मंगलवार, 5 अगस्त 2025

महामानव के महान जुमले

 


नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने, यानी आपके साथ। खैर, आज मैं आपके सामने अपनी बात नहीं बल्कि अपना सवाल लेकर आया हूं। सवाल वाजिब है, क्योंकि ये सवाल मेरे मन में आया है, और अक्सर मैने देखा है कि मेरे मन में जो सवाल आता है वो वाजिब ही होता है। तो सवाल क्या है? सवाल ये है कि, आपने देखा होगा कि अक्सर जो दुनिया के सबसे बड़े विद्वान माने जाते हैं, उनके कोट्स प्रचलित हो जाते हैं। यानी वो बुद्धिमता वाली बातें, जो वो अक्सर बेध्यानी में हमें कह जाते हैं, और हम उन पर सिर धुनते रहते हैं कि यार इतनी आसान बात है, और इतनी गहरी बात है, और इतनी बुद्धिमता वाली बात है। उदाहरण के लिए हरिशंकर परसाई, जो कि व्यंग्यकार थे, उनकी एक बात मुझे याद रहती है, अक्सर जब कभी टीवी डिबेटस् पर नज़र पड़ जाती है तो हरिशंकर परसाई की ये बात मुझे याद आती है कि मूर्खता का आत्मविश्वास, सबसे बड़ा होता है। भाई साहब सच कहता हूं, इससे ज्यादा बुद्धिमता वाली बात किसी ने कभी किसी को, किसी भी संदर्भ में नहीं कही होगी। 




ये जो आत्मविश्वास आप को अक्सर दिखता है, ये मूर्खता का होता है। मार्क ट्वेन ने मूर्खता के बारे में कहा था, कि कभी किसी मूर्ख से बहस नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वो तुम्हें बहस में अपने स्तर तक खींच लेगा, और उसके स्तर पर तुम उससे जीत नहीं सकते, क्योंकि उसे इसका बड़ा अनुभव होता है। तो भाई साहब मुझे परसाई भी पसंद है और मार्क ट्वेन भी पसंद है, इसलिए मैं कभी मूर्खों से बहस नहीं करता। इसी तरह के महान विचार आपको, गांधी, अंबेडकर, लाओ त्से, कनफ्यूशियस, प्लेटो, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, और भी ना जाने कितने ही महान लोगों के मिल जाएंगे। 

अब मैं वापस अपने सवाल पर आता हूं। जी हां, आप शायद समझ ही गए होंगे, बताइए, हमारे ब्रहमांड गुरु, जो अब तक की दुनिया के सबसे ज्यादा महान व्यक्ति हैं, व्यक्ति क्या हैं, वो तो पराव्यक्ति हैं, यानी महामानव से भी उपर हो गए हैं, स्वयंसिद्ध परामानव हैं। अगर कभी उनकी बात चली तो उनके किस फिकरे या जुमले का उनका कोट माना जाएगा। 

इसीलिए आज मैं आपके सामने महामानव के कुछ बहुत ही भारी, बहुत ही बुद्धिमतापूर्ण और कुछ ऐतिहासिक, महाऐतिहासिक जुमले, रखने वाला हूं, और फिर आप ही तय कीजिएगा कि उनके इन जुमलों में से किसे दुनिया के सबसे ज्यादा बुद्धिमतापूर्ण जुमले का खिताब दिया जाएगा। 




मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि हम ये तय कर ही लें, क्योंकि देखने में आया है कि महामानव अब अंग्रेजी में भी बोलने लगे हैं, और ऐसे में वे हिंदी और इंग्लिश के अलावा किसी और भाषा में अपना हाथ आजमाएं, हमें इससे पहले उनके किसी जुमले को चुन ही लेना चाहिए। 
तो शुरु से शुरु करते हैं। 




हमारे महामानव को महिलाओं से विशेष लगाव है, वे उनका बहुत सम्मान करते हैं, सुनते हैं गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए किसी पिता के कहने पर उन्होने एक लड़की पर नज़र रखने के लिए पूरी गुजरात की विजिलेंस को लगा दिया था। ऐसे में 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड वाला उनका जुमला बहुत ही विशेष माना जा सकता है। इस जुमले में महत्व पैसे का नहीं है, ये तो व्यक्ति पर डिपेंड करता है, गर्लफ्रेंड 5 या 10 करोड़ की भी हो सकती है। मेरा मानना है कि ये महामानव के मूड पर था कि उन्होने किसी संसद सदस्य की महिला मित्र का क्या दाम लगाया है। लेकिन आप जो भी कहिए ये एक महामानव के श्रीमुख से निकला एक महान कोट था, जिसे सदियों तक कोट किया जाता रहेगा। मुझे तो लगता है कि ये उनका विशेष कथन, जिसे अंग्रेजी में कोट कहा जाता है, मन की बात और परीक्षा में चर्चा का प्रमुख विषय भी बन सकता है, और जब कई सदियों बाद कोई किसी को कहेगा कि, ” पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड” किस महान विभूति का कथन था, तो कोई विद्यार्थी, या छात्र कहेगा कि महामानव, विश्वगुरु ने कहा था। 
एनीहाउ, महामानव ने हम अकिंचन इंसानों को अपने विशेष कथनों से अनुग्रहीत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। 




जब सारी दुनिया चिल्ला रही है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ग्लेश्यिर पिघल रहे हैं, वातावरण दूषित हो रहा है, तब हमारे महामानव का ये कथन ना सिर्फ आने वाली पीढ़ियों के लिए बल्कि हम जैसे नालायकों के लिए भी अंधकार में एक दीपक की तरह काम करता है। ये वैज्ञानिक प्रजाति के लोग, उनके साथ बेकार के प्रगतिशील, जो पर्यावरण के लिए इतनी चिंता करता है, उनके लिए महामानव का ये कथन एक सबक है, एक ऐसा सबक जो सदियों तक याद किया जाता रहेगा, इतिहास की, विज्ञान की, किताबों में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा, और एन सी ई आर टी, जो अब तक सिर्फ इतिहास को नये तरीके से लिख रही है, अब विज्ञान को भी महामानव के इस कथन के हिसाब से ठीक करके लिखेगी। भाई साहब ये अकेला कथन महामानव को, हमारे ब्रहमांड गुरु को नोबेल पुरस्कार दिलाने के लिए काफी है। यानी अगर आपको ठंड लगती है तो आप ये मान लीजिए कि आपकी उम्र बढ़ रही है। और इस तरह महामानव ने ये कहके विज्ञान को एक सही दिशा दिखलाई है।
लेकिन दोस्तों महामानव सिर्फ यहां नहीं रुके बल्कि उन्होने इतिहास पर भी अपने हाथ आजमाए हैं, और इतिहासकारों के बीच अपनी ऐसी धाक जमाई है कि आज तक इतिहासकार भौंचक हैं। 




लीजिए, खुद महाराणा प्रताप को नहीं पता होगा, कि उनके घोड़े चेतक की मां कहां की थी। महाराणा प्रताप को छोड़िए मुझे तो लगता है कि चेतक तक को नहीं पता होगा कि उसकी मां कहां की थी, लेकिन महामानव, जो परामानव हैं, अंर्तयामी हैं, स्वयंसिद्ध हैं, नॉनबायोलॉजिकल हैं, उन्होने कैसे झट से एक ही पल में बता दिया, कि चेतक की मां, गुजराती थीं। बताइए, अब आए कोई माई का लाल, इतिहासकार सामने, है कोई जो इस कथन की बराबरी कर सकता हो। चेतक की मां गुजराती थी, जी हां, चेतक घोड़ा जो राणा की पुतली फिरने से पहले मुड़ जाता था, जिस पर एक पूरी कविता श्याम नारायण पांडेय जी ने लिख मारी है, महामानव ने उसी चेतक की बात की है। आप इन्हें साधारण घोड़ा मत समझिए, महामानव जानते हैं, और जो महामानव जानते हैं, वो लोग मानते हैं। तो याद रखिएगा, चेतक मित्रों, चेतक की मां गुजराती थी। अफसोस की राणा के घोड़े चेतक की मां के मायके के बारे में तो महामानव ने ये शानदार जानकारी दी, लेकिन उसके ससुराल के बारे में बताना भूल गए, लेकिन अभी हमने आस नहीं छोड़ी है, आने वाले दिनों में किसी ना किसी सभा में, किसी ना किसी रैली में या फिर संसद में ही, हो सकता है कि महामानव चेतक की मां के ससुराल यानी चेतक के पिता के गृहराज्य के बारे में भी हमारा ज्ञानवर्धन कर ही दें। खैर आप हाथ में मौजूद मुद्दे पर ध्यान रखिए, महामानव का ये भी एक प्रातःस्मरणीय कथन है कि ”चेतक की मां गुजराती थी।” 
लेकिन महामानव की इतिहास में घुसपैठ सिर्फ घोड़ों तक सीमित नहीं थी, उन्होने बार बार अपने ज्ञान को सिद्ध किया है, ताकि किसी इतिहासकार के मन में कोई संशय ना रहे। 



हमारे परामानव, महामानव, ब्रहमांडगुरु ने गुरु गोरख को, गुरु कबीर को, और गुरु नानक को एक साथ बैठकर ज्ञान चर्चा करते हुए देखा था। आप हम जैसे तुच्छ, हकीर, अकिंचन मानव देश-काल की सीमा से बंधे होते हैं, जो महामानव होते हैं, परामानव होते हैं, नॉन बायोलॉजिकल होते हैं, उन पर इन भौतिक बंधनो का कोई असर नहीं होता है। वे कर लेते हैं, बैठक, जिसके साथ चाहें, जब चाहें। भला हो महामानव का कि उन्होने ये नहीं कहा कि जब ये तीनो गुरु आपस में ज्ञान चर्चा कर रहे थे, तो महामानव उन्हें पानी पिला रहे थे। भई जिन परामानव को देश-काल अपने भौतिक बंधनों में नहीं बांध सका, वो तो कर ही सकते हैं ऐसा। खैर आप अपना ध्यान इस कथन से मत हटाइएगा, क्योंकि जब महामानव के कथनों की किताब निकलेगी तो उसमें ये कथन भी सोने से लिखा मिलेगा कि ”गुरु गोरख को, गुरु कबीर को, और गुरु नानक को एक साथ बैठकर ज्ञान चर्चा करते थे” तो जनाब याद रखिएगा और आने वाली पीढियों को बताते रहिएगा ऐसा महामानव ने कहा था। और जो महामानव ने कह दिया वो पत्थर की लकीर है। महामानव का एक और कथन जो अब आपके सामने है, उसके सामने अब तक के सारे कथन फीके पड़ने वाले हैं। 



ये कहकर, महामानव ने पूरे भारत के लोकतंत्र को, इसके संविधान को, एक नई दिशा दे दी, एक नया मोड़ दे दिया, एक नया रास्ता दिखा दिया। इस देश में अब तक ये कोशिश होती रही थी कि भाषा, नस्ल, इलाके, लिंग यानी जेंडर, धर्म आदि के आधार पर पहचाना ना जाए, यानी भेदभाव ना किया जाए, लेकिन महामानव के एक ही जुमले ने सारी समझदारी को ही पलट दिया, उन्होने समझा दिया कि असल में पहचान कपड़ों से होगी, कपड़ों से की जाएगी। अब आने वाली नस्लों पर है कि वो कपड़ों से पहचान कर पाती है या नहीं, सरकारों का काम है कि एक बार पहचान करने के बाद वो क्या करेगी। पर वो बाद की बात है, असल बात ये है कि महामानव के महा - कथनों में ये भी एक कथन है। कि ”कपड़ों से पहचानिए।”

दोस्तों, मैं कह रहा हूं कि मैं अकिंचन महामानव के सभी कथनों को यहां नहीं ला पाया हूं, और इसलिए आपसे ये अनुरोध है, सविनय निवेदन है, प्रार्थना है कि आप भी महामानव के जगत्प्रसिद्ध होने वाले कथनों को यहां प्रस्तुत कीजिए ताकि हम उनमें से उनके सबसे महान कथनों को जमा करके, उन्हें अब तक की दुनिया का सबसे महान व्यक्तित्व साबित कर सकें, ताकि अपना देश ब्रहमांडगुरु बन सके। 

चचा ग़ालिब ने महामानव के कथनो पर कुछ नहीं कहा था, लेकिन उनकी दूरदृष्टि ने उन्हें महामानव तो दिखा ही दिये थे। तो उन्होने एक शेर इस पर भी फेंक मारा है। आप भी सुनिए।

एक शख्स जमाने में ऐसा भी हुआ ग़ालिब
ना सिर ही समझ आया, ना पूंछ नज़र आई

ग़ालिब ऐसे ही पहेलियों में शेर लिखते थे, हम जानते हैं, आप नहीं जानते। खैर, लाइक सब्सक्राइब तो करिए ही, साथ ही शेयर कीजिए, और आपने जो अच्छे कोट महामानव के सुने हैं, उन्हें यहा सबके साथ साझा कीजिए। जल्दी कीजिए, समय पूरा होने ही वाला है। नमस्कार

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