नमस्कार। मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। जनाब हमारे महामानव कित्ते शानदार ओरेटर हैं। वाह, वाह, जब वो अपनी सुरीली आवाज़ में भाईयों भैनों या मितरों कहते हैं, तो सच में सामने खड़ी पूरी भीड़ में एक उछाह आ जाता है। अब आप मानिए या ना मानिए, विपक्षी तक मानते हैं कि व्यक्ति या राजनेता महामानव चाहे जैसे भी हों, ओरेटर गज़ब के हैं भई, हमारे महामानव।
दोस्तों, महामानव की ये भाषणबाज़ी हम जैसे नौजवानों के लिए एक टेनिंग ग्राउंड बन सकती है। हम उनसे कितना कुछ सीख सकते हैं। यानी अगर अब तक आपने उनसे कुछ ना सीखा हो तो सीख सकते हैं। आज हम महामानव की इस गज़ब क्षमता का संक्षिप्त यानी छोटा सा विश्लेषण करेंगे, ताकि आप ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी महामानव की इस कला, को सीख सकें और इससे लाभ उठा सकें।
मंच पर जाते ही महामानव, सबसे पहले सुनने वालों के साथ अपना एक रिश्ता स्थापित करते हैं। उस जगह से, उन लोगों से, उस संस्कृति से, आदि आदि।
इससे होता ये है कि एक तो लोग आपसे रिलेट करते हैं, दूसरे आपकी बात को ध्यान से सुनते हैं, तीसरे एक बार ये कहके कि मेरा फलाने - ढिमाके से पुराना नाता है, आप अपने एक घंटे के भाषण में कुछ भी पेल दीजिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब इसमें कुछ बातें ध्यान रखने वाली हैं, इस मामले में आप कतई झूठ बोल सकते हैं, कोई आपसे नहीं पूछेगा कि आपका नाता क्या है, कब का है, क्या इस नाते का कोई प्रमाण है, क्या किसी ने इस नाते को देखा है। ये सब बेकार की बाते हैं, इन बेकार की बातों से किसी को कोई लेना देना नहीं है।
तो जनाब, एक बार आपने भाइयों, भैनों या मितरों टाइप एक जुमले से लोगों का ध्यान एक बार आपने अपनी तरफ खैंच लिया तो फिर रास्ता कुछ आसान हो जाता है। अब आपको बहुत ज्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। आप बड़े-बड़े जुमले फेंक सकते हो, बड़ी -बड़ी बातें कर सकते हो, इधर-उधर की हांक सकते हो, लेकिन ध्यान रखिए, यहां कलाकारी की जरूरत पड़ती है। कभी आपको नाटकीय तरीके से आवाज़ ऐसी बनानी होती है कि जैसे आप ऐसा कुछ बताने जा रहे हो कि वो बहुत ही सीक्रेट हो।
या फिर आपको बहुत उंची आवाज़ में, बहुत गुस्सा होकर दिखाना पड़ता है, ऐसे बात करनी पड़ती है, कि जैसे अगर आपका बस चले तो आप घूंसा मारकर समाने पड़े डायस को ही तोड़ डालेंगे।
इसके अलावा आपको कुछ इस तरह से एक्टिंग भी करनी पड़ती है, जैसे आप ही सबसे ज्यादा काबिल सबसे ज्यादा सक्षम और सबसे ज्यादा समझदार हैं। जैसे यदि कमान आपके हाथ हो तो आप ऐसा कुछ करेंगे।
अब इन सब बातों को सीखते और इनसे लाभ उठाने वाले अपने मितरों को मैं कुछ बातों का ध्यान रखने को कहूंगा। अपने भाषण के इस पड़ाव में जो सबसे बड़ी चीज़ आपको ध्यान में रखनी है कि यहां आपको जो भी बोलना है वो झूठ होना चाहिए। सच के लिए आपको एक्टिंग नहीं करनी पड़ती, नौटंकी नहीं जमानी पड़ती, लेकिन बिना नौटंकी किए, बिना झूठ बोले ये सब मामला जमने वाला भी नहीं है। इसलिए यहां आपको सिरे से लेकर झूठ बोलना पड़ेगा।
ये ध्यान रखिए दोस्तों की भाषण देने की कला में, अच्छा ओरेटर बनने की कला में सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आपको ना सिर्फ झूठ बोलना आता हो, बल्कि पूरी बेशर्मी से झूठ बोलना आता हो। बिना झूठ बोले और बिना बेशर्म बने आप इस कला में महारत हासिल नहीं कर सकते। इसलिए हमेशा ध्यान रखिए झूठ बोलना अच्छा भाषण देने की कला की पहली शर्त है।
एक अच्छा भाषण देने के लिए खुद को मिसाल के तौर पर सामने रखना एक बहुत ही अच्छी चाल साबित हो सकती है। इसके लिए भाषण देने से पहले ही अपने बारे में एक कहानी गढ़ने और उसे मशहूर करने की जरूरत होती है। ये ध्यान रखिए कि ये कहानी, रैग्स टॅ रिचिज़ यानी कतई निकम्मे से बहुत काबिल बनने की कहानी जैसी होनी चाहिए। मैं बचपन में बहुत ग़रीब था, मैने बहुत मुसीबते झेली हैं, मै सबसे बहादुर हूं, मैं सब कुछ जानता हूं, मैं मैं मैं और मैं। भाषण में कभी भी, भूल कर भी किसी की भी उपलब्धि नहीं गिनानी, सिर्फ अपने बारे में बात करनी होती है। ग़रीब था तो मैं, मेहनत की तो मैने, सोचा तो मैने, किया तो मैं ने, रहा तो मैं, नहीं रहा तो मैं, बना तो मैं, नहीं बना तो मैं, सोया तो मैं, जागा तो मैं, मैं और केवल मैं के बिना अच्छा भाषण हो ही नहीं सकता।
अब आप सोचेंगे कि महामानव तो महामानव हैं, उनके जीवन में ऐसा कुछ हुआ तो हुआ, आप इसे कैसे साधेंगे। तो मेरे दोस्तों, इसके लिए आपको प्वाइंट नंबर दो पर ध्यान देना होगा। जी हां, इसमें से किसी भी चीज़ के सच होने की जरूरत नहीं है। आप इस मैं के पूरे हिस्से को झूठ से ऐसा संुदर बना सकते हैं जैसे इससे ज्यादा सुंदर और कोई जीवन ही ना रहा हो। एक बार आपका ये झूठ जम गया तो यकीन मानिए, आपके ऐसे फैन बनेंगे जो इस बात पर भी यकीन कर लेंगे कि आपने पैदा होने से पहले ही दूध से पानी अलग करने की तकनीक निकाल ली थी और अब भी आप कभी - कभी सिर्फ शौक के लिए फटे हुए दूध को अपनी बातों से सिल कर उससे दही बना सकते हैं।
अब बात आती है आत्मविश्वास की। जनाब ये एक अच्छा भाषण देने की कला का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। कभी - कभी अच्छा भाषण देते हुए टेली प्रॉम्पटर बंद हो जाता है। जाहिर है, ऐसा हो जाने को कोई नहीं रोक सकता। ऐसे मौकों पर मेरे दोस्तों आत्मविश्वास बहुत काम आता है।
जब टेलीप्रॉम्पटर बंद हो जाए, या उसमें दिखाई देना बंद हो जाए तो, पहले आस पास ऐसे देखिए कि जैसे आपको अचानक कोई चीज़ नज़र आ गई हो,
इसके अलावा आप ये भी कर सकते हैं कि बीच भाषण में ये पूछ सकते हैं कि सबको आवाज़ आ रही है कि नहीं।
सबको आवाज़ आ रही है। वाला वीडियो।
टेलीप्रॉम्पटर बंद हो जाने की सूरत में ऐसा करना लाजिमी हो जाता है। आप जानते हैं कि सबको आवाज़ आ रही है, आखिर आप माइक में बोल रहे हैं। माइक का एकमात्र काम होता है आवाज़ को एमप्लीफाई करना। तो ऐसे में ये तो हो नहीं सकता कि आपकी आवाज़ किसी को सुनाई ना दे। लेकिन ऐसे ही कुछ जुमले वक्त - बेवक्त काम आते हैं इसलिए पहले से बना कर रख लेने चाहिएं। इनमें आपको आवाज़ आ रही है क्या। क्या पीछे तक मेरी आवाज़ जा रही है? देखिए मौसम कितना अच्छा है। कल सोमवार था इसलिए आज मंगलवार है और सदियों से ये सिलसिला चलता आ रहा है। आप जानते हैं ना कि मेरा नाम क्या है। जैसे जुमले बोले जा सकते हैं, इससे क्या होगा कि जो बंदा आपका टेलीप्रॉम्पटर संभाल रहा होगा, उसे समय मिल जाएगा और आप इसके बाद अपना भाषण फिर से चालू रख सकते हैं।
अब हम आते हैं सबसे अच्छा भाषण देने की कला के सबसे महत्वपूर्ण अंग पर। आपको ये भाषण ऐसी जगहों पर देने हैं, जहां आपके अपने लोग हों, ऐसे लोग हों जो आपसे डरते हों, या आप उन्हें पैसे देकर लाएं हों।
ऐसी जगहों पर भाषण देने से दो बातें होंगी, एक तो जो आपके अपने लोग होंगे, वो बे-बात ही आपके नाम के नारें लगाएंगे, दूसरे उन्हें आपके भाषण से कोई लेना देना नहीं है, उन्हें इस बात की चिंता होती है कि कब भाषण खत्म हो तो कब वो अपने दलालों से पैसे मांगे और वापस अपने घर जाएं। इससे लगता यूं कि आपका भाषण बहुत अच्छा हुआ है। दूसरे अगर लोग आपके अपने हुए, तो आप कुछ भी अनाप-शनाप बक दें, उन्हें ताली बजाने से मतलब होता है।
कहने का मतलब ये है कि अगर आपने उन्हीं लोगों को अपना भाषण सुनाया जिन्हें सही गलत, सच झूठ से कोई मतलब ना हो, बस ताली बजाने से मतलब हो तो आपका भाषण अपने आप सबसे अच्छा भाषण हो जाएगा और आप सबसे बढ़िया ओरेटर हो जाएंगे।
मेरे यारों, महामानव को सबसे बढ़िया ओरेटर मानने वाले लोगों को भी आज तक ये पता नहीं चल पाया है कि आखिर वो बोलते क्या हैं, कहते क्या हैं, उसके बावजूद ऐसे लोग भी आपको मिल जाएंगे जो इसी बात को अपनी उपलब्धियों के तौर पर मानते हैं कि उन्होने महामानव की किसी खास बकवास के सारे एपीसोड सुने हैं।
कुल मिलाकर मंत्र यही है कि इस वीडियो में बताए गए सभी उपायों को करने से आप भी एक अच्छे और महान भाषणबाज़ बन सकते हैं। सबसे अच्छा होगा कि आप उनके सभी भाषणों को गौर से देखिए और पता लगाइए कि इनमें से कितनों में उन्होने भाइयों, भैनो मितरों कहा है, कितनों में झूठ बोला है, कितनो में कतई बेशर्मी से काम लिया है और कितने भाषणों में उन्होने बकवास की है।
चचा हमारे, यानी चचा ग़ालिब को भाषण देना तो हालांकि नहीं आता था, लेकिन इस मामले पर भी उन्होने एक शेर कह दिया है। आप भी सुन लीजिए
तू बोलता है क्या, मैं सुन रहा हंू क्या
तुझ को नहीं पता, मुझ को नहीं पता
जाने ना क्यूं फिर भी ऐसा कहे दुनिया,
तू बोलता ही जा, बस बोलता ही जा
बस बोलते रहने से बात कुछ ना हो लेकिन बकवास बहुत हो जाती है, जो सेहत के लिए अच्छी होती है। बाकी आप सब समझदार हैं, यदि आपके इर्द-गिर्द कोई महामानव की तरह अच्छा भाषणबाज़ हो तो उसे ये वीडियो ज़रूर दिखाएं ताकि वो भी इससे लाभ उठा सकें। बाकी वैसा ही जैसा था। और हां। कुछ बातें व्यंग्य में नहीं कही जा सकतीं। उन्हीं के लिए एक चैनल और बनाया है। कथन नाम है। अंग्रेजी में के ए टी एच ए एन, कथन। उसे भी देखेंगे तो अच्छा लगेगा।
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