दोस्तों मैं आपसे एक खास अपील करना चाहता हूं। एक अपील जिससे इस देश का बहुत भला हो सकता है। आपको याद होगा महामानव ने एक दिन रात को आठ बजे टीवी पर आकर एक ऐसा आदेश देश को दिया था, जिसने इस देश का पूरा रंग-रूप ही बदल दिया था।
जिस दिन से इस देश में नोटबंदी हुई, उसी दिन से इस देश तक़दीर बदल गई, एकदम से देश की किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि ये देश तरक्की के ऐसे रास्ते पर चल निकला कि आज तक कोई भी इस देश को उस रास्ते से हटा नहीं पाया है। आपको याद होगा दोस्तों महामानव के उस क्रांतिकारी कदम का क्या जमकर विरोध हुआ था, क्या तो प्रगतिशील, क्या वामपंथी, क्या कांग्रेसी, सब ने महामानव की नोटबंदी को देश के लिए घातक बताया था।
लेकिन महामानव को पता था कि ये नोटबंदी आखिरकार देश के कालेधन का बाहर निकाल लेगी, और आखिरकार सारा कालाधन बाहर आ गया। जो अरबों-खरबों रुपये का कालाधन लोगों ने दबा कर रखा हुआ था, वो बाहर आ गया, देश के कालेधन को लोगों की जेबों से बाहर निकालने में महामानव को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा वो तो महामानव ही जानते हैं। पूरे देश में कालेधन को बाहर निकालने के लिए जिस हिम्मत की ज़रूरत थी वो सिर्फ महामानव में थी। इस पूरे कालेधन पर हमले में सिर्फ कुछ हिम्मतवाले पत्रकार ही महामानव के साथ बने रहे थे। लेकिन आखिरकार महामानव ने सभी ग़रीब लोगों की जेबों से सारे कालेधन का बाहर निकाल ही लिया।
आखिरकार जब नोटबंदी के इस महती कार्य का मूल्यांकन किया गया तो पता चला कि, कुल 98 प्रतिशत धन वापस आया था। इसकी वजह ये थी कि ग़रीबों के पास जितना कालाधन था वो निकल गया, और अमीरों के पास जो कालाधन था, उसे व्हाइट करने के सारे रास्ते उन्होने अपना लिए होंगे।
ये सही कि बहुत ज्यादा कालाधन वापिस नहीं आ पाया था, यानी जितना पैसा देश भर में घूम रहा था, उसका ज्यादातर हिस्सा तो वापस आ गया। तब महामानव ने हमें बताया कि ये नोटबंदी तो उन्होने इसलिए की थी ताकि आतंकवाद की कमर टूट जाए। आतंकवाद की कमर आप जानते ही हैं कि आज तक कोई तोड़ नहीं पाया, लेकिन महामानव का निशाना अचूक था, उन्होने सीधे आतंकवाद की कमर पर चोट की थी और नोटबंदी के चलते आतंकवाद की कमर ऐसी टूटी कि आज तक वो बेचारा अपनी टूटी कमर के साथ कराह रहा है और नोटबंदी के बाद से देश में एक भी आतंकवादी घटना नहीं हुई है। इसलिए जब आप नोटबंदी के समय सामान्य नागरिकों की मौत की बात करते हैं तो ये याद रखिए कि इसी नोटबंदी से ही तो आतंकवाद की कमर टूटी है।
उसी समय एक अफवाह भी उड़ी थी कि महामानव के महान साथी, आधुनिक युग के चाणक्य और देश के गृहमंत्री ने कई हज़ार करोड़ रुपये का कालाधन इसी धकापेल में सफेद करवा लिए थे, जिनका कोई हिसाब नहीं था। खैर वो अफवाह थी, क्योंकि ई डी ने कोई छापा नहीं मारा, और इस खबर पर कोई कार्यवाही ना हुई। जिन खबरों पर कार्यवाही नहीं होती, वो सब अफवाहें होती हैं। लेकिन इन्हीं सब तथाकथित प्रगतिशीलों के लगातार हमलों से आजिज आकर महामानव ने कह ही दिया, कि 50 दिन में अगर नोटबंदी का कोई पॉजीटिव रिजल्ट ना आए, तो वो खुद चौराहे पर आएंगे और उन्हें सरेराह पीटा जा सकता है।
देखते देखते पचास दिन बीत गए, लेकिन महामानव को चौराहे पर नहीं आना था, वो ना आए। इन प्रगतिशीलों के कलेजे पर सांप लोट गया, इनकी बड़ी इच्छा थी कि महामानव अपने कहे अनुसार चौराहे पर आएं, और ये लोग उनके सिर पर जूते बरसाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों नहीं हुआ, इसलिए नहीं कि महामानव झूठे हैं, और उन्हें झूठ बोलने की आदत है, बल्कि इसलिए कि तब, यानी आखिर में महामानव ने अपना फाइनल दांव खेला, उन्होने जनता को बताया कि दरअसल ये नोटबंदी कालेधन के बारे में नहीं थी, ना ही इसका आतंकवाद से कोई लेना-देना था, बल्कि सारा मसला ये था कि जनता को डिजिटल करेंसी की आदत लगानी थी।
अब बताइए, नोटबंदी के बिना डिजिटल करेंसी का चलन कैसे संभव था। सदियों से इस देश में कैश का सिस्टम था, लोगों को आदत पड़ चुकी थी कि वो कैश में बैंक के ज़रिए डील करते थे। ऐसे में हमारे आधुनिक युग के महामानव ने ये सख्त कदम उठाया था कि लोग कैश को भूल जाएं, बैंक से पैसे निकालना बंद करें, और डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करें। और महामानव का ये कदम सफल रहा।
आज परे भारत में ढूंढ लीजिए किसी भी जेब में आपको कैश जिसे नगद कहते हैं, नहीं मिलेगा। अब कई लोगों को मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी के पास पैसा ही नहीं है। और जब पैसा है ही नही ंतो किसी की जेब में मिलेगा कैसे। लेकिन यहीं ये लोग ग़लत हैं, दरअसल पैसा बहुत है, सिर्फ अकाउंट नंबर बदल गया है। पहले पैसा जनता के पास होता था, लेकिन नोटबंदी के बाद सारा पैसा कुछ खास अकाउंटस् में टांसफर हो रहा है। ये जो खास अकांउटस् हैं ये महामानव के दोस्तों के हैं, इनमें देश का ज्यादातर पैसा जमा हो गया है, और अब वहां सेफ है। इसी सेफ पैसे के बलबूते हमारा देश दुनिया की चौथे नंबर की इकानॉमी बन गया है। और तो और, अब देश के तमाम पैसे को इन्हीं सेफ जगहों पर रखने के लिए महामानव ने एल आई सी का पैसा तक इन्हीं लोगों के पास टांसफर कर दिया है।
और आपको याद होगा कि उसी दौरान दो हज़ार का ऐसा टेकनीकली एडवांस नोट भी ईजाद किया गया था, जिसमें चमत्कारी चिप लगी हुई थी।
ऐसे नोट की वजह से हालांकि कोई छापेमारी नहीं हो सकी, और ना ही किसी कालेधन का पकड़ा जा सका, लेकिन क्योंकि सरकार की तरफ से इसका कोई खंडन नहीं हुआ था, इसलिए मुझे तो अब भी लगता है कि ये खबर सच ही थी। पर सच कहूं तो मुझे तो दो हज़ार को नोट देखे ही सालों हो गए, क्या पता क्या सही है क्या ग़लत। पर इन महान पत्रकारों ने कहा और महामानव ने मना नहीं किया तो सही ही होगा।
अब जब मैं आपको, महामानव के इस महान क्रांतिकारी कदम के बारे में बता चुका हूं, तो मैं अब आपसे अपील करना चाहता हूं कि नोटबंदी जैसे इस महान कदम को रिपीट करने की ज़रूरत है। जरूरत इस बात की है कि नोटबंदी ने जिस तरह देश की काया बदली है, इस देश को हर साल इसी तरह के कायाकल्प की ज़रूरत है। इसलिए हमें महामानव अपील करनी चाहिए कि वो हर साल उसी तरह आठ बजे टी वी पर आकर नोटबंदी की घोषणा करें। दोस्तों मेरा कहना है कि हर साल नोटबंदी होनी चाहिए। हर साल कालाधन बाहर आना चाहिए, हर साल आतंकवाद की कमर टूटनी चाहिए, हर साल डिजिटल करेंसी और डिजिटल इकॉनॉमी को मजबूत करना चाहिए, हर साल देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलना चाहिए, और हर साल जनता को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए।
और वहीं महान चाणक्य का ये अमर कथन भी गूंजा था कि जब विरोधी एकजुट हो जाएं तो समझ जाओ कि राजा सही कर रहा है। एक और महान मंत्री जी ने ये भी साबित किया था कि नोटबंदी की मार सहना ही देशभक्ति है। मेरा सवाल ये है कि क्या ऐसी देशभक्ति से देश की जनता को नियमित तौर पर दो-चार नहीं करना चाहिए।
इसीलिए दोस्तों मैं चाहता हूं कि आप सबके मुहं पर यही एक सवाल और नारा हो, कि महामानव के इस महान कदम को जनता याद रखे, कि हर साल देश में नोटबंदी हो। आज मेरी आप से यही अपील है कि महामानव या उनके जो भी यार, दोस्त, भक्त, आदि मिलें, तो उनसे कहें कि भैये, देश हर साल एक नोटबंदी मांगता है। हमें चाहिए नोटबंदी, नोटबंदी-नोटबंदी
हमारे चचा ग़ालिब के जमाने में नोटबंदी नहीं हुई थी। कैसे होती, उस वक्त ना कालाधन था, ना आतंकवाद था, और ना ही डिजिटल करेंसी की कोई बात थी। हालांकि सुनते हैं भारत बहुत अमीर था उस समय, महामानव वाली बात तो खैर नहीं थी, फिर भी ठीक-ठाक हालत में था। तो उसी दौर का चचा ग़ालिब का शेर है
हो जाए जनता में कभी देशभक्ति मंदी
करवा दे तू झटक के मेरी जान नोटबंदी
नोटबंदी वो शानदार कदम था दोस्तों, जिसका हर साल याद किया जाना ज़रूरी है, महामानव को याद दिलाया जाना ज़रूरी है, जैसे उस नोटबंदी से देश महान से महानतम बना, वैसे ही हर साल नोटबंदी से देश महान बनता रहे यही हमारी कामना है।
नमस्कार
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