इसे पढ़ने से पहले ये जान लें कि मैं सलमान भाई का फैन हूं, मैने उनकी सारी फिल्में देखी हैं। वो कमाल के हीरो हैं, गजब का नाचते हैं, और उनकी बॉडी जैसी बॉडी तो पूरी दुनिया में किसी की हो ही नहीं सकती। जब वो दबंग में अपनी बेल्ट पकड़ कर उसे उपर-नीचे करते हैं, तो कसम से उपर की सांस उपर और नीचे की सांस नीचे रह जाती है। किसी भी देश में न्याय के कुछ मानक होते हैं, जैसे हमारे ही देश में देख लीजिए, आप सरकारी अधिकारियों को बिना सरकार की अनुमति के प्रोसीक्यूट नहीं का सकते, मंत्रियों, नेताओं को किसी भी हालत में बिना सरकार की अनुमति के नहीं पकड़ सकते, फौज की तो बात तक नहीं की जा सकती, बाकी पुलिस-वुलिस तो खुद पकड़ने वाले लोगों की जमात है, उनपर कोई कैसे और क्यों हाथ डाल सकता है। मेरा कहना ये है कि अतीव कौशलयुक्त व्यक्ति जैसे अपने सलमान भाई आदि आदि को भी ऐसे मामलों में विशेषाधिकार मिलना चाहिए, जैसे 10-12 हत्याओं तक तो उनसे बात भी नहीं की जानी चाहिए। आपको पता नहीं है कि वो कितने महान व्यक्ति हैं, उनके एक घूंसे में विलेन जमीन चाटता है जमीन, और जब वो किसी लड़की को देखकर, शर्ट उतार कर, बेल्ट पकड़ कर उपर-नीचे करते हैं तो.....वो जब किसी से कमिटमेंट कर लेते हैं तो फिर तो खुद अपनी भी नहीं सुनते।
लेकिन मैं सिर्फ फैन होने की बात पर नहीं कहता, मैं तथ्यों की बात करता हूं। अगर सलमान भाई के उपर लगे आरोपों में कोई भी सच्चाई होती तो क्या मामला 13 साल खिंचता, सब जानते हैं कि अगर मामला सच्चा हो तो वो जल्दी निपट जाता है। अब हाशिमपुरा वाले मामले को देख लीजिए, मामले में अगर सच्चाई होती तो मामला इतना लंबा नहीं खिंचता, लेकिन हाशिमपुरा में असल में कोई हत्या नहीं हुई थी, वो सिर्फ हमारे देश की सेना और पुलिस को बदनाम करने की साजिश थी। सलमान भाई ने कहा कि वो बार में बैठकर दारू नहीं पी रहे थे, अब आप ही सोचिए कि वो झूठ क्यों बोलेंगे, वो ये भी तो बोल सकते थे कि वो तो मंदिर से आ रहे थे, या मस्जिद से आ रहे थे, लेकिन उन्होने झूठ नहीं बोला, उन्होने साफ कहा कि मैं बार में था, लेकिन.....लेकिन मैं शराब नहीं पी रहा था, मैं पानी पी रहा था। इसमें सच्चाई है, मैं कहता हूं, आप भी गौर कीजिए। शराब पीने वाले किसी इंसान की बॉडी, ऐसी नहीं हो सकती, यानी सलमान भाई दारू नहीं पी रहे थे, वे तीन-चार घंटे बार में बैठ कर पानी पी रहे थे।
दूसरी बात, गाड़ी सलमान भाई नहीं चला रहे थे। बाथे-बथानी नरसंहार में एक आदमी किसी तरह बच गया, उसने कोर्ट में अभियुक्तों को पहचाना और कहा कि जनाब यही लोग थे जिन्होने नरसंहार किया था। कोर्ट ने कहा कि उस व्यक्ति का बयान भरोसे के काबिल नहीं है, क्यों, क्योंकि एक तो ऐसे भयानक नरसंहार में वो बच गया यही संदेहास्पद है, दूसरे अगर बच भी गया तो ये कैसे मान लें कि जो वो कह रहा है सच कह रहा है। हां अलग से कोई निष्पक्ष गवाह हो तो उसकी गवाही मानी जा सकती है। सलमान भाई के केस में भी ऐसा ही कुछ है, सवाल ये है कि जो लोग कुचले गए, उनकी इस गवाही पर कि कार सलमान भाई चला रहे थे, कैसे एतबार किया जा सकता है। हां, कोई निष्पक्ष गवाह हो, जो खास इसलिए वहां खड़ा हो कि सलमान की गाड़ी वहां से निकलेगी तो वो देखेगा, और उसने ऐसा कुछ देखा हो तो माने। कुचले हुए, अधमरे आदमी की गवाही पर कोई यकीन करे कैसे। तीसरे सलमान भाई के ड्राइवर ने तो कहा, कि गाड़ी वो चला रहा था, सलमान नहीं, अब कोर्ट को एक भले आदमी की इस बात पर यकीन करना ही चाहिए, जो कि कोर्ट ने नहीं किया। ये गलत है, सरासर गलत है, कोर्ट ने तथ्यों की अनदेखी की है।
सलमान भाई बहुत ही महान शख्स हैं, उन्होने बीइंग ह्यूमन नाम की एक संस्था चलाई हुई है, जो समाज की भलाई के काम करती रहती है, उनका नाम तो बॉलीवुड के हीरोज़ की लिस्ट में सबसे उपर होना चाहिए, और कुछ एक गरीब लोगों की जान तो उन पर यों ही न्यौछावर कर देनी चाहिए। सड़कों पर सोने वाले लोगों से हमें कोई हमदर्दी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वो लोग समाज के गरीब लोगों के लिए ऐसा कुछ नहीं करते जो सलमान भाई करते हैं। बताइए, कितनी तस्वीरें आए दिन अखबारों और टी वी चैनलों में आती हैं, जिसमें सलमान भाई किसी गरीब के बच्चे को गोद में लेते हैं। गोद में! गरीब का बच्चा! अबे अब क्या जान लोगे किसी की......सलमान भाई ने कई जगहों पर स्कूल, अस्पताल आदि को चंदा भी दिया है। बल्कि उनके वकीलों ने अदालत को बताया कि सलमान भाई जो भी, जितना भी कमाते हैं, वो इन्ही सब कामों में जाता है, और अगर उन्हे सजा हो गई तो ये सब काम रुक जाएंगे। बताइए, तो भी कोर्ट नहीं पसीजा, कोर्ट को चाहिए था कि ऐसे कामों को चलने देने के लिए वो सलमान भाई को सजा नहीं देता, क्योंकि ऐसे काम करने वाले अगर कभी एकाध, हिरण-विरण को या गरीब-गुरबे लोगों को मार भी दें तो बहुसंख्यक गरीबों का तो भला ही करेंगे ना।
लेकिन हमे न्याय प्रणाली पर पूरा विश्वास है। जब संजय दत्त को सजा हुई थी तो पूर्व न्यायाधीश काटजू उनके समर्थन में बयान दिए थे, अब भी कई लोगों ने सलमान भाई के समर्थन की बातें की हैं। न्यायायल मंे न्याय मिलता है इसीलिए तो सलमान भाई को फौरन बेल मिल गई।
150 के करीब मारुति मजदूरों को एक मैनेजर की संदेहास्पद मौत के लिए जिम्मेदार मानते हुए न्यायलय ने पिछले दो सालों से जेल में रखा हुआ है। उनकी बेल नहीं हो रही, हालांकि उनके खिलाफ ना पुलिस के पास, ना मारुति के वकीलों के पास, ना राज्य के पास और ना कोर्ट के पास कोई सबूत है। लेकिन फिर भी उनहे आज तक बेल नसीब नहीं हुई। लेकिन न्यायलय ने सलमान भाई की बेल की अर्जी को फौरन मंजूर करके इस देश की न्याय व्यवस्था में हमारा विश्वास बढ़ा दिया है। अगर संजय दत्त को तीन साल की सज़ा के दौरान 17 बार पैरोल और फरलो मिल सकता है जबकि उसके खिलाफ इतना मजबूत केस था, तो सलमान भाई को बेल क्यों नहीं मिल सकती।
असल में जेल और बेल के कुछ खास नियम होने चाहिएं। जैसे एक खास इन्कम ग्रुप वालों को जेल नहीं होनी चाहिए, और जेल हो तो या तो उन्हे फौरन बेल का प्रावधान होना चाहिए या फिर कुछ ऐसा होना चाहिए जैसे वो अपने घर की सुख-सुविधाओं का आनंद लेते हुए सज़ा पूरी कर सकें, गलती की सज़ा तो उन्हे मिलनी चाहिए, उसके लिए हम मना नहीं करते, आखिर कानून का पालन होना ही चाहिए, लेकिन अगर उन्हे सज़ा देने वाला मामला हो तो ऐसे में उन पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। जैसे उन्हे छुट्टियां मनाने के लिए विदेश जाने से रोका जा सकता है ”काम की बात हो अनुमति दी जा सकती है” पार्टियों में जाने पर थोड़ी-बहुत रोक लगाई जा सकती है, और भी ऐसी रोक लगाई जा सकती हैं, जिनसे काम भी चलता रहे और वो मजे से सजा भी काट लें।
आखिरी बात हमें ये कहनी है कि इन गरीबों ने ही भारत देश का कबाड़ा किया हुआ है। यही देश को दुनिया का सिरमौर होने से रोकते हैं, इस देश में अभिजीत जैसे लोग भी हैं जो सड़क पर कभी नहीं सोए, जो ना गरीबों वाला खाना खाते हैं, ना गरीबों वाले कपड़े पहनते हैं, और ना ही गरीबों की शक्ल देखना चाहते हैं। ये देश महान लोगों का है, ये देश मोदी, अडानी, अम्बानी, टाटा, अमित शाह, सलमान खान, और उन लोगों का है जो इस देश को अमीर बनाते हैं, ना कि उन लोगों का जिनकी वजह से इस देश का नाम कुपोषण, और भुखमरी और किसानो की आत्महत्या आदि की सूची में है। ये गरीब लोग जब मर्जी, जहां मर्जी सो जाते हैं, और अगर गाड़ियों के नीचे आ जाएं, तो सलमान भाई को बदनाम करते हैं। क्या हक है इन गरीब लोंगों को सड़कों पर रहने का, सड़कों पर सोने का, मुम्बई जैसे शहर में रहने का। इन मजदूर, गरीब, बेबस लोंगों को धक्के मार-मार कर मुम्बई से, इस देश से बाहर निकाल देना चाहिए, ताकि सलमान भाई जैसे हीरोज़ मजे से दारू पीकर सड़कों पर दिन-रात अपनी कारें दौड़ा सकें। अभिजीत ने बहुत अच्छी बात की है, हमें भारत में गरीबी को उनके नज़रिए से, देखना होगा जो हमारे देश के महान प्रधानमंत्री के नज़रिए से बहुत मेल खाता है। और इस देश के गरीबों का क्या करना है इस बाबत गंभीरता से विचार करना चाहिए। क्योंकि सलमान भाई जैसे और भी कई लोग हैं, जैसे अम्बानी का बेटा, जिनकी कारों के नीचे आकर ये लोग मरेंगे और फिर रोएंगे कि कार वालों को सज़ा दी जाए। मै आप सबसे अपील करता हूं कि दयावान, गुणी, अतीव मानवीय गुणो वाले, हीरो, स्टार सलमान भाई की दुख की घड़ी में, ”हालांकि बेल मिलने से वो सुख की घड़ी हो गई है” उनका समर्थन कीजिए, और गरीबों को लानत भेजिए।

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