सुशासन और पिटाई
भारत के लोग कब समझेंगे, इस देश का कुछ नहीं हो सकता। जब भी कोई भला आदमी कुछ बेहतर करने की कोशिश करता है, इस देश के लोग उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। जब भी कोई इस देश का विकास करने की, इसे दुनिया में आगे ले जाने की, इसे विकास के रास्ते पर ले जाने की बातें करता है, लोग उसकी आलोचना करना शुरु कर देते हैं। उसके कामों में मीन-मेख निकालना शुरु कर देते हैं। आप ये नहीं समझते कि हर काम अपने समय पर होता है, हर काम का एक तरीका होता है, एक व्यवस्था होती है। नहीं, आप तो अव्यवस्था चाहते हैं।
अब यही देखिए, बिहार में पुलिस ने प्रवीण कुमार गुंजन की पिटाई की, उसे रात भर हाजत में रखा, और सुबह उससे ये लिखवा लिया कि उसे ससम्मान छोड़ा गया है। अब इस खबर का बाहर निकलना था कि संस्कृतिकर्मियों का हल्ला शुरु, इन लोगों को सुशासन की प्रक्रिया का पता ही नहीं है। मुख्यमंत्री का काम है, सुशासन की घोषणा करना, भारत जैसी व्यवस्था में, या बिहार जैसे राज्य में सुशासन को इम्प्लीमंेट यानी लागू करना, असल में पुलिस प्रशासन का काम होता है। अब मान लीजिए किसी नौंटकी वाले को मुख्यमंत्री ने दया दिखला कर कुछ सम्मान-अम्मान दे दिया तो इसका ये मतलब नहीं है कि पुलिस उसे नहीं पीटेगी, माने पुलिस उसे पीटेगी, तो सुशासन हो जाएगा।
आप अब भी नहीं समझे, देखिए सुशासन का क्या मतलब होता है, अच्छी शिक्षा, रोजगार, सम्मान के साथ आजीविका, भूमिहीनो को जमीन, स्वास्थय सेवा, और भी ना जाने क्या-क्या, अब इत्ता सब मांगिएगा तो कइसे होगा भाई। नहीं है ना संभव। लेकिन सुशासन का एक दूसरा तरीका भी है, दूसरा तरीका है कि लोग-बाग ये सब मांगना ही बंद कर दें। ना लोग मांगेगे, ना सरकार की देने की जिम्मेदारी बचेगी। हर जगह शांति, चहुं ओर सन्नाटा, हींग लगे ना फिटकरी, मौज मनाए टाटा। बोलिए हो गया ना सुशासन। तो सुशासन की घोषणा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी, लेकिन सुशासन को लागू करना तो पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है, जिसे पुलिस ने बखूबी अपने हाथ में ले लिया है।
ये रंगकर्मी जाति जो है ना, ये ना सिर्फ खुद बहुत चिल्लाने वाली जाति-प्रजाति है, बल्कि दूसरों को भी उकसाती है। इसलिए पुलिस ने एक सबक के तौर पर ”गुंजन” की ये हालत की है, ताकि जनता को सबक मिले और वो इनके करीब भी ना फटकें। बस हो गया सुशासन। इस घटना का अपना संदर्भ है, इसके ज़रिए मुख्यमंत्री असल में जनता को ये संदेश भेजना चाहते हैं, कि ”देखो बे जनता, मान जाओ, वरना धर सड़की पुलिस पीटेगी, तो बनो सुशासन सारे”। औ’ बाबू साहेब अब भी ना समझे तो तुम्हारा भी यही हश्र होगा।
लेकिन कोई गलतफहमी ना रहे, मुख्यमंत्री का सुशासन का ये गुर असल में प्रधानमंत्री का मौलिक चिंतन है। देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री ने यही रास्ता अपनाया है। जो आपकी नीतियों के विरोध में बोले, उसे पकड़ लो, मार दो, देश के लिए सबसे बड़ा खतरा डिक्लेयर कर दो, अगर फिर भी ना माने, तो उसे विदेशी हस्तक्षेप बता दो। ख्ुाद चुप रहो, दूसरों को बोलने ना दो। और इसमें तो कोई दो राय नहीं है, कि आखिर वो ये सब देश के विकास के लिए कर रहे हैं। हम यहां खुदाई क्यों करें, उसके लिए विदेशी कम्पनियां आएं, यहां से लोहा-लंगड़ ले जाएं, और बढ़िया चमचमाती विदेशी कारें, हमारी सड़कों पर दौड़ें, क्या आप ऐसा नहीं चाहते। आप समझिए, आप सड़क पर जा रहे हैं, पास में से सर्रर्र से एक विदेशी कार निकल गई, और आपका मुहं खुला रह गया। भारत की तरक्की ऐसे ही होगी, जान लीजिए।
गरीबी के बारे में मत सोचिए, आपकी आदत खराब है। हम आपको देश के अमीरी के बारे में बता रहे हैं, और आप हैं कि अपनी गरीबी की बात सोच रहे हैं। इसीलिए युवा राजकुमार, ”अब युवराज” ने कहा कि गरीबी असल में सोच की बात है। अब मान लीजिए कि आपके पास खाना नहीं है, भूख के बारे में सोचना बंद कर दीजिए, भूख खत्म हो जाएगी, अगर पुलिस मार रही है, तो देश की तरक्की के बारे में पॉज़ीटिव सोचना शुरु कीजिए, मार का दर्द और अपमान दोनो हवा हो जाएंगे।
प्रवीण कुमार गुंजन की पुलिस द्वारा पिटाई असल में राज्य के सुशासन के हित में और देश के विकास के हित में है, आप व्यर्थ की इसके बारे में निगेटिव सोच रहे हैं। यहां तो दाढ़ी, शेरवानी के चलते लोगों को फांसी दे दी जाती है, उसकी तो सिर्फ पिटाई हुई है। लेकिन इसके निहितार्थ को समझ लीजिएगा, अब जनता का कुशासन नहीं चलेगा, अब मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्रियों का पुलिस प्रशासन द्वारा सुशासन चलेगा, और अगर आपको इस सुशासन से कोई एतराज है तो आपको भी ऐसे ही समझाया जाएगा, जैसे प्रवीण को समझाया गया है, औरों को समझाया जा रहा है।
"ये रंगकर्मी जाति जो है ना, ये ना सिर्फ खुद बहुत चिल्लाने वाली जाति-प्रजाति है, बल्कि दूसरों को भी उकसाती है। इसलिए पुलिस ने एक सबक के तौर पर ”गुंजन” की ये हालत की है, ताकि जनता को सबक मिले और वो इनके करीब भी ना फटकें। बस हो गया सुशासन।"
जवाब देंहटाएंसही रग पकड़ी है भाई.