गुरुवार, 25 जून 2015

डिग्री और कमाल

डिग्री और कमाल

फर्जी डिग्री के मामले में दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री तोमर जी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं, पूलिस हर बार दो दिन का रिमांड ले रही है। तोमर जी की पत्नि का कहना है कि तोमर जी कोई आतंकवादी तो हैं नहीं कि उनके साथ ऐसा बर्बर व्यवहार किया जाए, गोया आतंकवादी के साथ ऐसा बर्बर व्यवहार किया ही जा सकता है। पर खैर, मामला है फर्जी डिग्री का.....तोमर के वकील का कहना है कि आपका आरोप डॉक्यूमेंटस् के बारे है, आपके साक्ष्य दस्तावेजी हैं, ऐसे में किसी गवाह को बहला-फुसला लेना आदि चीजें तो हो नहीं सकतीं.....तो तोमर जी को बेल पर छोड़ दिया जाए। लेकिन जज साहब का दिल नहीं पिघला, उनका कहना है कि नेता लोग जनता लोग को बेवकूफ बनाता है, इसलिए नेता को गलत काम करने पर जेल में रहना चाहिए। नेक ख्याल है, पर कम है, देर से आया है। देखिए करोड़ों का घोटाला करने वाली जयललिता, छूट गई हैं, अमित शाह और मोदी, ललित नहीं रे, नरेन्द्र, छुट-छुटा कर बैठे हैं। जज साहब, ये भी नेता ही हैं, और दंगे और भ्रष्टाचार आदि करके भी ये छुट्टे घूम रहे हैं। 
तोमर की वकालत नहीं करता, लेकिन, बात तो सही ही है, दस्तावेजी सबूत, जो आपने जमा कर लिए हैं, उन्हे पेश कीजिए, या कारण बताइए कि अब तक आप ऐसा क्यों नहीं कर पाए। आखिर आरोप था क्या, कि तोमर की एल एल बी की डिग्री फर्जी है, आसान सा मामला है, तोमर द्वारा पेश की गई डिग्री को जारी करने वाली यूनिवर्सिटी भेजा जाए और पता लगा लिया जाए। पर ये दिल्ली पुलिस है, जो अपराधियों के पीछे बुरी तरह पड़ी होती है, बुरी तरह काम करने की इसकी आदत ने दिल्ली का तो बंटाधार कर ही दिया है। बाकी सुना है कि आज स्मृति ईरानी वाला केस भी सामने आ रहा है, देखें क्या होता है। हालांकि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जज उन्हे छोड़ देगा। देखना ये है कि वो उन्हे कुछ समय देता है, या मामले को फर्जी कहके उन्हे पूरी तरह बरी कर देता है। इस देश में कुछ भी हो सकता है। जब कोई शादीशुदा होने के बाद कुंवारा हो सकता है तो ये क्यों नहीं हो सकता कि कोई पहले बी ए पास हो और फिर बी कॉम पास हो जाए। वैसे  होने को ये भी हो सकता है कि ये सिर्फ छोटी सी भूल हो, यानी ईरानी जी ये भूल गई हों कि आखिर उनकी डिग्री कौन सी है, तो पहले उन्होने सोचा हो कि मैं बी ए पास हूं, फिर ध्यान से देखा तो पता चला, ओह, ये तो बी कॉम है......हो ही सकता है। यकीन मानिए ऐसा होता है। 
खैर जो भी हुआ हो, मतलब की बात ये है कि हाल फिलहाल में बहुत सारी ऐसी डिग्रियों की जो बाढ़ आई है और उससे सरकारों की जो फजीहत हो रही है, उसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसे कदम उठाने की बाबत फैसला किया है ताकि फेक डिग्री की जरूरत ही खत्म हो जाए। ये बिल्कुल ऐसा ही है कि जैसे मान लीजिए कि अफीम का कारोबार गैरकानूनी है और कई सरकारी अधिकारी इसके लपेटे में आ जाते हैं, या गैरकानूनी शराब का मामला मान लीजिए, तो ऐसे में इन गैरकानूनी धंधों को रोकने का सबसे कारगर तरीका होता है कि माल को ही कानूनी घोषित कर दिया जाए। अब फेक डिग्रियों को ही ले लीजिए, इनके मामले में सीधी सी बात ये है कि डिग्री लेने वाला पैसे खर्च कर सकता है, समय और मेहनत नहीं, तो इसका सीधा सा हल ये है कि सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ के बीच के अन्तर को खत्म कर दिया जाए। अब प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ जिनका इकलौता मकसद पैसा बनाना होगा, वो किसी को भी डिग्री दे सकेंगी और ये मंत्री, मंत्रियों के बेटे, करोड़पति सेठों के बेटे-बेटियां, होते-सोते, बस पैसा फेकेंगे और डिग्री ले लेंगे। ईरानी जी ने तो ये काम शुरु भी कर दिया है, सी बी सी एस असल में इसी काम की शुरुआत है। इसके बाद स्मृति जी खुद के लिए पी एच डी की डिग्री का भी जुगाड़ कर लेंगी, और उसमें जाता क्या है।
बाकी बची वो आम जनता जिसके लिए हर साल, बिना किसी सुविधा के कॉलेजों की कट ऑफ 100 का आंकड़ा पार कर रही है, तो आखिर उन्हे पढ़ने को कहा किसने हैं, कुछ आई टी आई कर लो, किसी मल्टीनेश्नल में कॉल सेंटर, मार्केटिंग फार्केटिंग कर लो, बाकी चाहिए क्या तुम्हे, जीने के लिए खाना मिल जाए, रहने के लिए एक कमरे का क्वार्टर, बाकी कुछ एक्स्ट्रा दे देंगे, ताकि तुम लिवाईस की जींस पहन के, केन वाली बीयर पीते हुए खुद को भारत जैसे गरीब देश में रहते हुए अमेरिका जैसे देश में होने का अहसास करा सको, ना अपनी हालत सुधारने के बारे में सोचो, ना कोई सवाल करो। बाकी जो है सो तो हइए है। 
आखिरी बात ये कि यार, कुछ डिग्री फिग्री  का जुगाड़ हो जाए, तो हमे भी बता देना, काफी दिनो से इच्छा थी कि सुसरी पी एच डी मिल जाए, करी ना पा रए, कछु हो जाए तो बता दीजो।

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