एक वीडियो आजकल बहुत वायरल हो रहा है, जिसमें महामानव के 75वें जन्मदिन की तैयारियों की बात हो रही है।
अब इसमें ऐसी क्या बात है जी, जिसका माखौल बनाया जाए। आपको याद होगा कि जब आपके स्कूल में बच्चों का जन्मदिन मनाया जाता थाए या कोई और उत्सव मनाया जाता था, तो सब बच्चों कोए बताया जाता था कि अनुशासन रखना है, कोई भागदौड़ नहीं करनी, केक सबको मिलेगा। और सब बच्चे केक या किसी मिठाई मिलने की आशा में पूरे अनुशासन में रहते थे, ठीक समय पर तालियां बजाते थे, सही समय पर सबके साथ सुर मिलाकर "श्हैप्पी बर्थडे" गाने की कोशिश करते थे। वही तो यहां भी हो रहा है। किसी का 75वां जन्मदिन कोई बार.बार तो आता नहीं, अब एक बार आया है तो मना लेने दीजिए महामानव को।
इस देश की सबसे बड़ी समस्या ही यही है, कोई खुश रहे, तो सबको परेशानी हो जाती है कि कोई खुश कैसे है। महामानव को देखिए कैसी सोहनी सी मुस्कुराहट है चेहरे पर, 75वें जन्मदिन पर भी ना आंखों के नीचे काले गड्डे हैंए ना 20.22 घंटे काम करने के बाद वाली थकावट है, ना विश्वगुरु वाली चिंता है। सिर्फ अपने जन्मदिन की खुशी है। जाने दो यारों, किसी को तो खुशी मनाने दिया करो। उपर से देखो महामानव के जन्मदिन पर राहुल गांधी ने, इस कांगी ने मय सबूत वोट चोरी का एक और वीडियो जारी कर दिया। इसीलिए हमें राहुल गांधी पसंद नहीं है, बताइए, चुनाव आयोग एफिडेविट मांग रहा था तो दिया नहीं, और अब दे सबूत पर सबूत दे सबूत पर सबूत, पिले हुए हैं बाबूजी। और वो भी देखिए तो किस दिन, महामानव के जन्मदिन पर। जब पूरे देश को, यहां तक कि विदेशों में बसे अपने यारों.दोस्तों को भी, महामानव को किस तरह का संदेश देना है टाइप मैसेज दिए जा रहे थे, तमाम तैयारियां चल रही थीं, तब ये राहुल गांधी महामानव को ये वोट चोरी के सबूतों का गिफ्ट देने की तैयारी कर रहे थे। ये कोई बात हुई भला। मैं तो कहूं कि जैसी ये बर्थडे प्रीप्रेरेशन वाली मीटिंग भाजपा के मेंबरों की हुई है, वैसी ही एक मीटिंग बर्थडे की तैयारी वाली कांग्रेस, वामी, प्रगतिशीलों की भी होनी चाहिए थी। आगे से ध्यान रखना बेए जैसे 75 जिंदगी में एक ही बार आता है वैसे ही 76 भी जिंदगी में एक ही बार आता है क्या समझे.
वैसे महामानव ने देश को रिटर्न गिफ्ट भी दिया है सुना। इस साल इस देश में कौन तो एक उत्सव मनाने को कहा है। कुछ जी एस टी को कम किया है, ऐसा सुना मैं ने। पता नहीं सही है या ग़लत है। ग़लती महामानव की नहीं है, सच कहूं, कुछ दोस्तो के साथ बैठा था, जब किसी ने कहा कि महामानव एक बार फिर टी वी पर आकर देश के नाम कोई संदेश देने वाले हैं। आप यकीन मानिए एक बार को तो दिल को ही झटका लग गया। मुझे लगा कि इस बार कोई दो हजारए पांच सौ, के साथ सौ रुपये को भी इल्लीगल टेंडर ना बना दें, फिर अचानक याद आया कि भैये, पिछले आठ सालों से जेब में पैसे ही नहीं हैं, जेब में क्या बैंक में भी पैसे नहीं हैं, तो लूट लो दोनो हाथों से देश को, अपने को क्या फर्क पड़ता है, टी.शर्ट और जीन्स बची है, वो भी उतार ले जाओगे तो क्या है, हम तो फकीर आदमी हैं, कच्छे.बनियान में भी रह लेंगे। आप अपने झोले में हमारे कपड़े भर लेना। पर फिर दोस्त ने बताया कि कुछ जी एस टी में हुई कमी पर कोई उत्सव वाली बात करने वाले हैं। तो दिल को कुछ चैन पड़ा। ये महामानव भी डरा देते हैं यार।
अब कह तो दिया महामानव ने कि कर दिया कम जी एस टीए पता नहीं क्या बला थी ये किसने बिना सोचे-समझे लागू कर दिया था। जब से इस देश में जी एस टी लगाया गया था, देश के छोटे-मोटे उद्योग धंधे बरबाद हो गए थे, किसी को जी एस टी समझ नहीं आ रहा था, कोई ध्ंाधा ही नही ंकर पा रहा था, उपर से सरकार टैक्स पर टैक्स ले रही थी। ये सब दरअसल महामानव को बदनाम करने की एक चाल थी। और इस बार महामानव ने इस चाल को भी मात दे दी, मतलब मात दे रहे हैं। कई प्रगतिशील, वामी, कांगी, ये पूछ रहे हैं कि 2017 से अब तक यानी आठ सालों से जी एस टी के नाम पर जो लूट मची हुई थी, उसका क्या। अब आपको कुछ चीजें समझनी होंगी।
पहले आठ साल तक महामानव सोचते समझते रहे कि ये है क्या बला, जिसका नाम जी एस टी है। क्योंकि महामानव फाइल पढ़ते नहीं हैं, वो बस यूं देख कर रख देते हैं।
तो ऐसे में कुछ ग़लतियां हो जाना स्वाभाविक है साहब। आप ही सोचिए कोई चीज़ जो आपने पढ़ी नहीं है, वो आप समझ कैसे जाएंगे। तो बस जी एस टी की फाइल महामानव के पास पहुंची उन्होने ऐसे देखी और रख दी। उसके बाद आप जानते ही है कि जी एस टी ने कैसा कहर ढाया इस देश पर। वो तो भला हो महामानव का कि उन्हें समझ में आया कि भई ये तो कुछ ग़लती हो गई, इसे तो सुधारना होगा। तो महामानव ने उस ग़लती को सुधारा जिसे आप आज बचत.उत्सव के तौर पर देख रहे हैं।
अब कई लोगांे का ध्यान इस तरफ भी अभी तक नहीं गया है कि महामानव बहुत ही सटीक तरीके से अपना जन्मदिन ठीक त्यौहारों के आस.पास लाए हैं, ताकि उनके जी एस टी का ये गिफ्ट मिडल क्लास के त्यौहारों की खरीदारी में काम आ सके। आप सब यूं ही उन्हें बदनाम करने में लगे रहते हैं। जिसे देखो जी एस टी पर समझाने लगा हुआ है कि महामानव ने आठ साल तक जनता को लूटा, अरे जाओ, महामानव की जनता, महामानव का जी एस टी, जितना मर्जी लूटें, तुम बोलने वाले कौन होते हो।
एक बात बता दूं तुम्हें, ये महामानव को जी एस अी 2 प्वाइंट ओ का आइडिया आया कहां से। कुछ लोग कह रहे हैंए कि राहुल ने पहले ही बता दिया थाए कुछ लोग और कुछ कयास लगा रहे हैं। लेकिन मैं आपको बता दूंए कि ये आइडिया आज से बहुत पहले महामानव के दिमाग में ही था, बस उसे ज़रा कुरेदने की देर थी।
बस जनाबए ये जो टू ए बी का एक्स्टा टू था, वो महामानव ने इस जी एस टी में निकाला है, कुछ एकस्टा पहले ही निकाल लिया, बाकी बचा हुआ अब निकालेंगे। ये ए प्लस बी इनटू ब्रैकेट स्कवायर वाली इक्वेशन का जब से महामानव ने आविष्कार किया है एकस्टा टू ए बी का, मुझे तो ये लगता है तभी से महामानव के दिमाग में किसी ना किसी चीज़ में टू लगाने का आइडिया चल रहा होगाए जिसे अब अपने 75 साल पूरे होने की खुशी में महामानव ने भारत की जी एस टी से प्रताड़ित जनता को चिपका दिया है। इस तरह भारत की जनता को दो दो सुख एक साथ देखने को मिले हैं, पहला महामानव का 75वां जन्मदिन और दूसरा जी एस टी टू प्वाइंट ओ।
चचा हमारे ग़ालिब जो थे। जी एस टी पर बड़े बलिहारी थे भाई साहबए यूं कहते थे कि
राम सकूल जाता है,
सीता पानी भरती है
आदम भी जी एस टी भरता है
औरत भी जी एस टी भरती है
ग़ालिब की यही तो खासियत थी कि आसान भाषा में मुश्किल बात कह देते थे। चलिए अब इस बचतउत्सव में फिर से जी एस टी भरने का काम करें।
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