मंगलवार, 23 सितंबर 2025

महामानव का दुख: आम आदमी की आपदा



तो जनाब बारिश गजब बहुत हुई इस बार। ऐसा लग रहा था कि पिछले कुछ सालों की कसर निकाल रही है। पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, बिहार, यू पी, हरियाणा, यानी सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा का उत्तरी भाग तो लगभग सारा का सारा डूब ही रहा है, सुना मुम्बई में भी पानी भर गया। भर गया तो भर गया, उसमें सरकार क्या कर सकती है जी। 



बारिश का होना भगवान की मर्जी है, सड़कों पर पानी भरना भगवान की मर्जी है, बाढ़ आना भगवान की मर्जी है, बाढ़ में घर बह जाना भगवान की मर्जी है। लोगों को इतना समझ नहीं आता कि भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। ये तो चाहते हैं कि सरकार भगवान के कामों में हस्तक्षेप करने लगे और सरकार है कि धर्म को बचाने में, भगवान को बचाने में लगी हुई है। जिसकी जितनी लिखी है उससे ज्यादा तो वो जी नहीं सकता, अब इसके लिए सरकार को दोष क्यों देना भाई। 



यही पंजाब के लोग हैं जिन्होने आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई है, अब ये चाहते हैं कि केन्द्र सरकार इनकी मदद करे। क्यों करे भई, आप एक बात तो समझ लीजिए, जो महामानव की सरकार बनाएगा, वहीं डबल इंजन या टिपल इंजन की सरकार चलेगी, वरना एक इंजन की सरकार तो महामानव नहीं चलाएंगे। आप समझ लीजिए, नहीं चलाएंगे मतलब नहीं चलाएंगे। एक इंजन से रेल नहीं चलती आप सरकार चलाने की बात कर रहे हैं, साल 2014 से अब तक आप ही बताइए, कहीं भी आपने सुना है कि कहीं सिंगल इंजन की सरकार सही से काम कर पा रही हो। जहां भी कोई ढंग का काम हो रहा है वो सिर्फ डबल इंजन की सरकार कर रही है, कहीं-कहीं जहां किसी रीजनल पार्टी से समझौता करना पड़ता है वहां हो सकता है कि इंजन तीन हों, सरकार का पता नहीं। जब किसान अंादोलन हुआ था, तो इन्हीं पंजाब के लोगों ने पूरे एक साल या उससे भी ज्यादा तक महामानव को परेशान रखा था और तब मजबूरी में, शायद पहली बार महामानव को अपने एक दो नहीं, बल्कि पूरे तीन कानून वापस लेने पड़े थे। कितनी किरकिरी हुई होगी सोचिए ज़रा दोस्त के सामने महामानव की। दोस्त ने कहा होगा, क्या यार, तू इतना भी नही ंकर पाया मेरे लिए कि सारे देश के किसानों को मेरा गुलाम बना दे। और महामानव को थूक गटक के चुप रह जाना पड़ा होगा। और अब तुम लोग किस मुहं से महामानव से चाहते हो कि केन्द्र सरकार तुम्हारी आफत के समय, इस आपदा के समय तुम्हारी मदद करें। 



जब हिमाचल, उत्तराखंड और पंजाब में बाढ़ अपनी तबाही मचा रही थी, तब महामानव बिहार बंद का आवाह्न कर रहे थे, और ये ठीक भी था, महामानव की मां को बिहार के ही एक लड़के ने गाली दी थी। इसके लिए पूरे बिहार को सबक सिखाना जरूरी था, किसी माई के लाल में ये हिम्मत कैसे हो कि वो महामानव को कुछ कह सके। पूरे देश के सभी चैनलों पर महामानव की मां की गाली की बातें हों रही थीं। हर कोई ये जानना चाहता था कि किसी कि इतनी हिम्मत हो कैसे गई? बताइए तो। अब जाहिर है ऐसे में जब इतना भावनात्मक मुद्दा सामने हो तो इन चैनलों के पास इतना समय तो नहीं ही होगा कि वो पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में आपदा प्रभावित लोगों को दिखा सके। वहां बाढ़ से हुई तबाही दिखा सके, उनकी मदद के लिए सरकारी प्रवक्ताओं से सवाल पूछ सके। महामानव को अपनी मां की गाली से इतना दुख हुआ कि वो भावनात्मक रूप से परेशान हो गए, और इसीलिए रो दिए, महामानव का रोना था कि उनके सारे डिप्टी महामानव रो दिए, सारे चैनलों के एंकर रो दिए, ये रोआ राटा ही हर चैनल का एकमात्र कार्यक्रम बन गया। और इस तरह बाढ़ की आपदा की जो खबरें चलानी चाहिए थीं, उनकी जगह महामानव का रोना दिखाया गया, बिहार बंद दिखाया गया, और भी वो सब कुछ किया गया जो महामानव की भावनाओं को शंात करने के लिए किया जा सकता था।



अब आप मुझे बताइए कि अगर महामानव परेशान हों, तो गोदी चैनलों को क्या कर्तव्य है, यही ना कि वो महामानव की भावनाओं के लिए कुछ करे, उनके बारे में अच्छी - अच्छी बातें कहे, उनके दुश्मनों को बुरी - बुरी बातें कहे। या कि देश में चल रही बाढ़ की आपदा पर बात करे, अरे ये भारत की जनता है, हर सीजन इसका यही काम है, गर्मी बढ़ी मर गए, बाढ़ आई मर गए, बिमारी हो गई मर गए, कुछ भूख से मर गए, कुछ ने आत्महत्या कर ली, जो इन सबसे नहीं मरे, वो दंगों में मर गए। अब महामानव का क्या यही काम रह गया कि वो इन मुसीबतज़दा लोगों की चिंता करते रहें। महामानव को और बहुत काम हैं। 



इधर सुना पंजाब में एक कुत्ता बाढ़ग्रस्त इलाके में लोगों की मदद करता पाया गया। बढ़िया कुत्ता है, सुना जब लोग राहत सामग्री लेकर जाते थे, तो बाढ़ में डूबे रास्तों पर ये कुत्ता इनकी मदद करता था, इनके आगे-आगे चलता था। बढ़िया कुत्ता है, मदद कर रहा है। इसे पता है जब आपदा आती है तो ये नहीं देखा जाता कि किसने तुम्हें रोटी दी थी, किसने गाली दी थी, किसने पत्थर मारा था। मुझे लगता है कि इस कुत्ते की समझ यही थी कि आपदा आने पर लोगों की मदद करना चाहिए। बढ़िया कुत्ता है। आपदा में काम आ रहा है, आपदा प्रभावित लोगों के लिए काम कर रहा है। 




खैर हम बात कर रहे थे कि इस बार बारिश की, जो बहुत ज़ोर से हुई लेकिन आपने देखा होगा, कि दिल्ली के किसी भी हिस्से में पानी नहीं भरा। जब से रेखा जी गुप्ता की सरकार आई है, देश की राजधानी में तीन इंजनों वाली सरकार चल रही है। कहां पहले रोज़ लेफ्टिनेंट गर्वनर को दिल्ली सरकार को हड़काना पड़ता था, जब से तीन इंजन वाली सरकार आई है, गर्वनर साहब बिल्कुल चुप हैं, क्योंकि दिल्ली में पानी नहीं भरा। कोई समस्या ही नहीं है दिल्ली में, पानी की निकासी की सुंदर व्यवस्था हो गई है, सड़कों के गड्ढे भर दिए गए हैं। नदियां साफ हो गई हैं, रेखा जी गुप्ता और लेफ्टिनेंट गर्वनर साहब ने खुद करवाई हैं। तो जहां पूरा देश बाढ़ से जूझ रहा है वहीं दिल्ली में इतना पानी गिरने के बावजूद कोई समस्या नहीं है। ये कमाल तीन इंजनों का कमाल है भई वाह। 



एक बात यहां जो मेरी नज़र में आई और किसी की नज़र इस पर नहीं गई, वो है राहत सामग्री जिहाद, या इसे हयूमैनिटी जिहाद भी कह सकते हैं। महाराष्ट में मस्जिदों के दरवाजे खोल दिए गए और राहत सामग्री बांटी, दिल्ली में भी ये लोग यही काम कर रहे हैं। मैं महामानव से अपील करता हूं कि वो या उनका कोई डिप्टी, या प्रोस्पेक्टिव महामानव कहीं किसी मंच से ये मानवता जिहाद जो ये लोग फैला रहे हैं, उसका भी जिक्र कर दे, और इन्हें सबक सिखा दे। अरे भई ये लोग यू पी एस सी जिहाद के बाद अब पूरे देश में राहत सामग्री बांटकर मानवता जिहाद फैला रहे हैं, इन्हें महामानव कभी माफ नहीं करेंगे। 



रेखा जी गुप्ता जैसे डबल या टिपल इंजन की सरकार चलाने वाले अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी महामानव से बहुत कुछ सीखा है, अब हम सीधे-सीधे पुरानी सरकारों पर सारी मुश्किलों का ठीकरा फोड़ सकते हैं, और अपनी जिम्मेदारियों से साफ बच सकते हैं। बस इस सोशल मीडिया पर किसी तरह लगाम लगानी पड़ेगी। ये सोशल मीडिया पर जिस तरह के वीडियो आ जाते हैं, उससे दिल्ली की, व अन्य राज्यों में भाजपा सरकारों की छवि खराब होती है, इससे देश की छवि खराब होती है। मुझे लगता है किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को किसी भी केस में एक टिप्पणी ये भी कर ही देनी चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति किसी आपदा की, या सरकार की नाकामी की, या भ्रष्टाचार की, या सरकारी दमन की, लूट की कोई फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करेगा, या सरकार से कोई सवाल पूछेगा, या मान लीजिए अपने तईं कुछ भला या अच्छा करता दिखेगा, जैसे बाढ़ के समय लोगों के लिए बचाव या राहत का काम करता मिलेगा, तो उसे टू इंडियन यानी सच्चा भारतीय नहीं माना जाएगा, और उसे बिना किसी टायल के पांच-सात साल के जेल में डाला जाएगा, वो भी बिना जमानत। ये लोग तभी सुधरेंगे।


मेरा तो ये मानना है दोस्तों कि, इतने सालों बाद जो इतनी बारिश आई, इससे कुछ अच्छा या बुरा नहीं हुआ। हमारे यहां पानी भरने के लिए इतनी ज्यादा बारिश की जरूरत है ही नहीं। हमने खुद ही ऐसे-ऐसे काम किए हैं कि धराली-थराली में, हिमाचल में, जम्मू में, पहाड़ टूटने में मदद की है, हां कुछ लोग ऐसे पगलेट भी हैं, जो इसका विरोध करते हैं, और ऐसी आपदाओं के लिए सचेत भी करते हैं। जैसे ये साहब हैं, सुना इनके उपर ऐसी ही पहाड़ों को नुक्सान ना पहुंचाने वाली याचिका पर इन्हें पांच हजार का जुर्माना लगा था, और अब तक कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं महाशय। हुंह, हिमालय बचाने निकले थे। और दिल्ली, गुड़गांव और मुम्बई का क्या है ना भाई लोग, कि लोगों का ेअब आदत पड़ चुकी है। बस अब ये सरकार जो आई है, जिसकेे आते ही दिल्ली के लेफ्टिनेंट गर्वनर बिल्कुल साइलेंट हो गए हैं, वही चमत्कार करेगी, इसका भरोसा रखिए। 

बाकी जो है सो हइए है। हां, आपसे अगर बन पड़े तो आर एस एस के कार्यकर्ता मत बनिए, बल्कि आपदा प्रभावित इलाकों के लिए जितना भी बन पड़े मदद जरूर कीजिए, जैसा कि लोग कर रहे हैं। 
चचा ग़ालिब ने बड़े ग़मगीन होकर एक शेर लिखा था, 


ये बाढ़ पंजाब की, ये लैंड स्लाइड हरियाणा की
ग़ालिब के दिल पे चोट लगाती हैं क्या कहें
सब देश में चिल्लाते हैं, आफत में पड़े लोग
शर्म तुझको मगर आती नहीं है, क्या कहें

हेटर्स कहेंगे कि भाई, ग़ालिब के जमाने में पंजाब और हरियाणा कहां था, अरे मेरे मितरों, महामानव की नज़रों से देखोगे तो इससे भी बड़े-बड़े चमत्कार दिखेंगे। समझे क्या
अभी तो फौरन से ये करो कि राहत कार्यों में मदद करो, और इस अपील को शेयर करो। बाकी बातें बाद में
ठीक है। नमस्ते।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महामानव-डोलांड और पुतिन का तेल

 तो भाई दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है, लेकिन इन जलकुकड़े, प्रगतिशीलों को महामानव के सिवा और कुछ नहीं दिखाई देता। मुझे तो लगता है कि इसी प्रे...