सच या कोई बहाना होगा
दिल को ये समझाना होगा
वफा की बातें कौन करे
बेवफा!! सारा जमाना होगा
शाम हुई तो घर को लौटे
सुबह को फिर से जाना होगा
कुछ सिक्कों की खातिर बेचा
खुद को ”कपिल” कमाना होगा
मेरे सपनों का ये कहना है
मुझे अभी और जिंदा रहना है
किसके इजलास में पेषी होगी
जहां मुझे अपना बयान कहना है
सब खामोष हैं यादों के रफीक़
ग़म को अभी और जिंदा रहना है
सुबह निकली दिन हुआ है देखिए
क्या हुआ, कैसे हुआ, बस देखिए
नये पत्ते मचल करके खिल गए
झर गए पत्ते पुराने देखिए
आज फिर से ये यकीं आया मुझे
ख्वाब पूरे हो रहेंगे, देखिए
हर घड़ी का हम करें कैसे हिसाब
बेसबब बीता है जीवन देखिए
बोल के जो कुछ नहीं समझा सके
चुप में कैसे समझ लेंगे, देखिए
मैं वही हूं कुछ भी तो बदला नहीं
आपको दिखता हूं कैसा देखिए
अब भी सूनी राह को तकते हैं हम
आ ही जाए क्या पता वो, देखिए
सारी दुनिया गोल-मोल है
हर सच में, सच बहुत पोल है
तन्हा दिल, दुनिया की बातें
क्या समझे, क्या तौल- मोल है।
आपकी हस्ती बहुत बड़ी है
मेरे कद में बहुत झोल है।
दर्द का दिल से क्या रिष्ता है
हवा समंदर बादल पानी
आसमान के आंसू थाम लो
चलो फिर उसका नाम लो
बहुत गहरे से सदा उठेगी
ज़रा मगर सब्र से काम लो
रात तारों की चादर पे सो जाएगी
जब भी हमें तेरी याद आएगी
चांद फिर बाद-ए-सबा से पूछेगा
कहां जाती है, लौट के कब आएगी
हवा दरख्तों की चोटयों पर चढ़ी
उतरेगी हरसू पसर जाएगी
ख्वाब आखों में कब तक रहेंगे भला
मेरी उम्मीद सबको नज़र आएगी
मुझको इतना यकीं तो है मेरा जां
आएगी, आएगी, तू ज़रूर आएगी
जिन रस्तों पर चले थे हमतुम
वो रस्ते गुमनाम रहे
दिल तो साफ था लेकिन मुझ पर
कई सौ-सौ इल्जाम रहे
दुनिया वालों को समझा दो
अपने काम से काम रहे
जिन सपनों की नींव बनाई
अब उनके भी दाम रहे
हाथों में तकदीर थी मेरी
हाथ मगर बेकाम रहे
उनसे कुछ उम्मीद बची थी
पर वो भी गुमनाम रहे
हम जो हरदम मुकद्दर से लड़ते हुए
तेरे दर पे किसी दम खड़े हो गए
ये भी माना कहीं रौशनी थी मगर
अपने साये ही हमसे बड़े हो गए
सूरज निकला नहीं सांझ होने को है
हो गया रास्ता जिंदगी का बड़ा
चांद की राह मुश्किल बहुत है मगर
रात के बुत किनारों पे ही सो गए
हमने माना वफा की है आदत हमें
तुमसे उम्मीद थी बावफा तुम भी हो
हम तो अपनी निभाते रहे उम्र भर
तुम कहीं से कहीं पर खड़े हो गए
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