सोमवार, 13 दिसंबर 2021

ख़तरनाक दौर

 




दोस्तों

ये बहुत ख़तरनाक दौर है 

इस दौर में कवि होना ख़तरनाक है 

क्यूँकि आपकी कोई भी कविता 

उन्हें नागवार गुज़र सकती है 

आपकी कविता राष्ट्रवादी ग़ुब्बारे की 

हवा निकाल सकती है 

वो बहुत कमज़ोर होता है 

और कविता आप जानते हैं 

अक्सर बहुत तीखी होती है 

लेकिन फिर भी 

कुछ मुहज़ोर लोग 

कवि बने रहने की बेतुकी 

ज़िद पे अड़े हुए हैं 


इस दौर में औरत होना भी ख़तरनाक है 

क्यूँकि औरत की छाया से 

अक्सर ही धर्म की धोती खुल 

जाती है 

कुछ लोग सोचते हैं कि ख़तरा 

बाहर है 

लेकिन औरत होना 

चारदीवारी के भीतर 

घर के सबसे सुरक्षित कोने में भी 

ख़तरनाक है 

लेकिन में देख रहा हूँ 

की इन चेतावनियों पर आपका 

कोई ध्यान नहीं है 

क्यूँकि ये जो सामने खड़ी है मेरे 

ये औरत होने की ज़िद पे अड़ी हैं 


यूँ इस दौर में 

मुसलमान होनाईसाई होनाहिंदू होना 

अगर आप दलित हैं तो 

या आदिवासी या नास्तिक होना 

ख़तरनाक है 

क्यूँकि राष्ट्रवाद की मूल परिभाषा में 

एक धर्म की ही गुंजाइश होती है 

राष्ट्र कोई ज़मीन का टुकड़ा नहीं होता 

वो तो दिमाग़ में पलता है 

इसलिए जिन धर्मों को आप मानते हैं 

या नहीं मानते 

वो अगर राष्ट्रवादी धर्म नहीं है 

तो आपको ख़तरा है 

ये आपके लिए ख़तरनाक है 

ओहो आपको मेरी ये बात भी लगता है 

समझ नहीं आयी 

के फिर भी आप अपनी धार्मिक पहचान को 

संभाल के रख रहे हैं 


अच्छा ये आख़री बात 

देखिए और कुछ चाहे मत  सुनिए 

पर ये समझ लीजिए 

इस दौर में इंसान होना 

इंसानियत की जद्दोजहद करना 

इंसानियत को मानना 

इंसान को प्यार करना 

इंसान होने के लिए आवाज़ उठाना 

ये सब ख़तरनाक है 

बहुत ख़तरनाक है 

हाँ आप गाय हो सकते हैं 

चाहें तो भैंस या बकरी 

मोर 

हाँ ये सब इंसान होने से 

कम ख़तरनाक है 

आज के दौर मैं 


अब यही देखिए 

ये कविऔरतेंये धर्म को मानने वाले 

नास्तिक 

दलित छात्र मजदूर 

ये रिक्शा चलाने वाले 

चाय बनाने वाले 

ये सब यहाँ जमा हो जाएँ 

तो ये ख़तरनाक है 

ये राष्ट्रवाद के लिए 

जहालत के लिए 

सत्ता के लिए 

चाहे वो देश की हो

या यूनिवर्सिटी की 

ख़तरनाक है 


अब आप पूछेंगे कि रास्ता क्या है 

तो देखिए 

एक रास्ता तो ये है कि

गाय हो जाइए 

गोबरदूधपेशाब 

सब वो काम मे ले लेंगे 

मोर हो जाइए 

कम से कम आँसू तो 

किसी काम आएगा 

इंसान होने की मत सोचिए 

ना पसीनाना लहूऔर ना तड़प 

इंसान इस सत्ता के लिए किसी काम 

का जीव नहीं है 


और दूसरा रास्ता ये हो सकता है 

की इंसान होने की ज़िद पे अड़े रहिए 

और सच में इस सत्ता के लिए 

इस सत्ता की हिंसा के लिए 

ख़तरनाक हो जाइए 

क्यूँकि सबसे ख़तरनाक 

इंसान होने की कोशिशज़िदऔर लड़ाई होती है 

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