सोमवार, 15 अप्रैल 2013

नई भाषा



चित्र गूगल साभार
अब बोलेंगे हम नई भाषा

नफरत, युद्धों और मार-काट
के शब्द नहीं होंगे जिसमे
बहसें तो होंगी उसमें पर
झगड़े-रगड़े ना हों जिसमें
जो बात करे अपने मन की
जिससे अपनापन लगता हो
अब बोलेंगे हम नई भाषा

जो व्याकरणों के द्वंदजाल में
भावों की ना काट करे
जो दमित भावना भरी खाल में
मानव की ना बांट करे
जो अपनी, अपने जैसी हो
जिससे मन मिल जाएं सबके
अब बोलेंगे हम नई भाषा

जो प्रश्न सुझाए कम, उत्तर हों
जिसके हर इक शब्द छुपे
जो बांधे ना रूढ़ी में, खुलते हों
जिसमें ये बंध सभी
जो प्रेम प्यार की बात करे
जो इंकलाब की बात करे
अब बोलेंगे हम नई भाषा

ना गाली हो, ना नीच शब्द
सम्मान भी हो, अभिमान भी हो
ना बड़ा कोई, ना छोटा हो
तफरीह भी हो, इमकान भी हो
सपनों को जो साकार करे
श्रम से मानव से प्यार करे
अब बोलेंगे हम वो भाषा

2 टिप्‍पणियां:

  1. kavita me ek samyadi samaj ka khanka khicha gaya hai....hamara swapn jarur pur hoga, jarur ham bolenge nai bhasha....Lal salam

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  2. जैसे रांची के किसी कामरेड की कोई कहानी में शब्दों को सुन रहे है ब्लॉग में .

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