सोमवार, 16 जून 2025

आखिर कौन देगा जवाब

 नमस्कार, मैं कपिल एक बार फिर आपके साथ। कमाल है जी, कमाल है। ये इस देश में चल क्या रहा है? यार हमारे देश के प्रधानमंत्री विश्वगुरु बनने की कगार पर खड़े हैं और ये हमारे ही देश के लोग उनका बनियान खींच दे रहे हैं। उन्हें विश्वगुरु बनने से रोक रहे हैं, महामानव की ऐसी बेकदरी इसी देश में हो सकती है। ये तथाकथित प्रगतिशील लोगों को हमारे महामानव फूटी आंख नहीं सुहाते। इस देश के लिए महानतम से महानतम बलिदान करने वाले हमारे महानतम महामानव के एक-एक काम में यानी हर काम में रोड़ा अटकाकर आखिर ये लोग क्या ही हासिल कर लेंगे। 

इस देश को आगे बढ़ने से रोकने वाले इन लोगों की हरकतों पर ग़ौर कीजिए ज़रा। ये किसी सवाल का जवाब नहीं देते, ये किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होते, बस सवाल पूछते हैं, लगातार सवाल पूछते हैं, हर बार, हर क़दम पर महामानव के हर काम पर सवाल उठाते हैं, उसकी आलोचना करते हैं। इनका और काम ही क्या है? यानी इनको कोई काम नहीं रह गया है बस आलोचना करो। 

याद है आपको, मोदी जी ने कहा था कि वो पैटरोल की कीमतों में कमी कर देंगे। आप यकीन मानिए वो कमी करने ही वाले थे कि इन लोगों ने सवाल पूछने शुरु कर दिए। उन दिनों जब प्रधानमंत्री नए-नए प्रधानमंत्री बने थे, तभी से वो इन विपक्षियों की आंखों में खटकने लगे थे। इन विपक्षियों को पता होना चाहिए कि पैटरोल की कीमते ऐसे ही नहीं घट जातीं, वो पहले बढ़ती हैं, यानी उपर चढ़ती हैं, फिर वो नीचे आती हैं। हमारे देश में राहुल गांधी पैटरोल की इन कीमतों को नीचे ही नहीं आने दे रहे। मैं आपको बता रहा हूं, ये राहुल गांधी लगातार हमारे प्रधानमंत्री से सवाल पूछ कर उन्हें परेशान कर रहे हैं। पूरी दुनिया में किसी की हिम्मत नहीं है कि हमारे प्रधानमंत्री से कोई सवाल पूछ सके, पर ये लोग, ये विपक्ष वाले हमारे महामानव को सवाल पूछ कर परेशान कर रहे हैं। इनकी वजह से पैटरोल की कीमतें नीचे आने का नाम नहीं ले रही हैं। दोस्तों, अब बहुत हो गया, मोदी जी से पैटरोल की कीमतों के बारे में कोई सवाल पूछने का मतलब नहीं बनता। अब पैटरोल की कीमतों पर राहुल गांधी को जवाब देना ही होगा। वो सीधे-सीधे जनता को बताएं की वो इस मंहगे पैटरोल के बारे में क्या कर रहे हैं। 

ठीक इसी तरह से आपको याद होगा कि इस देश में क्रांतिकारी क़दम उठाया था महामानव ने। उन्होने 8 नवंबर को 8 बजे टी वी पर आकर अचानक घोषणा कर दी कि अब से 500 और 1000 के बैंक नोट अवैध हो गए। 

जिगरा चाहिए साहब अपने ही देश की करेंसी को अचानक अवैध घोषित करने के लिए। पर आपको ये याद नहीं होगा कि जब पूरी दुनिया में मोदी जी की इस नोटबंदी का जश्न मनाया जा रहा था, तब भारत में, जी हां, आपके ही देश में, इसी राहुल गांधी ने मोदी जी की नोटबंदी की आलोचना की थी। मोदी जी ने कहा था कि इस नोटबंदी से वो भ्रष्टाचार पर लगाम लगा देंगे, आतंकवाद की कमर तोड़ देंगे, आम आदमी के पास छुपे कालेधन का बाहर निकाल लेंगे। मोदी जी के इस क़दम के पीछे बहुत ही गहरी कूटनीति थी। वो चाहते थे कि जब कालाधन बाहर आए तो वो ऐसे ही लोगों के खाते में पंद्रह-पंद्रह लाख रुपया डलवा दें। तब भी इसी राहुल गांधी ने नोटबंदी की आलोचना की थी। इसी ने नोटबंदी जैसे महान क़दम को नज़र लगाई थी, मजबूरन मोदी जी को कहना पड़ा कि अगर कोई उनकी कमी निकल जाए, उनकी कोई ग़लती निकल जाए, तो वो चौराहे पर आकर देश जो सजा दे वो भुगतने तक के लिए तैयार हो गए थे। 

लेकिन बुरा हो राहुल का, खुल कर नोटबंदी की आलोचना करने लगे। 

राहुल गांधी की इसी हरकत की वजह से नोटबंदी से ना तो कालाधन वापस आया, ना आतंकवाद की कमर टूटी, और ना ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगी। बल्कि भ्रष्टाचार और बढ़ गया। अब इस पर राहुल गांधी को जवाब देना ही होगा। आखिर महामानव के नोटबंदी जैसे महान क़दम की आलोचना करने की जरूरत ही क्या थी। महामानव, को इस तरह परेशान करने के लिए, उनसे सवाल पूछने के लिए, देश राहुल गांधी को कभी माफ नहीं करेगा। 


साथियों, आपको याद होगा, कोरोना के समय, जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन हो गया था, हमारे छप्पन इंच की छाती वाले प्रधानमंत्री ने सारी चेतावनियों के बावजूद देश में टरम्प की रैली करवाई थी।

राहुल गांधी आलोचना करते हैं कि वो बहुत ही खतरनाम काम था। मैं पूछता हूं कि राहुल को ये अधिकार किसने दिया कि वो मोदी के इस क़दम की आलोचना करें। 

आखिर कोरोना में मरने वाले चार-पांच लाख लोगों की जान ज्यादा ज़रूरी थी या टरम्प की रैली। जाहिर है टरम्प की रैली से हमें बहुत फायदा हुआ। कोरोना जो बहुत पहले ही भारत की धरती पर आ गया होता, उसे मोदी ने एक-दो हफ्ते के लिए टाल दिया। ऐसा वीर काम महामानव मोदी ही कर सकते थे, और उन्होने किया। 

महामानव मोदी सिर्फ राजा, राजनेता, या प्रधानमंत्री ही नहीं हैं, वे दूरगामी सोच वाले डॉक्टर भी हैं, उन्होने कोरोना को भगाने के ऐसे-ऐसे उपाय बताए कि पूरी दुनिया भौंचक रह गई। उन्होने दिव्य दृष्टि से देखा कि थाली बजाने से जो ध्वनि तरंगे पैदा होती हैं, उनसे कोरोना वायरस मर जाता है, इसलिए उन्होने पूरे देश से थाली बजवा दी। इसके लिए समय भी बताया और एक दिन शाम को पूरा देश थालियां बजा रहा था। 

तब भी दोस्तों, आपको शायद याद ना हो, ये राहुल ही था जिसने इस क़दम की आलोचना की थी, और वैज्ञानिकों और डाक्टरों की, दवाई की वैक्सीन की बात की थी। 


मोदी जी की इस ईश्वरीय सोच पर राहुल के इसी अविश्वास की वजह से थाली की आवाज से कोरोना वायरस नहीं मरा, और इतना नुक्सान हुआ। मोदी जी ने अपनी महानता का परिचय देते हुए एक नया रास्ता निकाला, उन्होने लोगों से कहा कि दिए जलाओ, कोरोना को भगाओ, 

लेकिन फिर से राहुल ने आलोचना कर दी। राहुल को महामानव के कोरोना काल में लिए गए इन फैसलों पर सवाल उठाने के लिए जनता को जवाब देना ही होगा। 

उसे क्या लगता है कि हम उसकी बातों को मान कर महामानव के ईडियॉटिक उपायों को भुला देंगे। हम ऐसा नहीं करेंगे मित्रों, हम बार -बार राहुल से सवाल पूछेंगे। 

जबसे मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, वो अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि विदेशों में भारत को नंबर वन देश बनाया जाए। अब विदेशों में भारत को नंबर वन बनाने के लिए विदेशों की यात्रा करना तो जरूरी है, लेकिन इन विपक्षियों को, प्रगतिशीलों को ये साधारण सी बात समझ नहीं आ रही। वो महामानव मोदी जी की इन विदेश यात्राओं की आलोचना करते हैं। राहुल ने कई बार सभाओं में मोदी की इन विदेश यात्राओं की आलोचना की है, उन पर सवाल उठाए हैं। 


मोदी जी ने इन यात्राओं से कई देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्टरपतियों को अपना डीयर फ्रेंड बनाया है। भारत में टरम्प की खास यानी विशेष रैली करवाई है, क्या किसी और प्रधानमंत्री ने कभी ऐसा किया था। हो सकता है कि बदले में विश्वगुरु मोदी की ऐसी महान रैलियां और देशों में ना हुई हों, लेकिन इसके पीछे का कारण यही है, जैसा और जितना डीयर फ्रेंड मोदी इन राजनेताओं को मानते हैं, ये राजनेता मोदी को उतना डीयर फ्रेंड नहीं मानते। अब बताइए, इसमें मोदी की क्या गलती है। लेकिन राहुल इस पर भी उनकी आलोचना करने से बाज़ नहीं आते। अब राहुल को इस देश की जनता को जवाब देना चाहिए कि मोदी की इतनी कोशिशों के बावजूद, इतनी विदेश यात्राओं के बावजूद आखिर क्यों देश को दुनिया से समर्थन नहीं मिल रहा है। ये जनता राहुल से पूछ रही है कि आखिर इतनी सारी विदेश यात्राओं के बावजूद, क्यों महामानव मोदी की विदेश नीति लगातार फेल हो रही है। 


दोस्तों, राहुल को जवाब देना ही होगा, कि पुलवामा अटैक क्यों हुआ? वो आर डी एक्स वाली गाड़ी का क्या हुआ? राहुल लगातार ये सवाल सुपरमैन मोदी से पूछते हैं, लेकिन हम उनसे सवाल करेंगे। विश्वगुरु को वैसे ही इतनी चिंताएं हैं, वे अपने ईश्वर के साथ सीधे कनेक्शन में बिज़ी हैं, उनसे इस तरह के तुच्छ सवाल करना, सरासर बेअदबी है। हमें ये सारे सवाल राहुल से करने चाहिएं, कि आखिर पहले पुलवामा और बाद में पहलगाम जैसी आतंकवादी घटनाएं क्यों हो रही हैं। राहुल को जवाब देना ही होगा, कि कश्मीर में इतनी सेना मौजूद होने के बावजूद सुरक्षा में चूक हुई तो कैसे? ये सवाल सीधे राहुल से होगा, कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि प्रधानमंत्री को अपनी विदेश यात्रा छोड़ के भारत आना पड़ा और फिर सीधे बिहार की चुनाव रैली में जाना पड़ा। क्या राहुल इस देश के लिए इतना भी नहीं कर सकते? राहुल को इन सवालों के जवाब देने ही होंगे। 

पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी जो को चार सौ सीटें मिलना तय थीं, लेकिन राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा निकाल कर सब गुड़-गोबर कर दिया। 

मोदी जी का एकछत्र राज का सपना एक बार फिर सपना ही रह गया। और तो और, हमारी प्यारी, क्योंकि सास भी कभी बहु थी फेम स्मृति ईरानी जी चुनाव हार गईं।

स्मृति ईरानी की फोटो


 हमें इसका बेहद अफसोस है, लेकिन मोदी जी की पैनी निगाह पर हमें पूरा भरोसा है, उसी कैलीबर की एक और अभिनेत्री कंगना रानौत को वो लोकसभा चुनाव जिता कर लोकसभा में ले आए हैं। 

कंगना रानौत का फोटो

बुरा हो राहुल का कि मोदी जी को सिर्फ 240 सीटों से समझौता करना पड़ा। आखिर राहुल को जवाब देना ही होगा कि मोदी जी को क्यों सिर्फ 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। लेकिन दुख की बात ये है कि राहुल को इतने से भी संतोष नहीं है, वो लगातार मोदी से सवाल पूछ कर, उनकी फजीहत कर रहे हैं, उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। आपको याद होगा, मोदी जी ने क्या शानदार तरीका निकाला था, पहलगाम के बदले के बाद, उन्होने पूरे देश में सिंदूर दान के कार्यक्रम के बारे में सोचा था। लेकिन राहुल ने उनकी इस योजना में भी पलीता लगा दिया। पहले तो उन्हें सीज़फायर पर घेरा, फिर उनके सिंदूर दान कार्यक्रम पर सवाल खड़ा कर दिया, और अब तो उन्हें सीधा सरेंडर कह रहे हैं। हम पूछते हैं राहुल से कि आखिर टरम्प की घोषणा के बाद सीज़फायर करने की जरूरत ही क्या थी, जब हम युद्ध में जीत रहे थे, तो पीछे हटने का क्या कारण था, राहुल को इसका जवाब देना ही होगा। 


ये सारे प्रगतिशील लोग आखांे पर लोकतंत्र का चश्मा लगा कर बैठे हैं, इन्हें नहीं पता कि मोदी जी, हज्जारों साल बाद कोई हिंदू राजा इस देश का सम्राट बना है। राहुल गांधी अपने इस सवाल पूछने की आदत से फिर से इस देश में लोकतंत्र लाना चाहते हैं। महामानव को लोकतंत्र से डराना चाहते हैं, लेकिन महामानव लोकतंत्र की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। मुझे पूरा यकीन है कि महामानव, इस सबके बावजूद विजयी होकर निकलेंगे। 


इस देश की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। पूरी दुनिया में देश की साख का बट्टा लग चुका है। अब राहुल गांधी सवालों से और नहीं भाग सकते। हमने पहले नेहरु पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की थी, लेकिन हम जानते हैं कि ये खेल अब ज्यादा नहीं चल सकता। इसलिए देश की इस हालत की जवाब देही राहुल की बनती है। और राहुल का जवाब देना होगा। आज मैं आपसे अपील करता हूं कि राहुल को कटघरे में खड़ा करके ये सवाल किया जाए कि पिछले ग्यारह सालों में उसने देश को इतना बदहाल क्यों कर दिया है।


मैं बहुत निराश हूं कि राहुल, इन सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं। इसी निराशा में ग़ालिब का ये शेर याद आता है


हमसे सवाल पूछ के, परेशान तू न कर

उससे सवाल पूछ ले, जो जवाब दे सके


इसीलिए हम राहुल से सवाल पूछ रहे हैं। महामानव मोदी को मज़े करने दो, उन्हें अब और न सताओ। राहुल गांधी से सवाल पूछो। 

नमस्कार


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