गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
महामानव का नोबल अवार्ड - एक भक्त की आकांक्षा
रविवार, 19 अक्टूबर 2025
महामानव वर्सेज नकली वैज्ञानिक
नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। लेह लद्दाख में जो हुआ, जैसा हुआ, उसे वैसा नहीं होना चाहिए था। सुना कोई सोनम वांगचुक हैं, जिन्ने अपनी मांगों के लिए कुछ धरना-फरना दे रखा था। अब आप पूछेंगे मांगे क्या थीं, और मैं कहूंगा, ये जानकर आप क्या करोगे कि मांगे क्या थीं? अरे भई जो और जितना भला, अच्छा, और बेहतर संभव था, वो सब महामानव पहले ही कर चुके थे लेह का, लद्दाख का, उसके बावजूद अगर कोई धरने पर बैठे तो वो वैसे ही राष्ट विरोधी काम हो जाता है। तो बेसिकली ये जो है व्यक्ति, जिसे एन एस ए में यानी राष्टीय सुरक्षा कानून के तहत पकड़ा है, उसने ये धरना देकर जो राष्ट विरोधी काम किया है, उसके लिए उसे सज़ा मिल रही है।
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025
तजमहल का सच - ताजमहल या तेजोमहालय
नमस्कार दोस्तों, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। हमें इतिहास ग़लत पढ़ाया गया है, अब इस बात पर मेरा यक़ीन बढ़ता जा रहा है, पहले अंग्रेजों ने, फिर वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास लेखन का जो तरीका अपनाया था, वो बहुत ही ग़लत था, मेरा मतलब है, है, क्योंकि उन्होने सिर्फ फैक्टस् पर ध्यान दिया, सिर्फ फैक्टस् को कंसीडर किया, और हमारी भावनाओं का, हमारे धर्म, संस्कृति आदि पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। और मैं आपको सच कहूं तो फैक्टस् पर यकीन करना, यानी इन वामियों के कपट जाल में फंसना होता है। वैसे भी फैक्टस् का भरोसा तो ना ही किया जाए तो बेहतर है।
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
Hold it like - महामानव
महामानव और डिप्टी महामानव देश में चल रही बकवास पर ध्यान नहीं देते, वो खास बातों पर ध्यान देते हैं। ये खास बातें सुनने और समझने वाली होती हैं।
डिप्टी महामानव ने शर्म लिहाज में अंग्रेजी का लफ्ज फ्रेश इस्तेमाल किया है, लेकिन मुझे पता है कि ज्यादातर हिंदुस्तानी इस लफ्ज की पूरी अहमियत नहीं समझ पाएंगे, इसलिए मैने इसका नेमुलबदल पाखाना इस्तेमाल किया है। वैसे हिंदी में लघुशंका और दीर्घशंका होती है, और मुझे पूरा यकीन है कि डिप्टी महामाानव जब महमानव की प्रतिबद्धता की बात कर रहे थे, तो वे इन दोनो ही प्रकियाओं की बात कर रहे थे। हालांकि गांव के लोग इसे निपटना या खेत जाना भी कहते हैं, लेकिन ये भी सही है कि महामानव ना तो गांव में रहते हैं, और ना ही खेत से उनको कोई लेना देना है, इसलिए डिप्टी महमानव ने ऐसी गंवारू टर्मिनॉलौजी का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन पाखाना में भी दोनो प्रकियाओं का सही इस्तेमाल किया जाता है, ये लफ्ज मुहज्जब भी है, और पब्लिक में इस्तेमाल किया जा सकता है, बाकी शब्द ऐसे नहीं हैं जिन्हें पब्लिकली इस्तेमाल किया जा सकता हो, इससे पद की गरिमा गिरने का खतरा भी होता है, और ऐसे शब्दों का उच्चारण करने में हमें शर्म भी आती है। जिन्हें शर्म नहीं आती वे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन डिप्टी महामानव मुहज्जब इंसान हैं और महामानव के बारे में ऐसी कोई जानकारी देने के लिए वे मुहज्जब ज़बान का ही इस्तेमाल करते हैं। डिप्टी महामानव ने लेकिन ये नहीं बताया उस खास इंटरव्यू में कि अपानवायु निस्तारण करते हैं महामानव या नहीं? भई इस देश की जनता मुहं बाये इंतजार कर रही है, कि कब पता चले कि महामानव अपानवायु निस्तारण करते हैं कि नहीं, करते हैं तो कैसी तो आवाज़ आती है, कैसी तो गंध होती है उसकी? अब ये तो वही बता सकते हैं, जो उस दौरान महामानव के पास बैठे हों, जनता को कैसे पता चलेगा साहब। तो ये तो बड़ी जिम्मेदारी वाला काम हो गया डिप्टी महामानव के लिए। और अब देश के नामचीन पत्रकार, जो अपने स्टूडियोज़ में बैठे हुए हैं, वो निश्चित ही उस क्षण का इंतजार कर रहे होंगे कि कब उन्हें ये जानकारी मिलेगी और कब वो महामानव द्वारा अपानवायु निस्तारण के शेड्यूल को ब्रेकिंग न्यूज की तरह अपने चैनलों पर चला सकेंगे। हो सकता है कोई वैज्ञानिक इस अपानवायु के पर्यावरण को होने वाले फायदों की बात करे और उनसे धरती को होने वाले लाभों के बारे में जनता को बता सके।
पर मुझे दुख भी हुआ साहब, हिन्दुस्तान की आन-बान-शान के बारे में इतनी खास जानकारी हमारे डिप्टी महामानव ने मुहैया करवाई और लोग उसका मज़ाक बना रहे हैं। बहुत ग़लत बात है, बहुत ही ज्यादा ग़लत बात है। महामानव के जीवन के बारे में हर तथ्य की जनता का जानकारी होना चाहिए, ये तो बहुत जरूरी है, बचपन में उन्होने मगरमच्छ पकड़ा था, चाय बेची थी, घर से भागे थे, भीख मांगी थी, रास्ते में नाले की गैस से चाय बनाने वाले से बात की थी और उससे ये जानकारी हासिल की थी कि वो नाले की गैस से चाय कैसे बनाता है, बी टेक किया, फिर एंटायर पोलिटिकल साइंस मे ंबी ए की डिग्री हासिल की, फिर एम ए की डिग्री हासिल की, फिर आम चूस कर खाया, फिर बटुआ यानी वो मिनी झोला जिसमें पैसे रखे जाते हैं वो रखा या रखना छोड़ा, इस बीच डिजिटल कैमरा से आडवाणी की फोटो खींच कर उसे ई-मेल से दिल्ली भेजा, अमरीका की कई बार सैर की, इस दौरान वो लगातार भीख मांगते रहे, महामानव के बारे में ये सारी जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं, जैसा कि होना ही चाहिए। पर ये जो खास वाली जानकारी थी, पाखाने वाली, ये जनता को नहीं पता थी, और आखिरकार वो भी आ गई, अब बची उनके अपानवायु निस्तारण की जानकारी, तो हमें पूरी उम्मीद है कि अगली बार कोई बॉलीवुड का नामचीन सुपरस्टार उनसे बातचीत में ये भी पूछ ही लेगा।
इसमें क्या है, पूछना ही चाहिए, बताना ही चाहिए।
बल्कि लोकतंत्र के हित में ये बात होगी कि यदि सरकार में मौजूद सभी मंत्री अपने-अपने पाखाना का एक पूरा शेड्यूल जनता के सामने रखें, ताकि जनता को पता चल सके कौन दो दिन नहीं जाता, कौन तीन दिन नहीं जाता और कौन दिन में तीन बार जाता है।
कमाल ये है कि महामानव के बारे में ये खास जानकारी आम लोगों तक तब पहुंचाई गई है जब लेह-लद्दाख में कर्फ्यू लगा हुआ है, यू.पी., उत्तराखंड, कर्नाटक, बिहार, राजस्थान और देश भर में पेपर लीक, सिकस्थ शेड्यूल, रोजगार और अन्य सवालों पर जनता सरकार से भिड़ी हुई है, बिहार की एस आई आर बस आने ही वाली है। लेकिन कमाल इस बात का मानिए साहब कि महामानव और डिप्टी महामानव ने इन बेकार की बहसों से अलग एक खास बात आपको बताई है। और इसीलिए मेरी अपील ये है, देश के सब बेकार, बेरोज़गार नौजवानो की ओर से, किसानों, छात्रों, महिलाओं, नौकरी के लिए आवेदन भरते लोगों की ओर से, आदिवासियों और दलितों की ओर से, हमारी आपसे ये अपील है कि प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़ महामानव के पाखाने का पूरा शेड्यूल आप सार्वजनिक करें, ताकि देश का लोकचंद्र अपने विकास की चरम अवस्था को प्राप्त कर सके।
वैसे मुझे पूरा यकीन इस बात का भी है कि संघ में जो बात कही जाती है कटिबद्धता वाली, वो इसी संदर्भ में कही जाती होगी, संघ के किसी महत्वपूर्ण सम्मेलन आदि में बैठे हों और हाजत लग जाए तो कटिबद्ध हो लिया जाए, और यूं कुछ देर के लिए उस हाजत को रवां किया जा सकता है। यू ंतो कटि का मतलब कमर होता है, लेकिन आर एस एस के श्रद्धालुओं के संदर्भ में जब भी कटि शब्द आए तो उसे तोंद गिनना चाहिए, उनके लिए भी जिनकी छाती का नाप पचास से उपर हो। यूं भी तोंद को नए कपड़ों के चयन से छुपाया जा सकता है, लेकिन मेरी दादी कहती थी, इश्क मुश्क खांसी खुश्क, झूठ तंबाकू और मद्यपान, ये सात चीज़ छुपाए ना छुपे कह गए चतुर सुजान। अब मैं इसमें अपानवायु भी जोड़ना चाहता हूं। हो सकता है आपमें से कुछ लोग इससे इत्तेफाक ना करें, लेकिन डिप्टी महामानव के इस बयान के बाद कि महामानव तीन दिनों तक पैखाना नहीं जाते, मुझे ये लगता है कि वो अपानवायु निस्तारण तो अवश्य करते होंगे, अगर नहीं, तो डिप्टी महामानव अपने इसी इंटरव्यू में पक्का ये भी बताते कि महामानव डस्टं इवन फार्ट फोर थ्री डेज़......
खैर, अभी तो जश्न मनाने का समय है, इस बात के लिए पूरे भारत भर में जश्न मनाया जाना चाहिए कि महामानव तीन-तीन दिनों तक फ्रेश नहीं होते। यहां मैं आपका ध्यान इस तरफ ले जाना चाहता हूं कि ये जो सुपर पॉवर है महामानव की, जिसके बारे में डिप्टी महामानव ने आपके साथ जानकारी साझा की है, ये तो पश्चिमी देशों के किसी सुपरहीरो में भी नहीं है। या अगर हो तो हमें नहीं पता क्योंकि किसी ने इस बारे में हमें ये बताया ही नहीं है। बताइए क्या आपको किसी ने बताया है कि आयरनमैन, स्पाइडरमैन, कैप्टन अमेरिका, या सुपरमैन, बैटमैन, फ्लैश किसी के बारे में किसी भी जगह, कॉमिक्स में, या फिल्म में, या उनके बारे में किसी इंटरव्यू में आपको ये बात पता चली हो कि वो तीन दिन तक पखाना नहीं जाते। अब कम से कम हम इस बात पर एक बार और गर्व कर सकते हैं कि सिर्फ हमारे महामानव हैं जो तीन दिनों तक पखाना नहीं जाते, मतलब रोके रहते हैं। ये ध्यान रखना दोस्तों, जो इस सहज मानवीय प्रक्रिया पर काबू पा सकता है, वही महमानव जैसे उच्च पद पर विराजमान हो सकता है, और असल में वही सुपरमैन बन सकता है।
चचा अपने, ग़ालिब, उन्होने हर मौजू़ पर लिखा है साहब, कई शेर तो ऐसे - ऐसे लिखे हैं कि महामानव पर बिल्कुल फिट बैठते हैं। अगर आपको मेरी बात पर यकीन ना हो तो ये शेर सुनिए, आप भी कहेंगे कि क्या यार, कैसा हाथ और दस्ताने जैसा फिट शेर लिखा है चचा ने महामानव के लिए.....
कहा यूं कि
पीने भी नहीं जाते और खाने नहीं जाते
चढ़ जाती है जब सिर पे, पहचाने नहीं जाते
यूं ही तो नहीं कोई बन जाता महामानव
वो कई कई दिनो तक पैखाने नहीं जाते
तो तीन दिनों के इस रिकॉर्ड को सदियों तक नहीं तोड़ा जा सकता, ऐसा मुझे यकीन है, और साथ अपनी हमेशा वाली अपील मैं फिर दोहराता हूं कि महामानव को तीन दिनों तक फ्रेश ना होने वाली उपलब्धि के लिए ही नोबेल तो मिलना ही चाहिए।
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
एच वन बी वीज़ा का असली सच
नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके सामने। सुना अमेरिका ने, यानी महामानव के परम मित्र, डोलांड ने एच वन बी वीज़ा पर कुछ एक करोड़ के आस-पास की सलाना फीस लगा दी है। इसी के साथ मितरों, शुरु हो गया इस देश में तथाकथित प्रगतिशीलों, वामियों और कांगियों का शोर, कि हाय रे, ये क्या हो गया, और हाय रे ये तो बुरा हो गया। पर भैया कहावत है कि छुरी गिरे खरबूजे पर या खरबूजा गिरे छुरी पर, कटना खरबूजे को ही है, अब इस कहावत में भैया मेरे, जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है, और जिसे आप ना देख रहे हैं ना दिखा रहे हैं, वो ये कि खरबूजा बिना कटे किसी काम का नहीं होता। यानी छुरी आपका ही काम कर रही है। ये जो एच वन बी वीज़ा की फीस बढ़ाई गई है, ये असल में महामानव का मास्टरस्टोक है यारों।
मास्टरस्टोक कैसे? अब आप लोग पूछेंगे। मैं आपको वो फालतू ब्रेन डेन और ब्रेन गेन वाले लफड़े में फसाने वाला नहीं हूं। लेकिन जबरदस्त लॉजिक है, अगर आप बात पूरी सुनेंगे तो, ज़रा इधर आइए। देखिए पहले तो ये समझ लीजिए कि डियर फें्रड डोलांड और महामानव में दांत काटी रोटी वाली दोस्ती है, यानी दोनो सिर्फ एक-दूसरे से तू-तड़ाक में ही बात नहीं करते, बल्कि एक ही प्लेट में एक ही रोटी के निवाले तोड़े जाते हैं। आप देखिए ज़रा, ये जो गले लगते हैं, महामानव और डोलांड, ऐसे तो कोई राष्टपति और प्रधानमंत्री गले नहीं मिलते, बल्कि मैं सच कहूं तो दो प्रेमी भी ऐसे गले नहीं मिलते होंगे, ये दरअसल, दो सच्चे दोस्त एक दूसरे के गले मिल रहे हैं। इतनी गहरी दोस्ती है दोनो में, कि एक दूसरे के मन की बात समझ जाते हैं, बिना कहे।
ये जो पिछले कुछ दिनों से आप सुन रहे हैं कि दोनो की दोस्ती में कोई दरार आ गई है, ये सब फालतू की बातें हैं। फालतू की बातों पर कान नहीं देना चाहिए, ध्यान नहीं देना चाहिए। ये बस दिखावा है, छलावा है, दुश्मनों को छकाने का। दोनो को अपने देश में ये दिखाना है कि वो टफ हैं, और अपने देश से प्यार करते हैं, और देश के आगे दोस्ती को कुछ नहीं समझते, इसलिए दोनो ने ये प्लान बनाया है। अब ये प्लान काम कैसे करेगा। इसकी भी सॉलिड थ्योरी है भाई लोग। समझिए, अमरीका में डोलांड बाबू कह रहे हैं कि वो सबसे अच्छे हैं, भारत में महामानव ने खुद को सबसे अच्छा घोषित कर रखा है। अमरीका में डोलांड बाबू मेक अमरिका ग्रेड अगेन का ढोल पीट रहे हैं, भारत में महामानव ने भारत का विश्वगुरु बनाने का डंका बजा रखा है, अमरीका में डोलांड ने ये मैसेज छोड़ा हुआ है कि उसने भारत की ऐसी तैसी कर दी है, इधर भारत में ये गाना बज रहा है कि डोलांड ने फोन किया और महामानव ने फोन ही नहीं उठाया उसका।
कमाल ये है कि दोनो ही दोस्तों को एक दूसरे से इतना प्यार, इतनी रगबत, इतनी मोहब्बत है, कि दोनो एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार हैं।
तो मामला ये है कि महामानव और उनके डीयर फ्रेंड डोलांड ने आपस में ये सैटिंग कर रखी है, कि तू मेरी खटिया उछाल मैं तेरी फजीहत करता हूं, और अभी तो अपनी एक दोस्त भाषा सिंह के वीडियो से पता चला कि मित्र डोलांड ने दवाओं पर हंडेड पर्सेंट टैरिफ लगा दिया, माने भारतीय दवाओं पर। इधर महामानव चीन और रूस प्यार की पींगे बढ़ाने का शानदार दिखावा कर रहे हैं।
चलिए तो दोबारा एच वन बी वीज़ा पर आते हैं। अब मैं आपको बताता हूं, एच वन बी वीज़ा पर लगभग एक करोड़ की सलाना फीस का सच। तो इसे समझने के लिए आपको पहले महामानव की राजनीतिक समझ और चालाकी पर विश्वास जमाना होगा, ऐसी गज़ब समझ है कि क्या कहने। जब राहुल गांधी ने वोट चोरी का मुद्दा उठाया, और सबूत पेश किए तो महामानव को इससे बहुत पहले से पता था कि राहुल गांधी ये करने वाले हैं। अब एक बार जब महामानव और डिप्टी महामानव को ये समझ में आ गया कि अब ये वोट चोरी का मुद्दा पूरे भारत भर में मुद्दा बन जाने वाला है तो सबसे बड़ी चिंता क्या होती? जी हां, आपने सही सोचा उनकी सबसे बड़ी चिंता ये थी कि अगर वोट चोरी नहीं होगी तो फिर जीत कैसे होगी, क्योंकि ये तो आप समझ ही गए होंगे कि, एकॉर्डिंग टू भक्त लॉजिक, महामानव नहीं होंगे तो देश का क्या होगा। महामानव ने भक्तों की इस चिंता को समझा और ठीक इसी तरह समझा जैसे भक्तों ने इसे समझा।
कभी - कभी सच कहना, उतना ही जरूरी हो जाता है, जितना सांस लेना, जैसे सांस के बिना आप जिंदा नहीं रह सकते, वैसे ही सच बोले बिना भी आप ज़िंदा नहीं रह सकते, फिर चाहे सच के लिए जिदां में ही रहना पड़े।
अब महामानव ने देशहित में ये कदम उठाया कि उन्होंने अपने डीयर फ्रेंड डोलांड को अपनी समस्या बताई। तो डोलांड जो खुद भी राजनीति का बहुत बड़ा माहिर है, राजनीति में डोलांड की महारत महामानव से कुछ एक-आध सीढ़ी ही नीचे है। जी हां, तो डीयर फ्रेंड डोलांड ने महामानव को वो रास्ता सुझाया जिसे अब तका कोई राजनीतिक विश्लेषक पकड़ ही नहीं पाया है और यही इस कमाल की स्टेटेजी की खूबसूरती है।
अब आपको मैं बताता हूं कि प्लान क्या है? अब आप बस ये ध्यान रखिएगा कि ये प्लान जो मैं आपको बता रहा हूं बहुत ही सीक्रेट प्लान है, जिसे आप सिर्फ मेरे चैनल पर एक्सक्लूसिव देख रहे हैं। तो दोस्तों आपने देखा होगा कि जब महामानव अमरीका की टिप पर जाते हैं, जब भी जाते हैं, तो वहां के सारे इंडियन ”मोदी-मोदी” के नारे लगाते हैं।
तो अब राहुल गांधी के वोट चोरी के सबूतों के साथ खुलासे के बाद ये लग रहा है कि महामानव और उनकी पार्टी को यहां तो कोई वोट दे नहीं रहा, लेकिन अब भी अमरीका की धरती पर तो वो लोग मौजूद हैं, जिन्होने महामानव को छुआ तो उनकी जिंदगी बदल गई।
जबकि भारत की हालत ये है कि राहुल गांधी ने जो सबूतो के अंबार लगाए हैं, और के चु आ ने जो लगातार बचने के लिए गुलाटियां खाई हैं, इनसे ये लग रहा है कि पिछले चुनावों में चाहे वोट चोरी हुई हो या ना हुई हो, आगे के लिए कम से कम वोट चोरी के दरवाजे़ बंद हो गए हैं। क्योंकि अब सबकी नज़र, एक-एक वोट पर, एक-एक वोटर पर होगी, हर बूथ पर निगरानी होगी, के चु आ के हर आंकड़े को फौरन जांचा जाएगा, और उसमे हुई हर गड़बड़ी को फौरन पकड़ा जाएगा। उपर से पिछले कुछ दिनों में कोर्ट में चुनाव के गड़बड़ी वाले फैसले भी पकड़ लिए गए हैं, उन्हें पलट भी दिया गया है। इसलिए एक किस्म का भारी मामला चल रहा है।
बस ये एक करोड़ वाले वीज़ा को इसीलिए लगाया गया है ताकि उन लोगों को, महान भारतीय राष्टवादियों, महामानव प्रेमियों को वापस भारत लाया जा सके, ताकि वो यहां आकर एक बार फिर से महौल बनाएं, और महामानव को वोट देकर एक बार फिर भारत-भू पर महामानव के नाम का परचम लहराएं। वो लोग जो अमरीका में रह कर महामानव के गुण गाते हैं, जाहिर है यहां वे सीधे महामानव की महान कृपा का भागी बनेंगे, वे लोग जो अमरीका में रहते हैं, एच वन बी वीज़ा लेकर, उन्हें भी तो महामानव की सेवा का अवसर देना चाहिए। अब खुद महामानव को भी लग रहा है कि आगे कोई भी वोट चोरी मुश्किल है, इसलिए कुछ नया करना पड़ेगा, कुछ ऐसा जिसके बारे में कोई सोच भी पाए, और इसका यही तरीका बाकी बचा है कि,
अब महामानव ने राहुल गांधी को जवाब देने का तरीका ये ईजाद किया है कि अब वो उस जनता को वापस बुला रहे हैं, जो उन्हें ही वोट दे। पिछले कुछ सालों में यहां के भक्तों ने अपना मुहं मोड़ लिया लगता है, वो बात अब नहीं लग रही, जो पहले लगती थी। इसलिए वो बात फिर से पैदा करने के लिए अमरीका से जनता को वापस बुलाना ही पड़ेगा साहब।
तो कुल मिलाकर मामला ये है यारों कि आज इस वक्त भारत का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? जी एस टी, नहीं, लेह-लद्दाख में युवाओं का आक्रोश, नहीं, बरेली, उत्तराखंड, असम और देश के अन्य राज्यों में युवाओं का प्रतिरोध और पुलिस का लाठी चार्ज, नहीं, उमर खालिद और अन्य युवाओं का लगातार पांच साल से बिना किसी टायल के जेल में रहना, नहीं, राहुल गांधी का वोट चोरी वाला एच बॉम्ब, नहीं, इस वक्त हमारे महामानव के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है कहां से वो वोटर लेकर आए जाएं, जो महामानव को वोट करें। इसीलिए उनके परम मित्र डोलांड ने एच वन बी वीज़ा का चक्कर चलाया है, ताकि सभी महान भारतीय महामानव प्रेमी वापस आएं और अपने सपने को, यानी महामानव को विजयी बनाने में अपने वोट का इस्तेमाल करने का मौका पाए।
तो हमारा फर्ज़ बनता है कि उन सभी महामानव भक्तों को बधाई दें, और डीयर फ्रंेड डोलांड को धन्यवाद दें कि उसने एच वन बी वीज़ा को इतना महंगा कर दिया है कि इन सभी राष्टप्रेमियों को भारत वापस आने का मौका मिला।
चचा जो थे हमारे, ग़ालिब, उन्होने एच वन बी वीज़ा पर बहुत मजे़दार शेर कहा है, सुनिए
कहां अमरीका और कहां भारत का घर ग़ालिब
न एच वन बी वीज़ा होता, ना ही देश से प्यार होता
वल्लाह, ग़ालिब अपनी मौत के बाद बहुत खूबसूरत शेर कह गए हैं, ये उसी का एक नमूना है। तो साहब एच वन बी वीज़ा की सलाना फीस के लिए महामानव की राजनीति पर एक बार फिर से जय श्री राम बोलिए और डीयर फ्रंेड डोलांड का भी धन्यवाद कीजिए।
बुधवार, 8 अक्टूबर 2025
जश्न और जश्न की तैयारी
एक वीडियो आजकल बहुत वायरल हो रहा है, जिसमें महामानव के 75वें जन्मदिन की तैयारियों की बात हो रही है।
अब इसमें ऐसी क्या बात है जी, जिसका माखौल बनाया जाए। आपको याद होगा कि जब आपके स्कूल में बच्चों का जन्मदिन मनाया जाता थाए या कोई और उत्सव मनाया जाता था, तो सब बच्चों कोए बताया जाता था कि अनुशासन रखना है, कोई भागदौड़ नहीं करनी, केक सबको मिलेगा। और सब बच्चे केक या किसी मिठाई मिलने की आशा में पूरे अनुशासन में रहते थे, ठीक समय पर तालियां बजाते थे, सही समय पर सबके साथ सुर मिलाकर "श्हैप्पी बर्थडे" गाने की कोशिश करते थे। वही तो यहां भी हो रहा है। किसी का 75वां जन्मदिन कोई बार.बार तो आता नहीं, अब एक बार आया है तो मना लेने दीजिए महामानव को।
इस देश की सबसे बड़ी समस्या ही यही है, कोई खुश रहे, तो सबको परेशानी हो जाती है कि कोई खुश कैसे है। महामानव को देखिए कैसी सोहनी सी मुस्कुराहट है चेहरे पर, 75वें जन्मदिन पर भी ना आंखों के नीचे काले गड्डे हैंए ना 20.22 घंटे काम करने के बाद वाली थकावट है, ना विश्वगुरु वाली चिंता है। सिर्फ अपने जन्मदिन की खुशी है। जाने दो यारों, किसी को तो खुशी मनाने दिया करो। उपर से देखो महामानव के जन्मदिन पर राहुल गांधी ने, इस कांगी ने मय सबूत वोट चोरी का एक और वीडियो जारी कर दिया। इसीलिए हमें राहुल गांधी पसंद नहीं है, बताइए, चुनाव आयोग एफिडेविट मांग रहा था तो दिया नहीं, और अब दे सबूत पर सबूत दे सबूत पर सबूत, पिले हुए हैं बाबूजी। और वो भी देखिए तो किस दिन, महामानव के जन्मदिन पर। जब पूरे देश को, यहां तक कि विदेशों में बसे अपने यारों.दोस्तों को भी, महामानव को किस तरह का संदेश देना है टाइप मैसेज दिए जा रहे थे, तमाम तैयारियां चल रही थीं, तब ये राहुल गांधी महामानव को ये वोट चोरी के सबूतों का गिफ्ट देने की तैयारी कर रहे थे। ये कोई बात हुई भला। मैं तो कहूं कि जैसी ये बर्थडे प्रीप्रेरेशन वाली मीटिंग भाजपा के मेंबरों की हुई है, वैसी ही एक मीटिंग बर्थडे की तैयारी वाली कांग्रेस, वामी, प्रगतिशीलों की भी होनी चाहिए थी। आगे से ध्यान रखना बेए जैसे 75 जिंदगी में एक ही बार आता है वैसे ही 76 भी जिंदगी में एक ही बार आता है क्या समझे.
वैसे महामानव ने देश को रिटर्न गिफ्ट भी दिया है सुना। इस साल इस देश में कौन तो एक उत्सव मनाने को कहा है। कुछ जी एस टी को कम किया है, ऐसा सुना मैं ने। पता नहीं सही है या ग़लत है। ग़लती महामानव की नहीं है, सच कहूं, कुछ दोस्तो के साथ बैठा था, जब किसी ने कहा कि महामानव एक बार फिर टी वी पर आकर देश के नाम कोई संदेश देने वाले हैं। आप यकीन मानिए एक बार को तो दिल को ही झटका लग गया। मुझे लगा कि इस बार कोई दो हजारए पांच सौ, के साथ सौ रुपये को भी इल्लीगल टेंडर ना बना दें, फिर अचानक याद आया कि भैये, पिछले आठ सालों से जेब में पैसे ही नहीं हैं, जेब में क्या बैंक में भी पैसे नहीं हैं, तो लूट लो दोनो हाथों से देश को, अपने को क्या फर्क पड़ता है, टी.शर्ट और जीन्स बची है, वो भी उतार ले जाओगे तो क्या है, हम तो फकीर आदमी हैं, कच्छे.बनियान में भी रह लेंगे। आप अपने झोले में हमारे कपड़े भर लेना। पर फिर दोस्त ने बताया कि कुछ जी एस टी में हुई कमी पर कोई उत्सव वाली बात करने वाले हैं। तो दिल को कुछ चैन पड़ा। ये महामानव भी डरा देते हैं यार।
अब कह तो दिया महामानव ने कि कर दिया कम जी एस टीए पता नहीं क्या बला थी ये किसने बिना सोचे-समझे लागू कर दिया था। जब से इस देश में जी एस टी लगाया गया था, देश के छोटे-मोटे उद्योग धंधे बरबाद हो गए थे, किसी को जी एस टी समझ नहीं आ रहा था, कोई ध्ंाधा ही नही ंकर पा रहा था, उपर से सरकार टैक्स पर टैक्स ले रही थी। ये सब दरअसल महामानव को बदनाम करने की एक चाल थी। और इस बार महामानव ने इस चाल को भी मात दे दी, मतलब मात दे रहे हैं। कई प्रगतिशील, वामी, कांगी, ये पूछ रहे हैं कि 2017 से अब तक यानी आठ सालों से जी एस टी के नाम पर जो लूट मची हुई थी, उसका क्या। अब आपको कुछ चीजें समझनी होंगी।
पहले आठ साल तक महामानव सोचते समझते रहे कि ये है क्या बला, जिसका नाम जी एस टी है। क्योंकि महामानव फाइल पढ़ते नहीं हैं, वो बस यूं देख कर रख देते हैं।
तो ऐसे में कुछ ग़लतियां हो जाना स्वाभाविक है साहब। आप ही सोचिए कोई चीज़ जो आपने पढ़ी नहीं है, वो आप समझ कैसे जाएंगे। तो बस जी एस टी की फाइल महामानव के पास पहुंची उन्होने ऐसे देखी और रख दी। उसके बाद आप जानते ही है कि जी एस टी ने कैसा कहर ढाया इस देश पर। वो तो भला हो महामानव का कि उन्हें समझ में आया कि भई ये तो कुछ ग़लती हो गई, इसे तो सुधारना होगा। तो महामानव ने उस ग़लती को सुधारा जिसे आप आज बचत.उत्सव के तौर पर देख रहे हैं।
अब कई लोगांे का ध्यान इस तरफ भी अभी तक नहीं गया है कि महामानव बहुत ही सटीक तरीके से अपना जन्मदिन ठीक त्यौहारों के आस.पास लाए हैं, ताकि उनके जी एस टी का ये गिफ्ट मिडल क्लास के त्यौहारों की खरीदारी में काम आ सके। आप सब यूं ही उन्हें बदनाम करने में लगे रहते हैं। जिसे देखो जी एस टी पर समझाने लगा हुआ है कि महामानव ने आठ साल तक जनता को लूटा, अरे जाओ, महामानव की जनता, महामानव का जी एस टी, जितना मर्जी लूटें, तुम बोलने वाले कौन होते हो।
एक बात बता दूं तुम्हें, ये महामानव को जी एस अी 2 प्वाइंट ओ का आइडिया आया कहां से। कुछ लोग कह रहे हैंए कि राहुल ने पहले ही बता दिया थाए कुछ लोग और कुछ कयास लगा रहे हैं। लेकिन मैं आपको बता दूंए कि ये आइडिया आज से बहुत पहले महामानव के दिमाग में ही था, बस उसे ज़रा कुरेदने की देर थी।
बस जनाबए ये जो टू ए बी का एक्स्टा टू था, वो महामानव ने इस जी एस टी में निकाला है, कुछ एकस्टा पहले ही निकाल लिया, बाकी बचा हुआ अब निकालेंगे। ये ए प्लस बी इनटू ब्रैकेट स्कवायर वाली इक्वेशन का जब से महामानव ने आविष्कार किया है एकस्टा टू ए बी का, मुझे तो ये लगता है तभी से महामानव के दिमाग में किसी ना किसी चीज़ में टू लगाने का आइडिया चल रहा होगाए जिसे अब अपने 75 साल पूरे होने की खुशी में महामानव ने भारत की जी एस टी से प्रताड़ित जनता को चिपका दिया है। इस तरह भारत की जनता को दो दो सुख एक साथ देखने को मिले हैं, पहला महामानव का 75वां जन्मदिन और दूसरा जी एस टी टू प्वाइंट ओ।
चचा हमारे ग़ालिब जो थे। जी एस टी पर बड़े बलिहारी थे भाई साहबए यूं कहते थे कि
राम सकूल जाता है,
सीता पानी भरती है
आदम भी जी एस टी भरता है
औरत भी जी एस टी भरती है
ग़ालिब की यही तो खासियत थी कि आसान भाषा में मुश्किल बात कह देते थे। चलिए अब इस बचतउत्सव में फिर से जी एस टी भरने का काम करें।
सोमवार, 6 अक्टूबर 2025
महामानव और आम खाने की कला
तो साहब पिछले दिनों इस देश में, इस भारत भू पर, इस विश्व में कुछ आश्चर्यचकित घटित हुआ। एक नॉनबायोलॉजिकल व्यक्ति के 75 साल पूरे हुए। 75 साल, 75 साल बहुत ज्यादा नहीं होते तो बहुत कम भी नहीं होते। सवाल ये है कि नॉनबायोलॉजिकल एंटिटी के लिए बायोलॉजिकल समय की गणना कैसे की जाती होगी, या ये भी अवतारों का ही कोई चमत्कार होता होगा, वरना जिन्हें सीधे ईश्वर ने भेजा हो, वो क्यों 70-75 के फेर में पड़ने लगे। हमारे महामानव तो शायद निन्यानवे के फेर में भी नहीं पड़ते।
फिर भी, माने फिर भी, देखा जाए तो इस तरह अपने नॉनबायोलोजिकल जीवन के 75 वर्ष पूरे करने पर कुछ तो बढ़िया कहने की बात बनती ही है, सो सब महामानव के अनुयायियों ने कह भी दी और उन्होने मान भी ली होगी, ये हम जानते हैं, क्योंकि हमने देखा है। अब 75 सालों में महामानव ने क्या - क्या काम किए, किन -किन को अनुग्रहीत किया, किन को ठिकाने लगाया, ये सब भी दुनिया के सामने ही है।
पर इन सबसे परे हट कर, उनकी कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर हमने नज़र नहीं डाली तो हम ये मौका चूक जाएंगे, इसलिए हम महामानव के जीवन की कुछ खास उपलब्धियों पर आपकी नज़रे इनायत चाहते हैं।
इस खास बातचीत के बाद पहली बार दुनिया को पता चला कि आम काटने के अलावा चूस कर भी खाया जा सकता है। मेरा ख्याल है इससे पहले महामानव ने कभी इस रहस्य को उजागर नहीं किया था कि आम चूस कर भी खाया जा सकता है, हालांकि मुझे तो ये भी समझ नहीं आया कि ये खिलाड़ी कुमार, आम खाते हुए सिंक के पास क्यों खड़े होते हैं, हो सकता है कि इन्हें आम हजम ना होता हो, जैसे कभी-कभी किसी को घी हजम नहीं होता, लेकिन उसके बावजूद आम खाने के लिए सिंक पर खड़े क्यों होना है। महामानव की तरह खेत में जाकर भी आम चूसा जा सकता था। खैर, कहने का मतलब है कि महामानव के जीवन में इस तरह के मुश्किल सवालों का सिलसिला लगातार बना रहा है, लेकिन महामानव सदा ही हंसते हुए ऐसे धारदार सवालों का सामना करते रहे हैं।
मेरा तो ये मानना है कि दुनिया के सबसे अद्भुत और लोकप्रिय रेडियो धारावाहिक मन की बात का एक एपीसोड इसी बात पर केंद्रित होना चाहिए कि आम चूस कर खाने के क्या लाभ होते हैं, इसके शारीरिक, मानसिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक और मनोवैज्ञानिक लाभों के बारे में दुनिया को भी पता चलाना चाहिए और पूरी दुनिया में इस तरह के ज्ञान को फैला कर हमें फौरन विश्वगुरु का दर्जा अब हथिया ही लेना चाहिए। क्योंकि मुझे डर है कि आम चूस कर खाने की कला अगर पश्चिम में पहुंच गई, तो वो लोग इसे इस पर नाजायज़ अधिकार कर लेंगे और आम चूस कर खाने की ये कला इस महान भारत भू से हमेशा के लिए लुप्त हो जाएगी।
हालांकि इसके लिए ये भी किया जा सकता है कि महामानव के नाम से आम चूस कर खाने की कला का पेटंेट करवा लिया जाए। और इस तरह एक तीर से दो शिकार हो सकेंगे, पहला तो ये कि महामानव के नाम का एक पेटेंट हो जाएगा, नोबेल ना मिला तो क्या, पेटेंट की अपनी औकात होती है, एक बार महामानव का नाम इतिहास में दर्ज हो जाए, चाहे पेटेंट के ज़रिए ही हो, बस यही हमारी कामना और इच्छा है। इस इच्छा को सद्इच्छा माना जाए।
दोस्तों, महामानव ने बचपन से ही कठिनाइयों का सामना किया है, उनके हर कदम पर उन्हें मुश्किल सवालों से परेशान किया गया है।
अब बताइए, महामानव से ये पूछना कि क्या वो पर्स रखते हैं? क्या ये ही इंसानियत है इन महान पत्रकारों की कि इस तरह के मुश्किल सवाल पूछें वो महामानव से? हमारे देश का मीडिया और कितना नीचे गिरेगा, महामानव से इस तरह के सवाल पूछ कर इन्होने महामानव के पद की गरिमा का ख्याल भी नहीं रखा, इनसे ज्यादा बेहतर सवाल तो हमारे हॉलीवुड के महान खिलाड़ी कुमार और सो सून जोशी ने पूछे थे।
महामानव को आम चूसने की कला से फकीरी तक ले आना, ये सफर एक कलाकार ही तय कर सकता था, जो इन्होने किया। लेकिन इन कलाकारों ने इन पत्रकारों को वो रास्ता भी महामानव ने ही दिखाया कि एक महामानव से किस तरह के सवाल किए जाने चाहिएं, इन पत्रकारों को थोड़ी भी शर्म होगी, तो वो आइंदा महामानव से इसी तरह के सवाल पूछेंगे और मर्यादा का ध्यान रखेंगे। लेकिन माइंड यू, इन कलाकारों के इस छुपे हुए टेलेंट को दुनिया के सामने भी महामानव ही लाए हैं, वरना आज तक किसी को सपना भी नहीं आया था कि इन कलाकारों को कोई इंटरव्यू लेने के काम पर भी लगा सकता है।
तो जैसा कि मैं कह ही रहा था कि महामानव ने अपने जीवन में तमाम तरह के कठिन सवालों का सामना किया, और उनके सही और सटीक जवाब दिए, हंसते हुए दिए, लेकिन आसान सवालों के जवाब नहीं दिए।
बात इतनी सी है, कि महामानव उन सवालों के जवाब नहीं देते जिनके जवाब सारी दुनिया को पता हों, वे सिर्फ उन्हीं सवालों के जवाब देते हैं, जिनसे उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सके, ये ज़रूरी भी है, कि महामानव सदियों में एक पैदा होता है, तिस पर वो नॉनबायोलोजिकल हो, और उसे ईश्वर ने खुद भेजा हो तो वो करेला और नीम चढ़ा हो जाता है। इसलिए जिन सवालों के जवाब महामानव नहीं देते उसकी जगह वो दोस्ती को तरजीह देते हैं।
आप हमेशा देखेंगे कि महामानव ने अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्व दोस्ती को ही दिया है।
जो भी महामानव का दोस्त रहा, उसने आसमान की बुलंदियों को छुआ है, और हमें यकीन है कि महामानव ने उन्हें भी आम चूस कर खाने की कला सिख दी होगी। अब उनके सभी दोस्त, जिन्हें महामानव ने चूसने की सुविधा दी है, वो सबकुछ चूस ले रहे हैं, और आम चूसने की इस कला में आम को अब बाकी चीजों से रीप्लेस कर दिया गया है, महामानव के दोस्त, पानी, रेल, तेल, पैसा, यानी सबकुछ चूस ले रहे हैं। इस देश की इस आम चूसने की कला का उपयोग अब सबकुछ को चूसने में किया जा रहा है, और इसीलिए मेरे दोस्तों ये एक ऐसी कला है जिसका सदुपयोग महामानव ने शुरु किया और इसलिए चूसने की इस कला का पेटेंट करवा लेना ज़रूरी है।
तो महामानव के 75 साल पूरे करने की खुशी में, आम चूस की खाने की कला को भारत के जन-जन तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य होना चाहिए और महामानव के जन्मदिन का उत्सव मनाने की जो जो तैयारियां हो रही हैं, उनमें आम चूसने की कला का सार्वजनिक प्रदर्शन, चूसने की कला पर सेमिनार, आम चूसने से संबंधित गीत, नारे आदि भी किए जा सकते हैं। मेरे कहने का मतलब ये है कि महामानव की इस महान उपलब्धि को यूं ही लुप्त नहीं होने दिया जा सकता, तो आप सबसे मेरा अनुरोध है कि अपनी कमर कस लें और आने वाले दिनों में आम चूसने या कुछ भी चूसने की कला का भरपूर इस्तेमाल किया जाए। ताकि नॉनबायोलॉजिक अवतार को कुछ तो संतोष हो कि वो दुनिया को कुछ दे चुके हैं।
बाकी सब खैर है
चचा ग़ालिब को भी आमों का बहुत शौक था, तो उन्होने चूसने की इस कला पर एक शेर कहा है, आपकी नज़र है,
अब चूस ले, सब चूस ले, कुछ रह ना जाए हाथ में
कि आम हो या आदमी तू चूस बात बात में
हर बात चूसने से हो, हर बात चूसने की हो
बेफिकर होकर चूस तू, क्या रखा है जज्बात में
चचा के आम और महामानव के आमों में अमूमन फर्क होता है, वो आम पेड़ पर लगते थे, ये आम सड़क पर मिलते हैं।
तो एक बार फिर 75 की जय हो, बाकी खैर मनाइए।
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