जी हां साहब, बहुत हुई बकवास, अब बातें होंगी खास। तो जनाब डिप्टी महामानव ने खुले-आम चौड़े में ऐलान कर दिया है कि महामानव तीन-तीन दिन तक पखाना नहीं जाते।
महामानव और डिप्टी महामानव देश में चल रही बकवास पर ध्यान नहीं देते, वो खास बातों पर ध्यान देते हैं। ये खास बातें सुनने और समझने वाली होती हैं।
डिप्टी महामानव ने शर्म लिहाज में अंग्रेजी का लफ्ज फ्रेश इस्तेमाल किया है, लेकिन मुझे पता है कि ज्यादातर हिंदुस्तानी इस लफ्ज की पूरी अहमियत नहीं समझ पाएंगे, इसलिए मैने इसका नेमुलबदल पाखाना इस्तेमाल किया है। वैसे हिंदी में लघुशंका और दीर्घशंका होती है, और मुझे पूरा यकीन है कि डिप्टी महामाानव जब महमानव की प्रतिबद्धता की बात कर रहे थे, तो वे इन दोनो ही प्रकियाओं की बात कर रहे थे। हालांकि गांव के लोग इसे निपटना या खेत जाना भी कहते हैं, लेकिन ये भी सही है कि महामानव ना तो गांव में रहते हैं, और ना ही खेत से उनको कोई लेना देना है, इसलिए डिप्टी महमानव ने ऐसी गंवारू टर्मिनॉलौजी का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन पाखाना में भी दोनो प्रकियाओं का सही इस्तेमाल किया जाता है, ये लफ्ज मुहज्जब भी है, और पब्लिक में इस्तेमाल किया जा सकता है, बाकी शब्द ऐसे नहीं हैं जिन्हें पब्लिकली इस्तेमाल किया जा सकता हो, इससे पद की गरिमा गिरने का खतरा भी होता है, और ऐसे शब्दों का उच्चारण करने में हमें शर्म भी आती है। जिन्हें शर्म नहीं आती वे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन डिप्टी महामानव मुहज्जब इंसान हैं और महामानव के बारे में ऐसी कोई जानकारी देने के लिए वे मुहज्जब ज़बान का ही इस्तेमाल करते हैं। डिप्टी महामानव ने लेकिन ये नहीं बताया उस खास इंटरव्यू में कि अपानवायु निस्तारण करते हैं महामानव या नहीं? भई इस देश की जनता मुहं बाये इंतजार कर रही है, कि कब पता चले कि महामानव अपानवायु निस्तारण करते हैं कि नहीं, करते हैं तो कैसी तो आवाज़ आती है, कैसी तो गंध होती है उसकी? अब ये तो वही बता सकते हैं, जो उस दौरान महामानव के पास बैठे हों, जनता को कैसे पता चलेगा साहब। तो ये तो बड़ी जिम्मेदारी वाला काम हो गया डिप्टी महामानव के लिए। और अब देश के नामचीन पत्रकार, जो अपने स्टूडियोज़ में बैठे हुए हैं, वो निश्चित ही उस क्षण का इंतजार कर रहे होंगे कि कब उन्हें ये जानकारी मिलेगी और कब वो महामानव द्वारा अपानवायु निस्तारण के शेड्यूल को ब्रेकिंग न्यूज की तरह अपने चैनलों पर चला सकेंगे। हो सकता है कोई वैज्ञानिक इस अपानवायु के पर्यावरण को होने वाले फायदों की बात करे और उनसे धरती को होने वाले लाभों के बारे में जनता को बता सके।
पर मुझे दुख भी हुआ साहब, हिन्दुस्तान की आन-बान-शान के बारे में इतनी खास जानकारी हमारे डिप्टी महामानव ने मुहैया करवाई और लोग उसका मज़ाक बना रहे हैं। बहुत ग़लत बात है, बहुत ही ज्यादा ग़लत बात है। महामानव के जीवन के बारे में हर तथ्य की जनता का जानकारी होना चाहिए, ये तो बहुत जरूरी है, बचपन में उन्होने मगरमच्छ पकड़ा था, चाय बेची थी, घर से भागे थे, भीख मांगी थी, रास्ते में नाले की गैस से चाय बनाने वाले से बात की थी और उससे ये जानकारी हासिल की थी कि वो नाले की गैस से चाय कैसे बनाता है, बी टेक किया, फिर एंटायर पोलिटिकल साइंस मे ंबी ए की डिग्री हासिल की, फिर एम ए की डिग्री हासिल की, फिर आम चूस कर खाया, फिर बटुआ यानी वो मिनी झोला जिसमें पैसे रखे जाते हैं वो रखा या रखना छोड़ा, इस बीच डिजिटल कैमरा से आडवाणी की फोटो खींच कर उसे ई-मेल से दिल्ली भेजा, अमरीका की कई बार सैर की, इस दौरान वो लगातार भीख मांगते रहे, महामानव के बारे में ये सारी जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं, जैसा कि होना ही चाहिए। पर ये जो खास वाली जानकारी थी, पाखाने वाली, ये जनता को नहीं पता थी, और आखिरकार वो भी आ गई, अब बची उनके अपानवायु निस्तारण की जानकारी, तो हमें पूरी उम्मीद है कि अगली बार कोई बॉलीवुड का नामचीन सुपरस्टार उनसे बातचीत में ये भी पूछ ही लेगा।
इसमें क्या है, पूछना ही चाहिए, बताना ही चाहिए।
बल्कि लोकतंत्र के हित में ये बात होगी कि यदि सरकार में मौजूद सभी मंत्री अपने-अपने पाखाना का एक पूरा शेड्यूल जनता के सामने रखें, ताकि जनता को पता चल सके कौन दो दिन नहीं जाता, कौन तीन दिन नहीं जाता और कौन दिन में तीन बार जाता है।
कमाल ये है कि महामानव के बारे में ये खास जानकारी आम लोगों तक तब पहुंचाई गई है जब लेह-लद्दाख में कर्फ्यू लगा हुआ है, यू.पी., उत्तराखंड, कर्नाटक, बिहार, राजस्थान और देश भर में पेपर लीक, सिकस्थ शेड्यूल, रोजगार और अन्य सवालों पर जनता सरकार से भिड़ी हुई है, बिहार की एस आई आर बस आने ही वाली है। लेकिन कमाल इस बात का मानिए साहब कि महामानव और डिप्टी महामानव ने इन बेकार की बहसों से अलग एक खास बात आपको बताई है। और इसीलिए मेरी अपील ये है, देश के सब बेकार, बेरोज़गार नौजवानो की ओर से, किसानों, छात्रों, महिलाओं, नौकरी के लिए आवेदन भरते लोगों की ओर से, आदिवासियों और दलितों की ओर से, हमारी आपसे ये अपील है कि प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़ महामानव के पाखाने का पूरा शेड्यूल आप सार्वजनिक करें, ताकि देश का लोकचंद्र अपने विकास की चरम अवस्था को प्राप्त कर सके।
वैसे मुझे पूरा यकीन इस बात का भी है कि संघ में जो बात कही जाती है कटिबद्धता वाली, वो इसी संदर्भ में कही जाती होगी, संघ के किसी महत्वपूर्ण सम्मेलन आदि में बैठे हों और हाजत लग जाए तो कटिबद्ध हो लिया जाए, और यूं कुछ देर के लिए उस हाजत को रवां किया जा सकता है। यू ंतो कटि का मतलब कमर होता है, लेकिन आर एस एस के श्रद्धालुओं के संदर्भ में जब भी कटि शब्द आए तो उसे तोंद गिनना चाहिए, उनके लिए भी जिनकी छाती का नाप पचास से उपर हो। यूं भी तोंद को नए कपड़ों के चयन से छुपाया जा सकता है, लेकिन मेरी दादी कहती थी, इश्क मुश्क खांसी खुश्क, झूठ तंबाकू और मद्यपान, ये सात चीज़ छुपाए ना छुपे कह गए चतुर सुजान। अब मैं इसमें अपानवायु भी जोड़ना चाहता हूं। हो सकता है आपमें से कुछ लोग इससे इत्तेफाक ना करें, लेकिन डिप्टी महामानव के इस बयान के बाद कि महामानव तीन दिनों तक पैखाना नहीं जाते, मुझे ये लगता है कि वो अपानवायु निस्तारण तो अवश्य करते होंगे, अगर नहीं, तो डिप्टी महामानव अपने इसी इंटरव्यू में पक्का ये भी बताते कि महामानव डस्टं इवन फार्ट फोर थ्री डेज़......
खैर, अभी तो जश्न मनाने का समय है, इस बात के लिए पूरे भारत भर में जश्न मनाया जाना चाहिए कि महामानव तीन-तीन दिनों तक फ्रेश नहीं होते। यहां मैं आपका ध्यान इस तरफ ले जाना चाहता हूं कि ये जो सुपर पॉवर है महामानव की, जिसके बारे में डिप्टी महामानव ने आपके साथ जानकारी साझा की है, ये तो पश्चिमी देशों के किसी सुपरहीरो में भी नहीं है। या अगर हो तो हमें नहीं पता क्योंकि किसी ने इस बारे में हमें ये बताया ही नहीं है। बताइए क्या आपको किसी ने बताया है कि आयरनमैन, स्पाइडरमैन, कैप्टन अमेरिका, या सुपरमैन, बैटमैन, फ्लैश किसी के बारे में किसी भी जगह, कॉमिक्स में, या फिल्म में, या उनके बारे में किसी इंटरव्यू में आपको ये बात पता चली हो कि वो तीन दिन तक पखाना नहीं जाते। अब कम से कम हम इस बात पर एक बार और गर्व कर सकते हैं कि सिर्फ हमारे महामानव हैं जो तीन दिनों तक पखाना नहीं जाते, मतलब रोके रहते हैं। ये ध्यान रखना दोस्तों, जो इस सहज मानवीय प्रक्रिया पर काबू पा सकता है, वही महमानव जैसे उच्च पद पर विराजमान हो सकता है, और असल में वही सुपरमैन बन सकता है।
चचा अपने, ग़ालिब, उन्होने हर मौजू़ पर लिखा है साहब, कई शेर तो ऐसे - ऐसे लिखे हैं कि महामानव पर बिल्कुल फिट बैठते हैं। अगर आपको मेरी बात पर यकीन ना हो तो ये शेर सुनिए, आप भी कहेंगे कि क्या यार, कैसा हाथ और दस्ताने जैसा फिट शेर लिखा है चचा ने महामानव के लिए.....
कहा यूं कि
पीने भी नहीं जाते और खाने नहीं जाते
चढ़ जाती है जब सिर पे, पहचाने नहीं जाते
यूं ही तो नहीं कोई बन जाता महामानव
वो कई कई दिनो तक पैखाने नहीं जाते
तो तीन दिनों के इस रिकॉर्ड को सदियों तक नहीं तोड़ा जा सकता, ऐसा मुझे यकीन है, और साथ अपनी हमेशा वाली अपील मैं फिर दोहराता हूं कि महामानव को तीन दिनों तक फ्रेश ना होने वाली उपलब्धि के लिए ही नोबेल तो मिलना ही चाहिए।
महामानव और डिप्टी महामानव देश में चल रही बकवास पर ध्यान नहीं देते, वो खास बातों पर ध्यान देते हैं। ये खास बातें सुनने और समझने वाली होती हैं।
डिप्टी महामानव ने शर्म लिहाज में अंग्रेजी का लफ्ज फ्रेश इस्तेमाल किया है, लेकिन मुझे पता है कि ज्यादातर हिंदुस्तानी इस लफ्ज की पूरी अहमियत नहीं समझ पाएंगे, इसलिए मैने इसका नेमुलबदल पाखाना इस्तेमाल किया है। वैसे हिंदी में लघुशंका और दीर्घशंका होती है, और मुझे पूरा यकीन है कि डिप्टी महामाानव जब महमानव की प्रतिबद्धता की बात कर रहे थे, तो वे इन दोनो ही प्रकियाओं की बात कर रहे थे। हालांकि गांव के लोग इसे निपटना या खेत जाना भी कहते हैं, लेकिन ये भी सही है कि महामानव ना तो गांव में रहते हैं, और ना ही खेत से उनको कोई लेना देना है, इसलिए डिप्टी महमानव ने ऐसी गंवारू टर्मिनॉलौजी का इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन पाखाना में भी दोनो प्रकियाओं का सही इस्तेमाल किया जाता है, ये लफ्ज मुहज्जब भी है, और पब्लिक में इस्तेमाल किया जा सकता है, बाकी शब्द ऐसे नहीं हैं जिन्हें पब्लिकली इस्तेमाल किया जा सकता हो, इससे पद की गरिमा गिरने का खतरा भी होता है, और ऐसे शब्दों का उच्चारण करने में हमें शर्म भी आती है। जिन्हें शर्म नहीं आती वे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन डिप्टी महामानव मुहज्जब इंसान हैं और महामानव के बारे में ऐसी कोई जानकारी देने के लिए वे मुहज्जब ज़बान का ही इस्तेमाल करते हैं। डिप्टी महामानव ने लेकिन ये नहीं बताया उस खास इंटरव्यू में कि अपानवायु निस्तारण करते हैं महामानव या नहीं? भई इस देश की जनता मुहं बाये इंतजार कर रही है, कि कब पता चले कि महामानव अपानवायु निस्तारण करते हैं कि नहीं, करते हैं तो कैसी तो आवाज़ आती है, कैसी तो गंध होती है उसकी? अब ये तो वही बता सकते हैं, जो उस दौरान महामानव के पास बैठे हों, जनता को कैसे पता चलेगा साहब। तो ये तो बड़ी जिम्मेदारी वाला काम हो गया डिप्टी महामानव के लिए। और अब देश के नामचीन पत्रकार, जो अपने स्टूडियोज़ में बैठे हुए हैं, वो निश्चित ही उस क्षण का इंतजार कर रहे होंगे कि कब उन्हें ये जानकारी मिलेगी और कब वो महामानव द्वारा अपानवायु निस्तारण के शेड्यूल को ब्रेकिंग न्यूज की तरह अपने चैनलों पर चला सकेंगे। हो सकता है कोई वैज्ञानिक इस अपानवायु के पर्यावरण को होने वाले फायदों की बात करे और उनसे धरती को होने वाले लाभों के बारे में जनता को बता सके।
पर मुझे दुख भी हुआ साहब, हिन्दुस्तान की आन-बान-शान के बारे में इतनी खास जानकारी हमारे डिप्टी महामानव ने मुहैया करवाई और लोग उसका मज़ाक बना रहे हैं। बहुत ग़लत बात है, बहुत ही ज्यादा ग़लत बात है। महामानव के जीवन के बारे में हर तथ्य की जनता का जानकारी होना चाहिए, ये तो बहुत जरूरी है, बचपन में उन्होने मगरमच्छ पकड़ा था, चाय बेची थी, घर से भागे थे, भीख मांगी थी, रास्ते में नाले की गैस से चाय बनाने वाले से बात की थी और उससे ये जानकारी हासिल की थी कि वो नाले की गैस से चाय कैसे बनाता है, बी टेक किया, फिर एंटायर पोलिटिकल साइंस मे ंबी ए की डिग्री हासिल की, फिर एम ए की डिग्री हासिल की, फिर आम चूस कर खाया, फिर बटुआ यानी वो मिनी झोला जिसमें पैसे रखे जाते हैं वो रखा या रखना छोड़ा, इस बीच डिजिटल कैमरा से आडवाणी की फोटो खींच कर उसे ई-मेल से दिल्ली भेजा, अमरीका की कई बार सैर की, इस दौरान वो लगातार भीख मांगते रहे, महामानव के बारे में ये सारी जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं, जैसा कि होना ही चाहिए। पर ये जो खास वाली जानकारी थी, पाखाने वाली, ये जनता को नहीं पता थी, और आखिरकार वो भी आ गई, अब बची उनके अपानवायु निस्तारण की जानकारी, तो हमें पूरी उम्मीद है कि अगली बार कोई बॉलीवुड का नामचीन सुपरस्टार उनसे बातचीत में ये भी पूछ ही लेगा।
इसमें क्या है, पूछना ही चाहिए, बताना ही चाहिए।
बल्कि लोकतंत्र के हित में ये बात होगी कि यदि सरकार में मौजूद सभी मंत्री अपने-अपने पाखाना का एक पूरा शेड्यूल जनता के सामने रखें, ताकि जनता को पता चल सके कौन दो दिन नहीं जाता, कौन तीन दिन नहीं जाता और कौन दिन में तीन बार जाता है।
कमाल ये है कि महामानव के बारे में ये खास जानकारी आम लोगों तक तब पहुंचाई गई है जब लेह-लद्दाख में कर्फ्यू लगा हुआ है, यू.पी., उत्तराखंड, कर्नाटक, बिहार, राजस्थान और देश भर में पेपर लीक, सिकस्थ शेड्यूल, रोजगार और अन्य सवालों पर जनता सरकार से भिड़ी हुई है, बिहार की एस आई आर बस आने ही वाली है। लेकिन कमाल इस बात का मानिए साहब कि महामानव और डिप्टी महामानव ने इन बेकार की बहसों से अलग एक खास बात आपको बताई है। और इसीलिए मेरी अपील ये है, देश के सब बेकार, बेरोज़गार नौजवानो की ओर से, किसानों, छात्रों, महिलाओं, नौकरी के लिए आवेदन भरते लोगों की ओर से, आदिवासियों और दलितों की ओर से, हमारी आपसे ये अपील है कि प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़ महामानव के पाखाने का पूरा शेड्यूल आप सार्वजनिक करें, ताकि देश का लोकचंद्र अपने विकास की चरम अवस्था को प्राप्त कर सके।
वैसे मुझे पूरा यकीन इस बात का भी है कि संघ में जो बात कही जाती है कटिबद्धता वाली, वो इसी संदर्भ में कही जाती होगी, संघ के किसी महत्वपूर्ण सम्मेलन आदि में बैठे हों और हाजत लग जाए तो कटिबद्ध हो लिया जाए, और यूं कुछ देर के लिए उस हाजत को रवां किया जा सकता है। यू ंतो कटि का मतलब कमर होता है, लेकिन आर एस एस के श्रद्धालुओं के संदर्भ में जब भी कटि शब्द आए तो उसे तोंद गिनना चाहिए, उनके लिए भी जिनकी छाती का नाप पचास से उपर हो। यूं भी तोंद को नए कपड़ों के चयन से छुपाया जा सकता है, लेकिन मेरी दादी कहती थी, इश्क मुश्क खांसी खुश्क, झूठ तंबाकू और मद्यपान, ये सात चीज़ छुपाए ना छुपे कह गए चतुर सुजान। अब मैं इसमें अपानवायु भी जोड़ना चाहता हूं। हो सकता है आपमें से कुछ लोग इससे इत्तेफाक ना करें, लेकिन डिप्टी महामानव के इस बयान के बाद कि महामानव तीन दिनों तक पैखाना नहीं जाते, मुझे ये लगता है कि वो अपानवायु निस्तारण तो अवश्य करते होंगे, अगर नहीं, तो डिप्टी महामानव अपने इसी इंटरव्यू में पक्का ये भी बताते कि महामानव डस्टं इवन फार्ट फोर थ्री डेज़......
खैर, अभी तो जश्न मनाने का समय है, इस बात के लिए पूरे भारत भर में जश्न मनाया जाना चाहिए कि महामानव तीन-तीन दिनों तक फ्रेश नहीं होते। यहां मैं आपका ध्यान इस तरफ ले जाना चाहता हूं कि ये जो सुपर पॉवर है महामानव की, जिसके बारे में डिप्टी महामानव ने आपके साथ जानकारी साझा की है, ये तो पश्चिमी देशों के किसी सुपरहीरो में भी नहीं है। या अगर हो तो हमें नहीं पता क्योंकि किसी ने इस बारे में हमें ये बताया ही नहीं है। बताइए क्या आपको किसी ने बताया है कि आयरनमैन, स्पाइडरमैन, कैप्टन अमेरिका, या सुपरमैन, बैटमैन, फ्लैश किसी के बारे में किसी भी जगह, कॉमिक्स में, या फिल्म में, या उनके बारे में किसी इंटरव्यू में आपको ये बात पता चली हो कि वो तीन दिन तक पखाना नहीं जाते। अब कम से कम हम इस बात पर एक बार और गर्व कर सकते हैं कि सिर्फ हमारे महामानव हैं जो तीन दिनों तक पखाना नहीं जाते, मतलब रोके रहते हैं। ये ध्यान रखना दोस्तों, जो इस सहज मानवीय प्रक्रिया पर काबू पा सकता है, वही महमानव जैसे उच्च पद पर विराजमान हो सकता है, और असल में वही सुपरमैन बन सकता है।
चचा अपने, ग़ालिब, उन्होने हर मौजू़ पर लिखा है साहब, कई शेर तो ऐसे - ऐसे लिखे हैं कि महामानव पर बिल्कुल फिट बैठते हैं। अगर आपको मेरी बात पर यकीन ना हो तो ये शेर सुनिए, आप भी कहेंगे कि क्या यार, कैसा हाथ और दस्ताने जैसा फिट शेर लिखा है चचा ने महामानव के लिए.....
कहा यूं कि
पीने भी नहीं जाते और खाने नहीं जाते
चढ़ जाती है जब सिर पे, पहचाने नहीं जाते
यूं ही तो नहीं कोई बन जाता महामानव
वो कई कई दिनो तक पैखाने नहीं जाते
तो तीन दिनों के इस रिकॉर्ड को सदियों तक नहीं तोड़ा जा सकता, ऐसा मुझे यकीन है, और साथ अपनी हमेशा वाली अपील मैं फिर दोहराता हूं कि महामानव को तीन दिनों तक फ्रेश ना होने वाली उपलब्धि के लिए ही नोबेल तो मिलना ही चाहिए।
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