शनिवार, 26 जुलाई 2025

स्कूल बंद - यू पी चालू छोटा फैंटा - बात बड़ी





भाजपा ने डबल इंजन के नारे से शुरु किया था, आज दो - तीन और कई राज्यों में तो सरकारें चार इंजनों पर चल रही हैं। लेकिन पायलट महामानव ही हैं हमारे। महामानव विज़नरी लीडर हैं, और इसलिए सारे देश में जहा भी भाजपा की सरकार हैं, वहां के लीडर डिप्टी विज़नरी हैं। अब देखना है कि इस देश का क्या होने वाला है, मुझे तो सोच कर ही झुरझुरी आती है।



नमस्कार दोस्तों, मैं कपिल शर्मा, एक बार फिर से आपके सामने हूं। सुना यूपी सरकार यानी अजय सिंह बिष्ट की सरकार पांच हजार स्कूलों को बंद करने जा रही है। खुद यू पी सरकार यानी अजय सिंह बिष्ट जी का कहना है कि वो दरअसल इन स्कूलों को बंद नहीं कर रहे, बल्कि अन्य स्कूलों में मर्ज कर रहे हैं, यानी मिला रहे हैं, यानी बंद कर रहे हैं। हमारा गणित इसमें ये है कि मान लीजिए पहले थे, दस हजार स्कूल, इनमें से पांच हजार को, बाकी पांच हजार में मर्ज कर दिया, तो बचे कितने....अब इस सवाल के कई जवाब हो सकते हैं। जिन लोगों की पढ़ाई, एक्स्टरा टू ए बी वाली पद्धति से हुई है, उनके लिए ये ज़रा टेढ़ा सवाल हो सकता है, क्योंकि बुद्धि का बैल, उस भैंस से ज्यादा समझदान नहीं होता, जिसके आगे अक्सर बीन बजाई जाती है। हमसे कोई पूछे अक्ल बड़ी या भैंस तो भैये हमें ना अकल बड़ी लगती है ना भैंस हमें तो अपने महामानव ज्यादा बड़े लगते हैं, अक्ल से भी और भैंस से भी। हालांकि भैंस और बैल को इन विवादों में लाना कुछ अच्छी बात नहीं होती, और यकीन मानिए हम इन मासूम जानवरों को अजय सिंह बिष्ट जी के स्कूलबंदी अभियान के विचारों में लाते भी नहीं, लेकिन क्या करें मजबूरी है। 

यूं अजय सिंह बिष्ट की खुद की पढ़ाई-लिखाई के बारे में जो न कहा जाए, वही बहुत है, क्योंकि कहने को तो ये भी कहा जा सकता है कि खुद महामानव की स्कूली शिक्षा के बारे में जो न कहा जाए, वहीं बहुत, बल्कि बहुत ज्यादा हो जाएगा। खुद को योगी कहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ आदित्यनाथ अपनी डिग्री दिखाएं तो जनता को पता चले कि उन्होने किस एंटायर सबजेक्ट में डिग्री हासिल की है, क्योंकि अगर ये काम भी दिल्ली यूनिवर्सिटी पर छोड़ दिया गया तो हो सकता है कि कहीं से 1982 की कम्प्यूटर जेनरेटिड एंटायर पोलिटिकल साइंस की पी एचडी की डिग्री निकल आए। ऐसा कहना भी पाप है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि महामानव खुद से जो भी कहें, डी यू ने उनकी एंटायर पोलिटिकल साइंस की डिग्री निकाल दी, हां दिखाने को मना कर रहे हैं कि भई ये निजता का उल्लंघन है, बाकि आप चाहे किसी की भी डिग्री मांग लो, विश्वगुरु, महामानव की डिग्री डी यू नहीं दिखाने वाला। अब इसके सिवा आपके पास चारा क्या रह जाता है कि आप उनकी डिग्री के लिए खुद महामानव के बयानो का भरोसा करें। और महामानव खुद समय और परिस्थिति के अनुसार अपनी शिक्षा-दिक्षा के बारे में बयान बदलते रहे हैं। 


महामानव की डिग्रियों पर सवाल उठाने वाले मंदबुद्धि लोग यानी देश की जनता ये नहीं समझती कि जो महामानव होता है, उसे डिग्री लेने के लिए यूनिवर्सिटी नहीं जाना पड़ता, खुद डिग्री चलकर उनके पास आ जाती है। और ऐसे जिसके पास भी डिग्री चलकर आती है, उसे खुद भी पता नहीं होता कि आखिर उसने किस साल कौन से स्कूल या यूनिवर्सिटी से कौन से विषय में किस डिविजन में कौन सी डिग्री हासिल की थी। 

खैर बात हो रही थी यू पी में पांच हजार स्कूलों को बंद करने की, यानी उनके दूसरे स्कूलों में विलय की, जिसे अंग्रेजी में मर्जर कहा जाता है। ये अजय सिंह बिष्ट उर्फ आदित्यनाथ, बेकार ही लोगों को समझाने निकले हैं कि इन स्कूलों को बंद नहीं किया जा रहा है, बल्कि इनका मर्जर किया जा रहा है। इसी बात को महामानव यूं चुटकियों में समझा देते, जैसे उन्होने वैज्ञानिकों को बादलों में हवाईजहाज के छुपने पर राडार से बचने का उपाय समझाया था। 

अब यू पी सरकार का ये फैसला हमें तो जनाब बहुत अच्छा लगा, एंेवेई पढ़ाई-शढ़ाई पर पैसे खर्च हो रहे हैं बेकार के, इन्हीं पैसों से कितने शौचालय बन जाने हैं, कितने कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की जा सकती है, और बताइए, जब बुलडोजर से घरों को तोड़ा जाता है तो उसमें कितना खर्चा होता है, अब ये जो सकूल बंद किए जा रहे हैं, इनसे उन बुलडोजरों का खर्चा भी निकल जाया करेगा, आम के आम और गुठलियों के दाम। वैसे भी शिक्षा का खर्च इतना बढ़ता जा रहा है कि इस ग़रीब देश के लिए मुश्किल होता जा रहा है। ग़रीबों के देश में ग़रीबों के बच्चों को पढ़ने का अधिकार देना कहां की समझदारी है भई। कल को पढ़-लिख कर इन्हीं लोगों ने तुमसे सवाल पूछ लेना है, ये ग़रीब ऐसे ही नाशुकरे होते हैं जी, इन्हें इतना भर कर दो कि मुफ्त का राशन देकर कहो कि भैये जो तुम्हें मुफ्त का राशन दे रहा है, तुम्हारा फर्ज है कि तुम उसे ही वोट दो। 

ये वोट की बहुत विकट समस्या है यार, वोट क्योंकि ग़रीबों को देना होता है, इसलिए हर साल - छः महीने में इनकी इतनी चिरौरी करनी पड़ती है। हालांकि चुनाव आयोग ने उसका भी समाधान निकाला है, जिसकी अभी बिहार में फील्ड टेस्टिंग चल रही है। इस बार चुनाव आयोग ने ऐसा तीर छोड़ा है जिसकी काट संभव नहीं है, अब होगा यूं कि ग़रीबों से कहा जाएगा कि बेटा पहले ये साबित करो कि तुम वोट देने लायक हो। इनसे ऐसे ऐसे डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे कि ये तो क्या इनके पुरखे भी साबित नही ंकर पाएंगे कुछ। बस इनका वोट काट दिया जाएगा, फिर मजे से जो मर्जी करेंगे। बाकी लोग जाएं भाड़ में। 


एल्लो, फिर से भटक गया। हां तो बात हो रही थी, अजय सिंह बिष्ट जी के यूपी में पांच हजार स्कूलों को बंद करने के फैसले की। फैसला बहुत बढ़िया है जैसा कि मैने बताया ही है। यू पी में, बल्कि यूं कहें कि देश में बहुत ग़रीबी है, पैसों की विकट समस्या है, प्रधानमंत्री को हर दूसरे दिन किसी ना किसी देश की, सैर करनी होती है, जिसमे बहुत खर्चा होता है, ये खर्चा कहां से आएगा। बस स्कूलांे का बंद करने से जो पैसा बचेगा उससे प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का खर्च निकाला जाएगा। 


ये जो विदेशों में मासूम बच्चे पढ़ रहे हैं, इनकी इन विदेशी शिक्षाओं को खर्च बताइए कैसे निकलेगा। आप लोग बेकार ही सरकारी स्कूलों के बंद होने की दुहाई दे रहे हैं, इस देश का भविष्य असल में विदेशों में पढ़ रहा है। उसे विदेशों की महंगी शिक्षा पर बहुत खर्च करना पड़ता है, दोस्तों ये आपके त्याग के दिन हैं, आप मुझे एक बात बताइए, क्या आप नहीं चाहते कि आपका देश तरक्की करे, आगे बढ़े। अगर आपका जवाब हां है तो फिर आपको यू पी में अजय सिंह बिष्ट के पांच हजार स्कूलों को बंद करने के अजय सिंह बिष्ट के फैसले पर खुश होना चाहिए। इन स्कूलों को बंद करके हमारे महामानव की केबिनेट के बच्चे विदेशों की महंगी यूनिवर्सिटियों में पढ़ेंगे, बताइए, क्या आप अपने इन नेताओं के बच्चों और इन मासूम बच्चों के भविष्य के लिए इतना त्याग भी नही ंकर सकते। आप देशद्रोही हैं, जो अपने लिए इन स्कूलों की मांग कर रहे हैं। 

बताइए, हमारे महामानव ने आपके लिए क्या नहीं किया, अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन दिया, उज्जवला गैस दी, कि बेटा इस मुफ्त के राशन को पका कर खाओ, खाने के बाद जब तुम निपटने जाओ तो उसके लिए भी हर घर शौचालय का प्रबंध किया। इससे ज्यादा कोई क्या खाकर तुम्हारे लिए करेगा, अहसान फरामोशों, इसके बावजूद तुम पढ़ाई करने की जिद पर अड़े हुए हो। तुम कहते हो कि स्कूलों को बंद ना किया जाए, अरे पढ़-लिख कर तुमको क्या करना है? रहोगे तुम इसी मुल्क में, ईंटे ढोना तुम्हारी नियति है, किसानी करना, मजदूरी करना तुम्हारी नियति है, और तुम्हें फिर भी पढ़ने की जिद है। मेरी मानो मेरे यारों, पढ़ाई - लिखाई में कुछ नहीं रखा, तुम ऐसा करो कि कांवड़ लेकर आओ, देखो कांवड़ियों के लिए अजय सिंह बिष्ट जी ने कितनी सुंदर व्यवस्था कर रखी है। कांवड़ लेकर आने के लिए कोई डिग्री नहीं चाहिए, न स्कूल का सर्टिफिकेट चाहिए, बस कांवड़ लेकर आने की आस्था चाहिए, तो स्कूल जाकर क्या करना है कांवड़ लेकर आओ।


बताइए इस गाने को लिखने वाले और गाने वाले के खिलाफ एफ आई आर हो गई है, ये आदमी जिसका नाम डॉ रजनीश गंगवार है, स्कूल के बच्चों को कह रहे हैं कि तुम कांवड़ लेने मत जाना, पढ़ाई - लिखाई करना। अब आज के दौर में स्कूल में, बताइए, स्कूल में बच्चों को ये कहना कि तुम कांवड़ लेकर मत जाना, बल्कि ज्ञान का दीप जलाना जैसी बातें बताने जैसा अपराध ये व्यक्ति कर रहा है, वो तो भला हो, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का, कि इस बात का फौरन संज्ञान लिया और फौरन इस व्यक्ति क के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवा दी। 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तर प्रदेश में पांच हजार स्कूलों के बंद किए जाने के फैसले का समर्थन करती है, इसलिए कि विद्यार्थियों के लिए सबसे जरूरी चीज़ है, कांवड़ लाना, बाकी शिक्षा-फिक्षा जैसी बेकार की चीजों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ज़रा दूर ही रहती है। हम तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से ये अपील करेंगे कि वो यू पी में स्कूलों को बंद करने के फैसले के समर्थन में एक आयोजन करे, और साथ ही उन विद्यार्थियों के लिए कुछ वजीफे का इंतजाम करे जो अपनी पढ़ाई छोड़ कर कांवड़ लाने के महती कार्य को सम्पन्न करें। इसके लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कुछ सक्रिय सदस्य अपनी तरफ से पहल कर सकते हैं, जैसे जे एन यू जैसे वामपंथ के गढ़ में जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य छात्र संघ चुनावों में जीते हैं, वे फौरन अपनी पढ़ाई छोड़ कर कांवड़ लेने निकल सकते हैं, अभी तो मौका भी है और दस्तूर यानी रिवाज भी है। साथ ही अजय सिंह बिष्ट और हो सकता है खुद महामानव उनके इस कदम की सराहना करें, उन्हें फूल माला पहनाएं और साथ ही, जे एन यू जैसे विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर भी हो सकता है कि इस महती कार्य में उनकी मदद करें और पढ़ाई छोड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें, ऐसी हमारी कामना है। 


दोस्तों अब समय आ गया है कि हम इन वामपंथियों द्वारा बहकाई गई जनता को सही और सच्चा रास्ता दिखाएं, उन्हें ये समझाएं कि ये पांच हजार स्कूलों के बंद होने से उनका फायदा होने वाला है, उन्हें किसी तरह बस ये समझा दिया जाए कि शिक्षा जैसी चीजें ग़रीबों के बस की बात नहीं है तो हमारा काम बन जाएगा। जैसे चुनाव आयोग बी एल ओ को घर - घर भेज रहा है, हमें भी अपने आर एस एस के स्वयंसेवकों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को घर - घर भेजकर ग़रीबों को, दलितों को, आदिवासियों को ये यकीन दिलाना है  िकवे पढ़ना-लिखना छोड़ दें, ताकि यू पी ही नहीं, आने वाले दिनों में भाजपा सरकारें सारे देश में सरकारी स्कूलों को बंद कर सकें। बस एक बार शिक्षा बंद हो जाए तो ये सब अपने पुराने वाले ढर्रे पर लौट जाएंगे, अभी बागेश्वर बाबा, और अनिरुद्धाचार्य जैसे बाबा इसी काम में लगे हुए हैं, लेकिन उनका समर्थन करने के लिए कई ऐसे बाबा बनाने होंगे, जो ढोंग को, अंधविश्वास को बढ़ावा दें, बस फिर हमारा काम बन जाएगा। 


आपसे अपील है कि आप योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय सिंह बिष्ट के इस स्कूल बंदी अभियान का समर्थन करें, बाकी जैसी महामानव की मर्जी।



अरे हां, ग़ालिब की भी इस बारे में खासी अच्छी राय थी, वे दरअसल बाबा का समर्थन करते थे, इस मामले में, सुनिए वो क्या कह गए हैं।


इस्कूल तो हमें ग़ालिब फिजू़ल लगता है

दिल से तो हमें कांवड ही कूल लगता है

डिग्री तो डी यू बाद में बना ही देगा ग़ालिब

इसीलिए तो सबसे प्यारा कमल का फूल लगता है




तो कांवड़ को कूल मानिए, इस्कूल को फिजूल मानिए, और स्कूल बंदी का समर्थन कीजिए।


बाकी जो है वो हैये है।

नमस्कार


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