दोस्तों
ये बहुत ख़तरनाक दौर है
इस दौर में कवि होना ख़तरनाक है
क्यूँकि आपकी कोई भी कविता
उन्हें नागवार गुज़र सकती है
आपकी कविता राष्ट्रवादी ग़ुब्बारे की
हवा निकाल सकती है
वो बहुत कमज़ोर होता है
और कविता आप जानते हैं
अक्सर बहुत तीखी होती है
लेकिन फिर भी
कुछ मुहज़ोर लोग
कवि बने रहने की बेतुकी
ज़िद पे अड़े हुए हैं
इस दौर में औरत होना भी ख़तरनाक है
क्यूँकि औरत की छाया से
अक्सर ही धर्म की धोती खुल
जाती है
कुछ लोग सोचते हैं कि ख़तरा
बाहर है
लेकिन औरत होना
चारदीवारी के भीतर
घर के सबसे सुरक्षित कोने में भी
ख़तरनाक है
लेकिन में देख रहा हूँ
की इन चेतावनियों पर आपका
कोई ध्यान नहीं है
क्यूँकि ये जो सामने खड़ी है मेरे
ये औरत होने की ज़िद पे अड़ी हैं
यूँ इस दौर में
मुसलमान होना, ईसाई होना, हिंदू होना
अगर आप दलित हैं तो
या आदिवासी या नास्तिक होना
ख़तरनाक है
क्यूँकि राष्ट्रवाद की मूल परिभाषा में
एक धर्म की ही गुंजाइश होती है
राष्ट्र कोई ज़मीन का टुकड़ा नहीं होता
वो तो दिमाग़ में पलता है
इसलिए जिन धर्मों को आप मानते हैं
या नहीं मानते
वो अगर राष्ट्रवादी धर्म नहीं है
तो आपको ख़तरा है
ये आपके लिए ख़तरनाक है
ओहो आपको मेरी ये बात भी लगता है
समझ नहीं आयी
के फिर भी आप अपनी धार्मिक पहचान को
संभाल के रख रहे हैं
अच्छा ये आख़री बात
देखिए और कुछ चाहे मत सुनिए
पर ये समझ लीजिए
इस दौर में इंसान होना
इंसानियत की जद्दोजहद करना
इंसानियत को मानना
इंसान को प्यार करना
इंसान होने के लिए आवाज़ उठाना
ये सब ख़तरनाक है
बहुत ख़तरनाक है
हाँ आप गाय हो सकते हैं
चाहें तो भैंस या बकरी
मोर
हाँ ये सब इंसान होने से
कम ख़तरनाक है
आज के दौर मैं
अब यही देखिए
ये कवि, औरतें, ये धर्म को मानने वाले
नास्तिक
दलित छात्र मजदूर
ये रिक्शा चलाने वाले
चाय बनाने वाले
ये सब यहाँ जमा हो जाएँ
तो ये ख़तरनाक है
ये राष्ट्रवाद के लिए
जहालत के लिए
सत्ता के लिए
चाहे वो देश की हो
या यूनिवर्सिटी की
ख़तरनाक है
अब आप पूछेंगे कि रास्ता क्या है
तो देखिए
एक रास्ता तो ये है कि
गाय हो जाइए
गोबर, दूध, पेशाब
सब वो काम मे ले लेंगे
मोर हो जाइए
कम से कम आँसू तो
किसी काम आएगा
इंसान होने की मत सोचिए
ना पसीना, ना लहू, और ना तड़प
इंसान इस सत्ता के लिए किसी काम
का जीव नहीं है
और दूसरा रास्ता ये हो सकता है
की इंसान होने की ज़िद पे अड़े रहिए
और सच में इस सत्ता के लिए
इस सत्ता की हिंसा के लिए
ख़तरनाक हो जाइए
क्यूँकि सबसे ख़तरनाक
इंसान होने की कोशिश, ज़िद, और लड़ाई होती है
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