोकेट जनरल नियुक्त हो जाने पर बधाई देने की जगह गुस्सा रही है। मामला क्या है कि 2017 में जवानी के जोश में एक पूर्व आई ए एस अफसर वी एस कुंडू की बेटी का पीछा किया, और उसकी कार रोक कर उसे अगवा करने की कोशिश की। उस समय विकास बेटा अपने दोस्त आशीष भी के साथ था। गड़बड़ ये हुई, कि इन दोनो नौजवान मासूम बच्चों को ये पता नहीं था कि ये लड़की जो है किसी पूर्व आइ ए एस अफसर की बेटी है। अगर कोई एैवेंई किसी की बेटी होती, तो जाहिर है पुलिस ही मामला सुलटा देती। बल्कि पुलिस ने तो बेचारी ने कोशिश भी की थी ऐसा करने की। उन्होने जो पहले केस बनाया उसमें सिर्फ स्टॉकिंग की मामूली धाराएं लगाई, ताकि बच्चों के भविष्य को कोई नुक्सान ना हो। पर भैया मामला आई ए एस अफसर की बेटी का था, तो पुलिस वालों को बाद में मजबूरन अगवा की कोशिश की धाराएं भी जोड़नी पड़ीं। क्या करते मजबूरी थी।
फिर मामला कोर्ट पहुंचा, और इसी मामले के दौरान विकास बरला को कुछ पांच महीने जेल में रहना पड़ा। सरकार ने उसे ये सुविधा दी कि वो जेल से ही अपने लॉ के पेपर दे दे, उसमें बच्चा पास हो गया। तो अब सरकार ने कहा है कि देखो भाई, उसने लड़की का पीछा किया, उसे अगवा करने की कोशिश की, ये तो रही एक बात, लेकिन बाकी वो बच्चा बहुत लायक है, और इसलिए उसकी नियुक्ति इसी आधार पर की गई है, रही बात उसे अपराधिक व्यवहार की, तो पूरी कोशिश की जाएगी कि उसे सजा ना मिले।
मेरा कहना है कि ये बहुत अच्छी पहल है हरियाणा सरकार की, भाजपा जो भी काम करती है, क्रंतिकारी करती है। अब अगर ऐसे ही लड़कियों का पीछा करने वालों को जेल भेजा जाएगा, सजा दिलाई जाएगी तो फिर चल गया ये देश। मुझे याद आता है एक और केस जिसमें किसी लड़की का पीछा करवाया गया था, उस पर नज़र रखी गई थी। बाद में ये बात उछल गई, ये जनता किसी भी बात को उछाल देती है भला, साहेब ने और उनके मुसाहिब ने किसी लड़की का पीछा करवाया था शायद। फिर जब मामला कोर्ट तक पहुंच गया तो कहा गया कि भैये लड़की का पीछा इसलिए करवाया गया था कि उसके पिता ने कहा था कि उस पर नज़र रखी जाए। बताइए, कितना समाजसेवी काम किया गया था। अब आप पूछिए कि पीछा करवाने वाले दोनो महापुरुष कहां हैं। तो भाई साहब आपके महामानव थे, जिनके कहने पर उनके डिप्टी जो अब गृहमंत्री हैं, ने पीछा करवाया था, और पता नहीं ये मामला कोर्ट में है या सुलटा दिया गया है। ऐसे मामले जितना जल्दी सुलटें उतना अच्छा होता है।
विकास बरला ने लड़की का पीछा किया, ये कानून की बात है, लेकिन भैया वो भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का बेटा है। अब इसमें महत्वपूर्ण ये नहीं है कि उसने लड़की का पीछा किया, इस पूरी इक्वेशन में उस मासूम बच्चे का, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का बेटा होना महत्वपूर्ण है। आप बेकार कानून को बीच में ला रहे हैं। वैसे मैने सुना है कि किसी भी सरकारी नौकरी के लिए ये ज़रूरी होता है कि आप किसी अपराध के सजायाफ्ता ना हों, भई संवैधानिक पद के लिए यही होता है। यदि किसी अपराध में आपको लिप्त पाया जाता है तो सरकारी नौकरी चली जाती है। अब मुझे ये नहीं पता कि ये जो सुभाष बरला जी के मासूम बच्चे विकास बरला की नियुक्ति हुई है इसे सरकारी नौकरी की श्रेणी में गिना जाएगा या नहीं। वैसे तो और भी रास्ते हैं, मेरा तो ये मानना है कि ये सारी ग़लती पुलिस की है, जिसने तभी का तभी मामले को निपटा नहीं दिया। सुभाष बरला जी ध्यान दें। दूसरे पुलिस को क्या जरूरत थी जी केस दर्ज करने की? क्या उसे पता नहीं था कि ये मासूम बच्चा जिसने सिर्फ एक लड़की का पीछा करने, उसे अगवा करने की कोशिश की है, वो भाजपा अध्यक्ष का मासूम बेटा है। इस मामले मे तो यही कहा जा सकता है कि पुलिस को उस मासूम बच्चे को सहूलियत देनी चाहिए थी, इस लड़की को डरा-धमका कर, उससे एक बयान दिलवाना चाहिए था, कि उसने जानबूझ कर, इस मासूम विकास बरला और उसके दोस्त से कहा था कि वो उसका पीछा करें, और उसका अगवा करने की कोशिश करें। ये पुलिस को इतने सालों के बाद तक भी ये समझ नहीं आया कि उसे कैसे काम करना है। आखिर वो एक आई ए एस के दबाव में आ गई, और इस मासूम बच्चे विकास बरला पर केस दर्ज करना पड़ा, अब देखिए पुलिस की इस निकम्मता का नतीजा इस मासूम बच्चे को झेलना पड़ेगा।
अभी अखबार में पढ़ा था कि किसी अधिकारी ने बताया कि ये जो नियुक्तियां हुई हैं, इनमें सिर्फ इन बच्चों की, नौजवानों की योग्यता देखी गई है, और इन्हें योग्यता के आधार पर नियुक्तियां दी गई हैं। बस यही से मन में विश्वास जागता है, जल्द ही वो दिन भी आने वाला है जब नैतिकता, सद्चरित्रता, इंसानियत, सच्चाई, ईमानदारी आदि का लात मारकर देश से निकाल दिया जाएगा, देश हल्का हो जाएगा, और अंततः सिर्फ योग्यता देख कर नौकरी पर रखा जाएगा। इस योग्यता में सबसे उपर नाम आएगा आपके संबंधों का। फिर दूसरी खबर आई कि इस मासूम बच्चे का नाम, जो हमारे हरियाणा के पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुभाष बरला जी का बेटा है, का नाम नियुक्तियों से हटा दिया गया है, बताइए, ये कितना अन्याय है, पहले उस मासूम बच्चे की आप नियुक्ति करते हैं, फिर उसका नाम हटा देते हैं। अब सवाल है कि अगर उसकी नियुक्ति इसलिए की गई थी कि उसमें इसके लिए योग्यता थी, तो उसका नाम हटाया क्यों गया, और अगर हटाया इसलिए गया कि उसने ये अपराध किया था, तो आखिर आपने उसकी नियुक्ति ही क्यों की थी।
इस घटना से ये समझ में आता है कि हमारा देश किस तरफ जा रहा है। जाहिर है, जहां महामानव ले जा रहे हैं, वहां जा रहा है, आपको बहुत तकलीफ करने की जरूरत नहीं है। मैं सपना देखता हूं कि हमारे देश में हर लड़की का पीछा किया जाएगा, और उन्हें अगवा किया जाएगा, और जो भी लड़कियों के साथ किया जा सकता है वो किया जाएगा, और फिर ये सब करने वालों को सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। वो ज्यादा टेलेंटिड यानी योग्य होंगे तो उन्हें प्रवक्ता या मिनिस्टर भी बनाया जा सकता है। ताकि आगे आने वाले समय में अगर ऐसा कोई केस हो तो वे अपनी योग्यता दिखाएं और उन लड़कियों को जो ऐसा आरोप लगाती हैं, लगाने की हिम्मत करती हैं, उन्हें चुप करा सकें, गायब कर सकें। और योग्य मासूस, जवानी के जोश में छोटे-मोटे अपराध करने वाले बच्चों को बचा सकें।
सवाल तो उस लड़की पर भी उठता है। आखिर मासूम विकास बरला और उसके दोस्त ने ऐसा क्या ही कर दिया था। ज़रा पीछा ही तो किया था, कार में घुस कर अगवा करने की कोशिश ही तो की थी, उस पर इतना हल्ला मचाने की क्या जरूरत थी। चुपचाप अगवा हो जाती तो इस बेचारे को आज ये दिन ना देखना पड़ता। पर अब किया क्या जा सकता है।
मुझे गुस्सा आ रहा है दोस्तों, बताइए, इतनी छोटी सी वजह से मासूम विकास बरला को क्या क्या झेलना पड़ रहा है।
अब क्या ही कहूं। ऐसे मामलों में ग़ालिब की राय आपसे अलग नहीं थी। उन्होने कहा था
मतलब ही क्या रह जाएगा, तेरी पार्टी में आने का
यूं ज़रा सा मेरा बेटा, गर क्राइम भी ना कर पाए
ग़ालिब भी माफ कीजिएगा यही मानते थे कि कमल पार्टी में आने का सीधा मतलब था कि आप जो भी करें वो राष्टहित में माना जाए। खैर अभी तो आपसे यही उम्मीद है कि आप चैनल को लाइक और सब्सक्राइब करें और शेयर करके जन-जन तक इस अपील को पहुंचाएं कि भाजपा के मासूम अपराधियों को ज़रा बेहतर सुविधाएं मिलें। बाकी सब ठीक रहे इसकी आशा है, अगर आपके साथ कोई अपराध हो तो पुलिस में जाने से पहले देख लें कि अपराधी भाजपा से ना हो, वरना आपकी खैर नहीं। बाकी आपकी मर्जी। नमस्तें
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